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‘ओपेनहाइमर’ विवाद पर नीतीश भारद्वाज का रिएक्शन

Harrison
25 July 2023 12:10 PM GMT
‘ओपेनहाइमर’ विवाद पर नीतीश भारद्वाज का रिएक्शन
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मुंबई | क्रिस्टोफर नोलन की फिल्म 'ओपेनहाइमर' इन दिनों खासा चर्चा में है। ये शुक्रवार को 'बार्बी' के साथ रिलीज हुई थी। दोनों ही फिल्मों को अलग-अलग रिस्पॉन्स मिल रहा है। फिलहाल बात हम 'ओपेनहाइमर' की करने जा रहे हैं, जो इन दिनों काफी सुर्खियां बटोर रही है। सिलियन मर्फी, जो रीड रोल में हैं और साइंटिस्ट ओपेनहाइमर का रोल निभा रहे हैं। वह मूवी में एक जगह इंटीमेट सीन के दौरान 'भगवद गीता' की एक लाइन पढ़ते हुए नजर आ रहे हैं। अब इस पर सब विरोध जता रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी उस सीन को हटाने का आदेश दिया था। अब 'श्रीकृष्ण' एक्टर नीतीश भारद्वाज ने भी रिएक्ट किया है।
नीतीश भारद्वाज, जिन्होंने 'महाभारत' में भगवान श्रीकृष्ण का किरदार निभाया था। उन्होंने कहा, 'गीता फंडामेंटली युद्ध के मैदान में कर्तव्य की भावना सिखाती है। हमारी लाइफ स्ट्रगल से भरी है। खासकर उसमें भावनात्मक रूप से ज्यादा लड़ाई है। श्लोक 11.2 में भी अर्जुन को यही कहा गया है कि वो एक योद्धा के तौर पर अपना कर्तव्य निभाएं। उनको बुराई से लड़ना है। श्रीकृष्ण के सभी श्लोक को अच्छे से समझना चाहिए। वह कहते हैं कि मैं ही सनातन काल हूं, जो सबका सर्वनाश करेगा। भले तुम नहीं मारोगे लेकिन सब मर जाएंगे। इसलिए अपना कर्तव्य निभाओ।'
आगे नीतीश भारद्वाज ने कहा, 'जब ओपेनहाइमर ने एटम बम बनाया और उसका इस्तेमाल जापान के लोगों को मारने के लिए किया। वहां, उसने खुद से सवाल किया कि क्या उसने अपनी ड्यूटी सही से निभाई या नहीं! उनका एक फेमस इंटरव्यू है, जिसमें उनकी आंखों में आसूं है। जिसका मतलब है कि वो अपने आविष्कार पर ही पछतावा कर रहे हैं। उन्होंने शायद ये देखा कि उनके इस आविष्कार से आने वाले भविष्य में मानव जाति का खात्मा कर देगी। और इसके लिए वो पछता रहे थे। अब फिल्म में इस श्लोक के इस्तेमाल को ओपेनहाइमर की भावनात्मक मनोस्थिति से भी समझा जाना चाहिए। एक वैज्ञानिक अपने क्रिएशन के बारे में सोच 24x7x365 दिन सोचता है। चाहे वो कुछ भी कर रहा हो। उसका मन पूरी तरह से उसकी क्रिएशन में कंज्यूम हो जाता है। और फिजिकल एक्ट तो सिर्फ एक नॉर्मल मकैनिकल एक्ट है।'
नीतीश भारत ने दर्शकों से अपील की कि वो नोलन के मैसेज को सही से समझें। 'मैं दर्शकों से कहना चाहता हूं कि वो ओपेनहाइमर की लाइफ के महत्वपूर्ण पलों के इमोशनल पहलू के बारे में विचार करें। क्या वह सही साबित नहीं हुआ है कि बिना किसी तुक के एक इंडीविजुअल या एक राष्ट्र या एक प्लैनेट होने के नाते, अब हम टेरिटोरियल और कमर्शियल सुपीरियॉरिटी के मानवीय लालच के लिए, सभी विस्फोटक तकनीकों को अपनी ही जाति को मारते हुए देख रहे हैं। आज कुरुक्षेत्र में ऐसी ही स्थिति है, जिस कारण ब्राह्मणों और क्षत्रीय ने धनुर्वेद का प्रचार नहीं किया। UN को परमाणु निरस्त्रीकरण को गम्भीरता से लागू करना चाहिए। नोलन का मैसेज लाउड और क्लियर है।'
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