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धर्मगुरू दलाई लामा के 87वें जन्मदिन की तैयारियों में जुटा मिनी ल्हासा

Rani Sahu
4 July 2022 5:15 PM GMT
धर्मगुरू दलाई लामा के 87वें जन्मदिन की तैयारियों में जुटा मिनी ल्हासा
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मिली ल्हासा के नाम से विख्यात मैकलोड़गंज में तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के 87वें जन्मदिन की तैयारियां शुरू हो गई हैं

मिली ल्हासा के नाम से विख्यात मैकलोड़गंज में तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के 87वें जन्मदिन की तैयारियां शुरू हो गई हैं। 6 जुलाई को धर्मगुरू दलाई लामा का जन्मदिन है, जिसे लेकर निर्वासित तिब्बती सरकार सहित दलाई लामा ट्रस्ट द्वारा इस खास मौके पर हर तरह से तैयारियों को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। छह जुलाई को धर्मगुुरु का 87वां जन्मदिन है, जिसे लेकर मुख्य बौद्ध मठ चुगलाखंग में सुबह 10 बजे सेे कार्यक्रमों का सिलसिला शुरू होगा। करीब दो घंटे इस कार्यक्रम में इस बार मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर बतौर मुख्यातिथि शामिल होंगे। वहीं निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री पेंपा सेरिंग भी विशेष रूप से मौजूद रहेंगे। धर्मगुरू के जन्मदिवस पर आयोजित होने वाले समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे जिनमें गद्दी, नेपाली, लद्दाखी डांस संग स्कूली छात्र भी रंग जमाएंगे।

14वें दलाईलामा तेंजिन ग्यातसो छह जुलाई को 87 साल के होने जा रहे हैं। दुनिया भर में उनके अनुयायी बौद्ध धर्मगुरु महामहिम दलाईलामा के जन्मदिन को मनाने की तैयारी में जुट गए हैं। निर्वासित तिब्बत सरकार के ब्राॅडकास्टिंग अधिकारी तेंजिन लक्ष्य ने बताया कि मैकलोड़गंज में दलाईलामा मंदिर यानि चुगलाखंग मठ में होने वाले खास कार्यक्रम में हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मुख्यातिथि होंगे। इस कार्यक्रम में आने वाले लोगों को धाम में भारतीय खाने समेत हर तरह के व्यंजन होंगे।
कार्यक्रम सुबह 10 बजे शुरू होगा जो दो घंटे का होगा। इसमें हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अलावा निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री का संबोधन होगा। इसके अलावा तिब्बती संसद के अध्यक्ष भी अपने विचार रखेंगे। इसके बीच में विभिन्न सांस्कृतिक दल अपनी प्रस्तुतियां देंगे। इनमें गद्दी दल नृत्य की प्रस्तुति देगा। तिब्बती, नेपाली और लद्दाखी नृत्य की प्रस्तुति भी सांस्कृतिक दल देंगे। वहीं स्कूली छात्रों की प्रस्तुतियों के लिए भी समय रखा गया है।
गौर रहे कि छह जुलाई 1935 को दलाईलामा का जन्म उत्तरी तिब्बत के अमदो नामक स्थान पर एक किसान परिवार में हुआ था। महज 23 साल की उम्र में बौद्ध दर्शन में पीएचडी करने वाले तेंजिन ग्यात्सो साल 1959 में ल्हासा में तिब्बती आंदोलन का दमन होने के बाद निर्वासन को मजबूर हो गए। वह भारत आ गए हैं। उन्हें यहां 63 साल हो गए हैं। दुनिया में शांति का प्रतीक महामहिम दलाईलामा खुद को भारत का बेटा कहते हैं।
उधर दलाईलामा के जन्मदिन को लेकर मैकलोड़गंज शहर में हर कोई अपने अपने तरीके से तैयारी कर रहा है। दुनिया भर से उनके अनुयायी यहां पहुंचते हैं। इस दौरान होटलों में आक्यूपेंसी भी बढ़ती है। इस बार प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी छह जुलाई को मैकलोड़गंज में होंगे। ऐसे में यहां वीवीआईपी मूवमेंट भी खूब रहने वाली है।
Rani Sahu

Rani Sahu

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