मूवी : भारतीय मध्यवर्गीय परिवारों में बच्चे के स्कूल में प्रवेश करते ही करियर विकल्पों पर मंथन शुरू हो जाता है। जब बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाता है तो माता-पिता की नजरें उसकी मार्कशीट पर टिक जाती हैं। गणित में कितने आए, विज्ञान में प्रदर्शन कैसा रहा और कॅरियर की इस भागदौड़ में कॉमर्स विषय पीछे छूट गया। इंजीनियरिंग और डॉक्टर बनाने की चाहत में कॉमर्स हमेशा हाशिये पर चला जाता है. जो बच्चे इस 'उपेक्षित स्ट्रीम' से पढ़ते हैं, उनकी बुद्धिमत्ता को विज्ञान के बच्चों की तुलना में हमेशा संदेह की दृष्टि से देखा जाता है और यह संदेह तब तक बरकरार रहता है जब तक उन्हें चार्टर्ड अकाउंटेंसी की परीक्षा में नहीं बैठना पड़ता। साइंस स्ट्रीम के लोगों के लिए सीए क्लियर करना IIIT प्रवेश परीक्षा या एम्स प्रवेश परीक्षा से कम नहीं है। जिस तरह छात्र यूपीएससी की तैयारी में सालों लगा देते हैं, उसी तरह सीए फाइनल में दिन और महीनों की गिनती नहीं की जाती।विकल्पों पर मंथन शुरू हो जाता है। जब बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाता है तो माता-पिता की नजरें उसकी मार्कशीट पर टिक जाती हैं। गणित में कितने आए, विज्ञान में प्रदर्शन कैसा रहा और कॅरियर की इस भागदौड़ में कॉमर्स विषय पीछे छूट गया। इंजीनियरिंग और डॉक्टर बनाने की चाहत में कॉमर्स हमेशा हाशिये पर चला जाता है. जो बच्चे इस 'उपेक्षित स्ट्रीम' से पढ़ते हैं, उनकी बुद्धिमत्ता को विज्ञान के बच्चों की तुलना में हमेशा संदेह की दृष्टि से देखा जाता है और यह संदेह तब तक बरकरार रहता है जब तक उन्हें चार्टर्ड अकाउंटेंसी की परीक्षा में नहीं बैठना पड़ता। साइंस स्ट्रीम के लोगों के लिए सीए क्लियर करना IIIT प्रवेश परीक्षा या एम्स प्रवेश परीक्षा से कम नहीं है। जिस तरह छात्र यूपीएससी की तैयारी में सालों लगा देते हैं, उसी तरह सीए फाइनल में दिन और महीनों की गिनती नहीं की जाती।