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जिसमें अक्षय कुमार और ममता कुलकर्णी ने लीड रोल्स निभाये थे।
साहित्य और सिनेमा का गठजोड़ हमेशा रहा है। सिनेमा के आरम्भ से आज तक, ऐसी कई साहित्यिक कहानियां और उपन्यास हैं, जिन्होंने हिंदी फिल्मों की पटकथाओं को प्रेरित किया। समय-समय पर फिल्ममेकरों ने उपन्यासों को फिल्मों की सूरत में बड़े पर्दे पर उतारा है। 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के मौके पर ऐसी ही कुछ फिल्मों की चर्चा यहां कर रहे हैं।
मोहल्ला अस्सी
अक्षय कुमार की फिल्म सम्राट पृथ्वीराज से पहले डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने सनी देओल के साथ मोहल्ला अस्सी बनायी थी। स फिल्म की कहानी डॉ. काशीनाथ सिंह के नॉवल काशी का अस्सी पर आधारित है। नब्बे के दौर के राजनीतिक हालात को दिखाने वाली मोहल्ला अस्सी में सनी के किरदार के जरिए वाराणसी के सियासी, सामाजिक और सांस्कृतिक मिजाज को पर्दे पर उकेरा गया था।
सूरज का सातवां घोड़ा
धर्मवीर भारती के बेहद चर्चित उपन्यास सूरज का सातवां घोड़ा पर श्याम बेनेगल ने इसी शीर्षक से फिल्म बनायी, जो 1992 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में रजित कपूर, नीना गुप्ता और अमरीश पुरी जैसे बेहतरीन कलाकारों ने प्रमुख किरदार निभाये थे। सूरज का सातवां घोड़ा की कहानी तीन औरतों के इर्द-गिर्द घूमती है।
तमस हिंदी सिनेमा की क्लासिक फिल्मों में शामिल है, जो ओम पुरी की बेहतरीन अदाकारी के लिए याद की जाती है। 1988 में आयी इस फिल्म का निर्देशन गोविंद निहलानी ने किया था। यह फिल्म वेटरन एक्टर बलराज साहनी के भाई भीष्म साहनी के उपन्यास तमस पर बनायी गयी थी।
1985 में आयी बहू की आवाज वेद प्रकाश शर्मा के बहू मांगे इंसाफ उपन्यास से प्रेरित थी। लुगदी साहित्य की परम्परा में वेद प्रकाश शर्मा सबसे अधिक बिकने वाले लेखकों में शामिल थे। शशिलाल नायर निर्देशित फिल्म में राकेश रोशन, ओम पुरी, नसीरूद्दीन शाह और सुप्रिया पाठक ने प्रमुख भूमिकाएं निभायी थीं। वेद प्रकाश शर्मा के उपन्यास लल्लू पर नब्बे के दौर में सबसे बड़ा खिलाड़ी नाम से फिल्म बनी, जिसमें अक्षय कुमार और ममता कुलकर्णी ने लीड रोल्स निभाये थे।
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