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आप इन्हें मानें या ना मानें, शिलासपुरा के रहस्य के रूप में ये एंटरटेन तो करती हैं.
इसमें संदेह नहीं कि अगर आप हॉरर, रहस्य, रोमांच, भूत, जादू, टोने, तंत्र-मंत्र-यंत्र की कहानियों में मजा लेते हैं तो यह वेबसीरीजी आपके लिए परफेक्ट एंटरटेनमेंट है. डिज्नी हॉटस्टार पर रिलीज हुई दहनः राखन का रहस्य आपको ऐसी दुनिया में जाती है, जिसे आप चुपचाप दम साधे देख सकते हैं कि आगे क्या होगा. वैसे इसमें अच्छा खासा समय लगेगा. औसतन 45 से 50 मिनट के नौ एपिसोड हैं. अतः अगर आप वीकेंड में बिंज वॉचिंग का मजा लेना चाहते हैं, तो दहन लगा कर बैठ जाइए.
आत्माओं के कब्जे में एक गांव
कहानी एक आईएएस अफसर अवनी रावत (टिस्का) चोपड़ा की है, जिस पर कुछ आरोपों के साथ यह भी आरोप लगा कि उसने अपने पति को आत्महत्या के लिए उकसाया. कलेक्टर के रूप में वह अपनी पोस्टिंग राजस्थान के दूर-दराज के शिलासपुरा गांव में लेती है, जो रहस्यों से भरा है. साइंस के बनाए सैटेलाइट बताते हैं कि शिलासपुरा की धरती के नीचे कुछ बेहद कीमती खनिज और रसायन हैं, जो मेडिकल साइंस की दुनिया में क्रांति ला सकते हैं. वहां खुदाई शुरू हो जाए, तो गांव के लोगों की किस्मत पलट सकती है. उनकी तरक्की के दरवाजे-खिड़कियां खुल सकते हैं. गांव का एक राजा-रानी वाला इतिहास है और वहां के लोग मानते हैं कि इस जमीन पर आत्माओं का कब्जा है और ग्रामीण वहां सिर्फ किरायेदार हैं. गांव में एक शिला भी है. मान्यता है कि शिला के अंदर एक मायावी कैद है. वह कैद से छूट गया तो पूरे गांव में तबाही आ जाएगी. अतः हर दिन सुबह-शाम सबसे पहले गांव इसी मायावी शिला को पूजता है. इस शिला की पूजा और व्यवस्था को संभाल रखा है प्रमुख स्वरूप (सौरभ शुक्ला) ने.
सचमुच शक्ति या फिर षड्यंत्र
दहन के एपिसोड रोचक हैं और इसमें तमाम किरदारों की अपनी कहानियां समानांतर चलती हैं. यहां पुलिसवालों के रूप में भैरों सिंह और परिमल सिंह यानी मुकेश तिवारी (Mukesh Tiwari) और राजेश तैलंग (Rajesh Tailang) हैं. अवनी के दोस्त के रूप में अंकुर नैयर हैं. अवनी के बेटे हैं रोहन जोशी. इन सबकी अपनी-अपनी कहानियों का रोमांच बांधे रहती हैं. मूल रूप में दहन की कहानी भले ही साधारण लगे, लेकिन इसे खूबसूरती से लिखा गया है. इसकी पटकथा हर एपिसोड में रंग बदलती है और नई चीजें एक-एक कर दर्शक के आगे खुलती हैं. हैरान करने वाले मायावी रहस्यों के पीछे क्या सचमुच कोई शक्ति है, भूत-प्रेत-तंत्र-मंत्र हैं या फिर कोई षड्यंत्रॽ यह सवाल हर एपिसोड के साथ दर्शक को आगे देखने के लिए मजबूर करता है. दहन के साथ बढ़ते हुए 2018 में आई फिल्म तुंबाड (Tumbbad) की याद आती है. इसलिए नहीं कि उस कहानी से दहन की कोई समानता है, बल्कि इसलिए कि वैसा रोमांच आप यहां महसूस कर पाते हैं. उत्सुकता रहती है कि क्या विकास और विश्वास साथ-साथ चल पाएंगेॽ
क्या है मायावी का रहस्य
खास तौर पर अवनी और प्रमुख स्वरूप की टक्कर तथा कहानी आगे बढ़ने के साथ दोनों किरदारों के खुलने वाले रहस्य आकर्षक हैं. अवनी के जीवन की नई-नई परतें उसके चरित्र को रोमांचक बनाती है. सीरीज में संवाद भी अच्छे हैं. जैसेः 'ज्ञानी से ज्ञानी मिले, चले ज्ञान की बात और मूरख से मूरख मिले, दे जूता-लात.' और 'जेवर और तेवर संभाल कर रखने की चीज है कलेक्टरनीजी.' शिलासपुरा में माइनिंग तो शुरू होती है, लेकिन इसके साथ कुछ लोगों की ही नहीं, बल्कि नदी में ढेरी सारी मछलियों और आसमान में पंछियों की मौतें भी होती हैं! क्या इन सब मौतों का कोई कनेक्शन है मायावी के रहस्य के साथॽ दूसरी तरफ अवनी का अतीत भी सिर उठाता है. प्रकृति और उसके रहस्य सामने आते हैं. कहानी क्लाइमेक्स तक नई परतें पेश करती है.
एंटरटेनमेंट का आधार
निर्देशक विक्रांत पवार और उनके राइटरों की टीम ने बढ़िया काम किया है. कैमरा और वीएएफक्स का उन्हें खूब सहयोग मिला. कहानी में कई दृश्य हॉरर वाला फील देते हैं. अतः अगर आपका दिल कमजोर है तो इसे अकेले न देखें. टिस्का चोपड़ा बढ़िया अभिनेत्री हैं और जटिल किरदारों को सहजता से निभाती हैं. वह आप यहां देख सकते हैं. पूरी सीरीज में वह अभिनय की एक टोन पकड़ कर चली हैं और इस रोल में जान फूंकी है. सौरभ शुक्ला भी फॉर्म में हैं. तंत्र-मंत्र-टोना करने वाले प्रमुख स्वरूप के रूप में उनके चारों तरफ रहस्य का एक घेरा हर समय बना रहता है. मुकेश तिवारी कहानी में हल्का-सा कॉमिक टोन लाते हैं और सीरीज में सारे किरदारों से अलग हैं. राजेश तैलंग भी अपनी भूमिका से न्याय करते हैं. हो सकता है कि आप ऐसी जादुई बातों को हवा-हवाई और अवैज्ञानिक मानते हों, लेकिन इस कहानी में ये बातें मनोरंजन का मुख्य आधार हैं. आप इन्हें मानें या ना मानें, शिलासपुरा के रहस्य के रूप में ये एंटरटेन तो करती हैं.
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