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मुंबई,(आईएएनएस)| फिल्म 'आशिकी' के अभिनेता राहुल रॉय की 'एलएसी' फिल्म का नाम बदलकर 'सरजमीं ए हिंदुस्तान' कर दिया गया है। खराब मौसम के कारण करगिल में फिल्म की शूटिंग के दौरान अभिनेता को ब्रेन स्ट्रोक हुआ था और अस्पताल में उनका कई महीनों तक इलाज भी चला था। फिल्म में टीवी अभिनेता निशांत मलखानी भी हैं। फिल्म के टाइटल को बदलने के कारण के बारे में बात करते हुए निर्माता चित्रा वी. शर्मा ने कहा कि शुरुआत से हमने सरजमीं ए हिंदुस्तान को फिल्म के वैकल्पिक टाइटल के रूप में पंजीकृत किया था। फिल्म के थीम गीत का भी यही नाम है। स्क्रीनिंग टेस्ट के दौरान हमने महसूस किया कि यह 'एलएसी' की तुलना में कहीं अधिक शक्तिशाली टाइटल था, क्योंकि यह वास्तव में फिल्म के सार को दर्शाता है।
चित्रा ने कहा कि इसी तरह हम फिल्म के टाइटल को 'सरजमीं-ए-हिंदुस्तान' में बदलने के फैसले पर पहुंचे। जिसका अर्थ है 'भारत की भूमि' जो यह दर्शाता है कि हमारे सैनिक भारत की भूमि के एक-एक इंच को दुश्मन ताकतों से बचाने के लिए कुछ भी करेंगे, भले ही इसके लिए उन्हें अपने जान ही क्यों न देनी पड़े।
फिल्म की कास्टिंग के बारे में बात करते हुए, चित्रा ने कहा कि फिल्म में हम चार मेन कैरेक्टर को दिखाया गया है, जिसमें कर्नल रैंक से लेकर मेजर और सिपाही तक शामिल हैं। इसलिए हमें विभिन्न आयु वर्ग के आर्टिस्ट की जरूरत थी जो विभिन्न रैंकों के अभिनय कर सकें। साथ ही, हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि आर्टिस्ट की जनता के मन में एक ताजा और पॉजिटिव इमेज हो, जो विवादों से मुक्त हो। इस तरह हमने इस कास्ट को इस्तेमाल करने का फैसला किया, जिनकी ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री एक-दूसरे के साथ कमाल की थी।
डॉक्टर से वीएफएक्स हेड बने फिल्म निर्माता नितिन कुमार गुप्ता ने फिल्म का निर्देशन किया है और चित्रा को लगता है कि उन्होंने फिल्म के साथ न्याय किया है।
चित्रा ने आगे कहा, "मेरी राय में एकमात्र व्यक्ति जो इस फिल्म को कर सकता था, वह नितिन हैं। बर्फ, बर्फीली नदियों, ठंडी हवाओं, जोखिम भरे पुलों और चट्टानों जैसी अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में हमारी सीमाओं पर निहत्थे युद्ध के बारे में एक कहानी बनाना उनका विजन था। उन्होंने कारगिल में स्थान पर फिल्मांकन पर जोर दिया और उन्होंने पूरी फिल्म में आर्टिस्ट और क्रूटीम को प्रेरित किया।"
फिल्म की रिलीज को लेकर उन्होंने कहा, "हम फिल्म को कदम दर कदम आगे ले जा रहे हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य व्यावसायिक नहीं है, बल्कि फिल्म को अधिक से अधिक लोगों को दिखाना है, ताकि लोग हमारे देश, हमारे सीमा सैनिकों की बहादुरी और बलिदान की सराहना कर सकें और उन्हें समय आने पर अपने देश के लिए लड़ने के लिए प्रेरित कर सकें।"
--आईएएनएस
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