सम्पादकीय

अपने-अपने बाबा जी

Rani Sahu
3 Sep 2022 1:51 PM GMT
अपने-अपने बाबा जी
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कर्नाटक के लिंगायत मतावलम्बियों के चित्रदुर्ग स्थित प्रसिद्ध मठ के मुख्य महंत जगद्गुरू शिवमूर्ति गुरुगा शरणारु को मैसूरु की पुलिस को आखिरकार 'हिरासत' में लेना पड़ा। इस मठ में बालिकाओं का छात्रावास भी है। इस छात्रावास की बालिकाओं का आरोप था कि मठ का महंत शिवमूर्ति उनके खाने-पीने में नशीली वस्तु मिलवा कर उन्हें बेहोश कर उनका यौन शोषण करता है। उसके राजनीतिक रसूख व दबदबे के कारण पुलिस उसके विरुद्ध कार्यवाही नहीं करती।
त्रसित किशोरियों की ओर से उनके अभिभावकों ने ओडानाडी नामक एन.जी.ओ., जो बाल सुरक्षा एवं बाल कल्याण के लिए काम करता है, को महंत की करतूत व पुलिस की अनदेखी की सूचना दी।एन.जी.ओ. ने अपनी ओर से महंत के विरुद्ध प्राथमिकी लिखाई और मामला मीडिया के सामने आया। चूँकि बालिकाएं दलित वर्ग की थी अतः कई दलित संगठन सड़कों पर आ गए।
हंगामा मचने पर पुलिस का सक्रिय होना मज़बूरी थी। महंत को गिरफ्तार दिखाकर उन्हें अस्पताल में भर्ती करा के हिरासत दर्शाई गई। कोर्ट ने कर्नाटक पुलिस को फटकार लगाई है कि महंत को कोर्ट में पेश करने के बजाज अदालत की अनुमति लिए बिना अस्पताल में भर्ती क्यूँ कराया गया।
जगद्गुरू शिवमूर्ति गुरुगा शरणारु लिंगापात सम्प्रदाय की धार्मिक हस्ती होने के साथ-साथ राजनीतिक रसूख भी रखते हैं। कांग्रेस हाईकमान के एक सदस्य राहुल गाँधी ने महंत शिवमूर्ति से योग की दीक्षा ली हुई हैं। कांग्रेस के साथ भाजपा एवं अन्य राजनीतिक दलों में उनकी गहरी पैठ बताई जाती है।
जब से नेताओं ने जनसम्पर्क, जनसेवा का मार्ग छोड़ वोट खेंचू नीति का सहारा लिया है तब से वोट बैंक बनाने में इन नकली बाबाओं, महंतो, संतो योगाचार्यों का महत्व बढ़ गया है। कभी धीरेन्द्र ब्रह्मचारी का दबदबा था, फिर गोल्डन बाबा, कम्प्यूटर बाबा, मिर्ची बाबा पैदा हुए। नेतागण असली बापू के अनुयायी बनने के बजाय नकली बापू के चरण वंदना में जुट गए। राम रहीम के सिंद्धान्तो को भूल कर नकली राम रहीम के शरणागत होते हैं क्योंकि उनके करोड़ों शिष्यों के वोट उन्हें मिलने की आस बनी रहती है। वोट बैंक को लालसा में ही देवबंदी और बरेवली मौलानाओं के सजदे किये जाते हैं। अब तो नेतागण बंगाल, असम, त्रिपुरा के घुसपैठिये मौलानाओं की परिक्रमा भी करने से नहीं चूकते। वोटों के खातिर किसी नामालूम शख्त को भी पीर बना देते हैं। खुशहाल का हालिया मामला सबके सामने है। आर्य समाज इन आडंबरों व ढकोसलों पर प्रखरता से प्रहार करता था किन्तु वह प्रभावहीन होता जा रहा है।
गोविन्द वर्मा
Rani Sahu

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