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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में दोबारा सरकार बनाने के बाद अपने पहले बजट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityantah) की सरकार ने करीब दो माह पहले निपटे विधानसभा चुनावों में किए गए वादों को पूरा करने के लिए जरूरी आर्थिक कसरत की तगड़ी कवायद की है
रंजीव |
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में दोबारा सरकार बनाने के बाद अपने पहले बजट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityantah) की सरकार ने करीब दो माह पहले निपटे विधानसभा चुनावों में किए गए वादों को पूरा करने के लिए जरूरी आर्थिक कसरत की तगड़ी कवायद की है. चुनाव में बीजेपी की ओर से जारी लोक कल्याण संकल्प पत्र यानी चुनावी घोषणा पत्र में वादों की भरमार थी. जनता ने वादों पर भरोसा करते हुए फिर एक बार बीजेपी की सरकार बना दी है. सरकार के सामने अब वादों को पूरा करने की चुनौती है. लिहाजा योगी सरकार 2.0 का पहला बजट (Budget 2022) चुनावी राजनीति की मजबूरियों को अर्थ नीति से साधने की दिशा में किया गया प्रयास है.
वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए विधानसभा में गुरुवार 26 मई को पेश बजट का आकार 615518.97 करोड़ रुपए है. इसका एक पहलू यह भी है कि सरकार इसे महज एक वित्तीय वर्ष तक सीमित रखने के बजाय इसे अगले पांच साल के लिए सरकार के आर्थिक विजन के रूप में पेश कर रही है. विधानसभा में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और बाद में प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसका उल्लेख भी किया. विधानसभा चुनाव से पूर्व जारी लोक कल्याण संकल्प पत्र में कुल 130 घोषणाएं थीं, जिसमें 97 संकल्पों को इस पहले ही बजट में जगह मिली है, जिनमें, 44 नई हैं. संकल्प पत्र के इन वादों पर अमल के लिए बजट में 54,883 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है.
2025 में होने वाले प्रयागराज महाकुंभ को मेगा इवेंट बनाएगी सरकार
चुनावी वादों को साधने की ललक के कारण ही इस बजट में आधुनिक परिवहन व्यवस्था के लिए मेट्रो रेल के वास्ते प्रावधान है, प्रदेश के युवाओं को जमाने की दौड़ में शामिल रखने के लिए स्मार्ट फोन/टैबलेट की बात भी है तो वहीं बीजेपी के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एजेंडे के तहत बुजुर्ग पुजारियों, संतों और पुरोहितों के लिए एक पुरोहित कल्याण बोर्ड के गठन के कार्यक्रम को भी इस बजट में शामिल किया गया है. इसी तरह साल 2025 में प्रयागराज में प्रस्तावित महाकुंभ को एक मेगा धार्मिक-आध्यात्मिक इवेंट के रूप में आयोजित करने के लिए भी अभी से काम शुरू करने और उसके लिए बजट में प्रावधान है. उल्लेखनीय है कि योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान साल 2019 में प्रयागराज में हुए कुंभ मेले को भी खासा भव्य आयोजन बनाया था.
देश के बाकी राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी बेरोजगारी बड़ी समस्या है. हाल में हुए विधानसभा चुनावों में युवा वोटरों के लिए यह अहम मुद्दा भी था. दोबारा सरकार में लौटी बीजेपी इस मोर्चे पर कोई गफलत नहीं छोड़ना चाहती है. ऐसे में नई सरकार के पहले बजट में रोजगार और स्वरोजगार के सृजन के लिए हर परिवार का एक व्यक्ति सरकारी नौकरी अथवा रोजगार या स्वतः रोजगार के साथ जुड़े, इसके लिए घर-घर सर्वेक्षण के कार्यक्रम की शुरुआत के लिए भी बजट में प्रावधान किया गया है.
10 हजार स्टार्टअप शुरू कराने का लक्ष्य
आर्थिक मामलों के जानकार और लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मनीष हिंदवी बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहते हैं, अगले माह होने वाले इन्वेस्टर्स समिट के जरिए 75 हजार करोड़ रुपए के भारी भरकम निवेश का सरकार ने लक्ष्य रखा है, इसके अलावा 10 हजार स्टार्टअप शुरू करवाने और आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का भी बजट में उल्लेख है. ये स्वागत योग्य कदम हैं क्योंकि वैश्विक स्तर पर कहीं की भी अर्थव्यवस्था इन दिनों पटरी पर नहीं हैं, ऐसे में यूपी सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को गति देने के ये प्रयास सकारात्मक दिशा में उसकी दूरगामी सोच बताते हैं. अलबत्ता इसे ठीक से जमीन पर उतारा भी जाए.
सोर्स- tv9hindi.com
Rani Sahu
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