सम्पादकीय

यमराज का झोटा दिल्ली में

Rani Sahu
12 July 2022 6:55 PM GMT
यमराज का झोटा दिल्ली में
x
यमराज को कुछ हफ्तों से लग रहा था कि उनके यमदूत भी जंबूद्वीप के कर्मचारियों की तरह हो गए हैं

यमराज को कुछ हफ्तों से लग रहा था कि उनके यमदूत भी जंबूद्वीप के कर्मचारियों की तरह हो गए हैं, टेसू के पत्ते के नीचे रात गुजारने वाले। एक जीव को लाने में दस दस दिन लगा देते हैं। और जो उनसे इस लेट लतीफी के बारे में पूछा जाए तो ऐसा सॉलिड बहाना बनाते हैं कि…। अगर वे जीवों को यमलोक लाने में ऐसा ही लचरपना बरतते रहे तो…। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है कि जन्म कुंडली पूरी होने पर भी जीव समय पर उनके द्वार नहीं पहुंच रहे? कहीं कोई न कोई पेंच तो जरूर है। पर कहां है? उन्होंने तय किया कि वे इस पेंच का राज जानकर ही रहेंगे। कल ज्यों ही चित्रगुप्त ने दातादीन की बही देखी तो उन्होंने यमराज से कहा, 'सर! दिल्ली के अस्पताल में मौत से बचने के लिए लेटे दातादीन की जन्म कुंडली पूरी हो गई है। उसे अब यमलोक लिवाने हेतु यमलोक से यमदूत भेजने का वक्त आ गया है। दिल्ली की प्रदूषित हवा में उसका शरीर तो घुटा ही, इससे पहले कि अब दातादीन की आत्मा भी घुटे, उसकी आत्मा को घुटने से बचाइए सर! अगर आत्मा भी प्रदूषित हवा से घुटने लग गई फिर तो…।' 'नहीं चित्रगुप्त! अबके हमने फैसला किया है कि अबके हम यमदूत के बदले खुद दातादीन की रुह को लाने जाएंगे।' और वे सच की तलाश में उस निजी अस्पताल आ पहुंचे जहां दातादीन का मरा शरीर अभी भी आईसीयू के बेड पर दसों द्वारों में पाइपें लगावाए जीने की उम्मीद में लेटा था। उसके परिवार वाले पल पल खाली हो रही जेब को कस कर पकड़े परेशान थे। उन्हें कोई कुछ नहीं बता रहा था। उसके मरे शरीर के चारों ओर चमत्कारी मशीनें घरड़ घरड़ कर रही थीं। यमराज उन मशीनों को देख भौंचक रह गए। वाह! कमाल की तरक्की कर ली मैडिकल साइंस ने! पैसे के लिए मरे शरीर को भी हवा दे रहे हैं।

यह देख उन्हें अस्पताल पर हंसी भी आई। उनका मन अस्पताल के चमत्कार को देख जोर से हंसने को हुआ, पर वे चुप रहे। जब आईसीयू में दातादीन के पंचतत्व के सड़ते शरीर को डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए बिल का इंजेक्शन देते अपनी दोनों बाहों के बाजू चढ़ा ज्यों ही उसकी मृत देह को जिंदगी का इंजेक्शन देने को कमर कसी कि यमराज ने उससे सानुनय पूछा, 'डॉक्टर साहब! ये क्या हो रहा है?' 'कौन? किसने इजाजत दी तुम्हें आईसीयू में आने की? जीना चाहते हो तो आगे कुछ पूछने से पहले यहां से नौ दो बारह हो जाओ वरना…।' डॉक्टर ने सीरिंज में पानी भरते इधर इधर देखते पूछा। 'अरे डाक्टर साहब! ये तो मर चुका है!' अदृश्य यमराज ने धीरे धीरे हंसते कहा तो डॉक्टर गरजा, 'आखिर तुम कौन हो हमारे बिल और हम पर उंगली उठाने वाले…।' 'यमराज हूं डॉक्टर साहब!' यमराज ने उनके सामने आते कहा। 'तो यहां क्या कर रहे हो? अपना काम करो। हमारे काम में दखल दोगे तो…देखो! तुम चाहे कोई भी हो। हमें किसी से कुछ लेना देना नहीं। हमारे कर्त्तव्य में रोड़े मत डालो। हमें मरे का इलाज पूरी निष्ठा से करने दो।' 'जब आदमी ही आपकी दवाई के इंजेक्शन से बच नहीं पाया तो मुर्दे को इंजेक्शन क्यों?' 'डॉक्टर से पूछते हो? नहीं मानते तो लो दातादीन के पार्थिव शरीर के बदले तुम्हें ही…।' डॉक्टर ने हवा में पानी से भरा इंजेक्शन लहराया तो यमराज ऐसे डरे…ऐसे डरे कि…बेचारों ने सिर पर पैर धरे अपने लोक में आकर ही सांस ली। इसी दौड़ा दौड़ी में उनका झोटा भी दिल्ली में ही रह गया। राजनीति के संवेदनशील जानकारों से पता चला है कि आजकल वह वहां जम कर राजनीति कर रहा है।

सोर्स- divyahimachal

Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story