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- जापान के साथ
भारत और जापान के बीच बढ़ते संबंधों की जितनी सराहना की जाए कम होगी। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की पहली भारत यात्रा अपेक्षा अनुरूप ही बहुत फलदायी रही है। दोनों देशों के बीच परस्पर विश्वास इनके बीच होने वाले व्यावसायिक, तकनीकी, सांस्कृतिक, रणनीतिक समझौतों में साफ झलकता है। कुछ ही देश हैं, जिनके प्रति भारतीयों को स्वाभाविक लगाव है, उनमें से एक जापान सबसे अलग है। दोनों देशों के बीच व्यापार की मात्रा उम्मीद और लक्ष्य के अनुरूप बढ़ती जा रही है, तो कोई आश्चर्य नहीं। सबसे बड़ी बात कि जापान आगामी पांच वर्षों में भारत में 3.20 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेगा। चूंकि साल 2014 में तय लक्ष्य कमोबेश हासिल हो चुके हैं, इसलिए भी उम्मीदें बढ़ गई हैं। दोनों देशों के बीच मोटे तौर पर छह से ज्यादा समझौते हुए हैं। तकनीकी, व्यवसाय, पर्यावरण, साइबर सुरक्षा इत्यादि के स्तर पर भी भारत को फायदा होने वाला है। यह बहुत खुशी की बात है कि आज भारत में 1,455 जापानी कंपनियां हैं। ग्यारह जापानी औद्योगिक टाउनशिप (जेआईटी) की स्थापना की गई है। जापान विदेशी पूंजी निवेश के मामले में भारत का पांचवां सबसे बड़ा स्रोत है।
क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान