सम्पादकीय

क्या परमाणु हमला होगा?

Rani Sahu
1 March 2022 7:07 PM GMT
क्या परमाणु हमला होगा?
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हमारा मानवीय भरोसा है कि रूस परमाणु हमला नहीं करेगा

हमारा मानवीय भरोसा है कि रूस परमाणु हमला नहीं करेगा। राष्ट्रपति पुतिन उसके व्यापक और विध्वंसक नतीजों को जानते हैं। करीब 77 सालों के बाद एक बार फिर परमाणु युद्ध का खौफ सामने है, लिहाजा हड़कंप स्वाभाविक है। यदि इस दौर मंे परमाणु हमले की नौबत आई, तो पूरी कायनात ही खत्म हो सकती है। रूस के पास 6257 परमाणु हथियार बताए जाते हैं, तो अमरीका भी करीब 5500 आणविक अस्त्रों के साथ बहुत पीछे नहीं है। विनाश के लिए तो 2-3 एटम बम और मिसाइलें आदि ही पर्याप्त हैं। फ्रांस और ब्रिटेन भी परमाणु शक्ति वाले देश हैं, लेकिन यह भी हकीकत है कि पुतिन ने रूस के परमाणु दस्ते को सतर्क कर दिया है। रक्षा मंत्री ने रूसी राष्ट्रपति को ब्रीफ किया है कि दस्ते ने युद्ध की तैयारी भी शुरू कर दी है। मिसाइल कमांड और बॉम्बर को भी अलर्ट कर दिया गया है। परमाणु युद्ध की संभावनाओं के मद्देनजर बुधवार को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी और संयुक्त राष्ट्र के 35 देशों के एक विशेष बोर्ड की बैठकें बुलाई गई हैं। संकेत बेहद खतरनाक हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए महासचिव गुतारेस ने आग्रह किया है कि यूक्रेन में युद्ध को तुरंत समाप्त किया जाए। सवाल यह है कि कौन-सा देश ऐसे संबोधन को गंभीरता से ग्रहण करता है? बहरहाल पुतिन सनकी और जिद्दी राजनेता हैं। दरअसल रूस के पास ऐसे परमाणु हथियार और बम हैं, जिनके सामने हिरोशिमा और नागासाकी के एटम बम 'दिवाली के पटाखे' लगते हैं। रूस जल, थल और आसमान तीनों माध्यमों के जरिए परमाणु हमला कर सकता है।ं

इसे रूस और पुतिन की हताशा मानें या बौखलाहट, घबराहट करार दें, लेकिन संकेत अच्छे और मानवीय नहीं हैं। हालांकि अधिकतर विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन दुनिया को डरा रहे हैं, घुड़कियां दे रहे हैं, लेकिन ऐसे भी वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ हैं, जो पुतिन के बयान को हल्के में लेने के पक्षधर नहीं हैं। सवाल यह है कि रूस के सामनेे परमाणु हमले की नौबत ही क्यों आई? यूक्रेन पर रूस के हमले को पांच दिन बीत चुके हैं। रूस ने बमों, मिसाइलों, रॉकेटों की बौछार कर काफी-कुछ तबाह और बर्बाद किया है। इनसानी जानें भी गई हैं। रूस के अपने 5300 से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके हैं। दरअसल राष्ट्रपति पुतिन और उनके रणनीतिकारों को यह अंदाज़ा नहीं था कि यूक्रेनी सेनाएं इतना प्रतिरोध कर सकेंगी। राजधानी कीव के भीतर रूसी सेनाएं, लगातार हमलों के बावजूद, नहीं घुस सकेंगी। यूक्रेन के नागरिक भी रूसी टैंकों पर कथित पेट्रोल बमों से हमले कर रहे हैं। रूस युद्ध को लंबा खींचने के पक्ष में नहीं है, क्योंकि उसके सैन्य अभियान पर हररोज़़ औसतन 1.25 लाख करोड़ रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। चौतरफा आर्थिक पाबंदियों के कारण यह खर्च, एक हद के पार, करना मुनासिब नहीं है। रूसी मुद्रा रुबल करीब 40 फीसदी गिर चुकी है। रूस के सेंट्रल बैंकों पर अमरीका और अन्य देशों के कब्जे हैं। रूस जमा विदेशी मुद्रा भी खर्च नहीं कर सकता, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग भी संभव नहीं है।
वैश्विक कारोबार बेहद सीमित हो गया है। यदि युद्ध 15-20 दिन तक चला और अमरीका, यूरोपीय तथा नाटो देशों का दखल बढ़ा और यूक्रेन को आर्थिक, हथियारों की मदद मिलने लगी, तो रूस में कंगाली के हालात उभर सकते हैं, लिहाजा पुतिन का मानस बताया जा रहा है कि वह सीमित परमाणु हमला कर सकते हैं। विध्वंस तो उससे भी होगा और तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत हो सकती है। उस स्थिति में दुनिया के देश एक तरफ होंगे और रूस अकेला ही दूसरी तरफ होगा। इन हालात में चीन भी अलग रहेगा। ऐसा विश्लेषण 'द इकॉनोमिस्ट' में छपा है। रपट में यह भी कहा गया है कि पुतिन चाहते हैं कि मौजूदा सैन्य अभियान समय और रणनीति के मुताबिक चले। यूक्रेन में सत्ता को पलटा जा सके और वहां विसैन्यीकरण हो। 'कठपुतली सरकार' वहां बैठे और रिमोट रूस के हाथ में रहे। क्या सिर्फ इसी आधार पर इतना विध्वंसक युद्ध छेड़ने की जरूरत थी? यह सवाल संयुक्त राष्ट्र में भी उठा था। बहरहाल पुतिन की धमकी को अमरीका और अन्य देशों ने गंभीरता से लिया है। अमरीका ने मास्को में अपने नागरिकों को तुरंत देश लौटने की सलाह दी है। देखते हैं कि परमाणु युद्ध की इस सनक की नियति क्या होती है।

क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल

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