सम्पादकीय

रूस-यूक्रेन जंग की आंच क्या यूरोपीय देशों को भी झुलसाएगी?

Rani Sahu
26 Feb 2022 6:47 PM GMT
रूस-यूक्रेन जंग की आंच क्या यूरोपीय देशों को भी झुलसाएगी?
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जो आशंका थी, यूक्रेन की धरती पर अब वही देखने को मिल रहा है

नरेन्द्र भल्ला

जो आशंका थी, यूक्रेन की धरती पर अब वही देखने को मिल रहा है और रूस द्वारा छेड़ी गई इस जंग ने तीसरे दिन ही अपना भीषण रुप ले लिया है. रूसी हमले में दोनों मुल्कों के सैंकड़ों सैनिकों के अलावा यूक्रेन के दो सौ से भी ज्यादा नागरिकों के मारे जाने की भी खबर है. हालांकि अमेरिका और नाटो देशों ने रूसी सेना से भिड़ने के लिये यूक्रेन को अकेला छोड़ दिया है क्योंकि इनमें से किसी ने भी जमीन पर अपनी कोई सैन्य मदद नहीं दी है. रूसी सेना राजधानी कीव में घुस चुकी है और अब मिसाइल हमलों में रिहायशी इलाकों को भी निशाना बनाया जा रहा है. लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति ने अमेरिका के इस सुझाव को मानने से इनकार करते हुए कह दिया है कि वे देश छोड़कर नहीं जाएंगे, बल्कि लड़ते रहेंगे.
इस जंग के बीच अब औपचारिक तौर पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत करके मदद की गुहार लगाई है. यूक्रेन में फंसे 20 हजार भारतीयों को सुरक्षित निकाला जा रहा है. छात्रों के पहले जत्थे को लेकर विमान देर शाम मुंबई पहुंच गया, लेकिन सभी भारतीयों को निकालने में अभी कई दिन का वक़्त लगेगा क्योंकि सरकार ने एयर इंडिया की चार विशेष फ्लाइट ही संचालित की हैं.
खबर है कि इस लड़ाई के बीच यूक्रेन के खारकीव मेट्रो स्टेशन में करीब 160 भारतीय छात्र फंस हुए हैं. मेट्रो स्टेशन में फंसे हुए छात्रों ने भारत सरकार से अपील की है कि उन्हें जल्द से जल्द वहां से निकाला जाए. मेट्रो स्टेशन पर फंसे छात्रों में से एक छात्र अमन यादव ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत की. उन्होंने कहा कि यहां का माहौल बहुत खराब है और बमबारी शूरू हो गई है.
जंग छिड़ने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने ट्वीट कर बताया है कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है. उन्होंने लिखा है कि मैंने पीएम मोदी को रूस के हमले की जानकारी दी और बताया कि "एक लाख से ज़्यादा हमलावर उनकी ज़मीन पर चले आए हैं और रिहाइशी इमारतों पर अंधाधुंध गोलीबारी कर रहे हैं." उन्होंने साथ ही लिखा, "हम भारत से आग्रह करते हैं कि वो हमें सुरक्षा परिषद में राजनीतिक समर्थन दे. हम मिलकर हमलावर को रोकें." उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी ने यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद गुरुवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी फ़ोन पर बात की थी.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने शनिवार को एक बार फिर नया वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उनकी सेना ने रूस की उस योजना को नाकाम कर दिया जिसमें पिछली रात उन्हें पकड़कर उनकी जगह वो अपने नेता को बिठाना चाहते थे. वोलोदिमिर जेलेंस्की ने इस संदेश में कहा, "हमने उनका प्लान बेकार कर दिया." उन्होंने कहा कि यूक्रेन की सेनाओं का राजधानी कीव और उसके आस-पास के मुख्य शहरों पर पूरा नियंत्रण है और यूक्रेन के हर शहर में रूसी सैनिकों को कड़ी टक्कर मिल रही है. उन्होंने साथ ही रूस की जनता से आग्रह किया है कि वो अपने राष्ट्रपति पर हमले को बंद करने के लिए दबाव डालें.
ज़ेलेंस्की ने इससे पहले कीव की सड़कों पर चलते हुए ट्विटर पर अपना एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने इस बात को ग़लत बताया कि उन्होंने अपनी सेना से रूस के सामने समर्पण का आदेश दिया है. उन्होंने उस वीडियो में कहा- "मैं यहीं हूं. हम हथियार नहीं डालेंगे. हम अपने देश की रक्षा करेंगे."
उधर, रूस ने दावा किया है कि यूक्रेन के दक्षिण में स्थित मेलितोपोल शहर पर उनकी सेना ने पूरी तरह से कब्ज़ा कर लिया है. रूस ने ये भी कहा है कि उसकी सेना जल्द ही राजधानी कीव को भी पूरी तरह से अपने नियंत्रण में ले लेगी. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शुक्रवार की दी रात रूस के खिलाफ लाये गए निंदा प्रस्ताव पर वोटिंग हुई लेकिन इस प्रस्ताव के ख़िलाफ़ रूस ने अपने वीटो का इस्तेमाल किया. हालांकि भारत, चीन और यूएई ने इस वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. भारत के इस रुख की रूस ने सराहना की है. भारत में वोटिंग में हिस्सा न लेने की वजह बताते हुए कहा कि मतभेद और विवादों को निपटाने के लिए बातचीत एकमात्र ज़रिया है, चाहें ये रास्ता कितना भी मुश्किल क्यों न हो. ये खेद की बात है कि कूटनीति का रास्ता छोड़ दिया गया है. हमें इस पर लौटना ही होगा. इन सभी वजहों से भारत ने इस प्रस्ताव पर मतदान नहीं करने का विकल्प चुना है.
उधर, फेसबुक ने रूस के मीडिया चैनलों पर बैन लगाने का एलान किया है. ये बैन पूरी दुनिया में लगाया गया है. यानी पूरी दुनिया में लोग अब रूस के मीडिया चैनल को फेसबुक पर देख नहीं पाएंगे. फेसबुक ने कहा है कि रूसी चैनल न तो प्रचार कर पाएंगे और न ही कमाई.
रूस के पूर्व प्रधानमंत्री दमित्री मेदवदेव का कहना है कि उनके देश को पश्चिमी देशों के साथ कूटनीतिक संबंध बनाए रखने की अब कोई ज़रूरत नहीं है. वो अभी रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष हैं. मेदवदेव ने हमले के बीच रूसी सोशल मीडिया नेटवर्क वीके पर एक पोस्ट में लिखा है कि अब "दूतावासों को बंद करने" का समय आ गया है. उन्होंने लिखा कि रूस यूक्रेन पर तब तक हमला जारी रखेगा जब तक कि वो राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लक्ष्य को हासिल नहीं कर लेता.
इस बीच ब्रिटेन के एक बड़े रक्षा अधिकारी ने कहा है कि ब्रिटेन और 25 अन्य देशों के बीच यूक्रेन को और ज्यादा मानवीय और हथियारों की सहायता देने पर सहमति हो गई है. उनके मुताबिक ब्रिटेन अब इन देशों के साथ मिलकर इस बात की व्यवस्था करेगा कि इस सैन्य मदद को कैसे पहुंचाया जाए और यूक्रेन के लोगों के हाथों में सौंपा जाए. हालांकि ब्रिटेन ने यूक्रेन को एन्टी टैंक मिसाइल व अन्य हथियार भी दिए हैं. उसने दक्षिणी यूरोप में आरएएफ़ के अतिरिक्त लड़ाकू विमान तैनात किए हैं और पूर्वी भूमध्य सागर में गश्त करने के लिए रॉयल नेवी का युद्धक पोत भी भेजा है. यहां पहले से ही नेटो के युद्धक पोत मौजूद हैं. डेनमार्क, स्पेन, फ़्रांस और नीदरलैंड्स ने भी पूर्वी यूरोप और पूर्वी भूमध्यसागर में जंगी विमान और युद्धपोत भेजे हैं
कुल मिलाक रूस-यूक्रेन की इस जंग की आंच आने वाले दिनों में और फैलेगी, इसलिये सवाल उठ रहा है कि कहीं यूरोप के कुछ देश भी इसमें न झुलस जायें?


Rani Sahu

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