सम्पादकीय

विवाद भरी यात्रा से भारत जोड़ेंगे?

Rani Sahu
16 Sep 2022 1:38 PM GMT
विवाद भरी यात्रा से भारत जोड़ेंगे?
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by Lagatar News
Dr. Santosh Manav
राजनीति-राजनीतिक और विवाद एक दूसरे के पूरक हैं. जहां विवाद है, वहां राजनीतिक होंगे और जहां राजनीतिक हैं, वहां विवाद से कौन इंकार कर सकता है? फिर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा विवाद से दूर कैसे रहती? कमाल यह है कि हर रोज एक विवाद है. यह संयोग है या प्रयोग या दोनों? राहुल गांधी ने सात सितंबर से भारत जोड़ो यात्रा शुरू की है और अमूमन हर रोज एक विवाद है.
यात्रा के साथ साठ कंटेनर हैं. कंटेनर क्या हैं, पूरा घर है. सब कुछ कंटेनर में. कुछ कंटेनर वातानुकूलित (एसी) भी हैं. किसी में एक, किसी में दो तो किसी में चार-छह तक बिस्तर हैं. बीजेपी ने कंटेनरों पर सवाल खड़ा किया कि राहुल गांधी वातानुकूलित यात्रा से देश जोड़ेंगे? तमिलनाडु और केरल में अभी तीस डिग्री के आसपास तापमान है. यानी मौसम गर्म है. क्या बीजेपी यह चाहती है कि राहुल गांधी बिना एसी के आराम करें. क्या एसी अब लग्जरी है. क्या राहुल के एसी कंटेनर पर सवाल उठाने वाले बीजेपी के नेता बिना एसी वाले घरों में रहते हैं. क्या बीजेपी व्यर्थ का विवाद खड़ा नहीं कर रही है? नफरत की आंच कम करने से एसी का क्या संबंध है. एसी- नन एसी का सवाल क्यों? तो हुआ यह कि विपक्षी दल का अगुआ नेता है, किसी तरह उसे बदनाम करो.
दूसरा विवाद राहुल के पहनावे पर. बीजेपी ने कहा कि राहुल गांधी ने 41 हजार की शर्ट पहन रखी है. बताया गया कि दुनिया के सबसे मशहूर, पुराने और महंगे ब्रांड की टी-शर्ट राहुल के बदन पर है. इस ब्रांड के कपड़े दुनिया की महान हस्तियां पहनती हैं. राहुल ने जिस कथित ब्रांड की टी-शर्ट पहन रखी है, उसके बारे में भी कुछ जान लीजिए. 1856 में एक ब्रिटिश नागरिक थॉमस बरबेरी ने 21 साल की उम्र में बरबेरी नाम के ब्रांड की स्थापना की थी. थॉमस बरबेरी का सिद्धांत था कि कपड़ों को लोगों को मौसम से बचाने के लिए डिजाइन किया जाना चाहिए. इस ब्रांड के कपड़े डिजाइन होते ही पेटेंट करा लिए जाते हैं. बरबेरी भारत में डायरेक्ट स्टोर के जरिए व्यापार नहीं करती है. भारत में थर्ड पार्टी के जरिए बरबेरी के कपड़े मिलते हैं. बरबेरी की टी-शर्ट की शुरूआती कीमत भारत में 20 हजार है, लेकिन ठीक-ठाक टी-शर्ट की कीमत 40 हजार से ऊपर है. राहुल गांधी ने जो टी-शर्ट पहनी है, उसकी खासियत के बारे में बरबेरी ने अपने वेबसाइट पर लिखा है – एक क्लासिक पोलो शर्ट, जिसमें ऑर्गेनिक कॉटन पिक है.
जिसे कढ़ाई वाले मोनोग्राम मोटिफ के साथ अपडेट किया गया है और विंटेज चेक का भी इस्तेमाल किया गया है. भारत जोड़ो यात्रा से टी -शर्ट का क्या संबंध? क्या राहुल की हैसियत बरबेरी ब्रांड की टी-शर्ट पहनने की नहीं है? क्या जवाहरलाल नेहरू के परपोते को मारकीन का कपड़ा पहनना चाहिए. यह एक आदर्श स्थिति होगी, जब देश के जनसेवक (नेता) सादा जीवन, उच्च विचार रखें. नेतागण गांधी, विनोबा और शास्त्री सरीखा जीवन जीएं. लेकिन, ऐसा है नहीं. बीजेपी के तमाम नेता लग्जरी लाइफ में डूबे हैं. बीजेपी के सर्वोच्च नेता दस लाख का शूट पहनने से इंकार नहीं करते. डेढ लाख का चश्मा और एक लाख की कलम रखते हैं. ऐसे में 41 हजार की टी-शर्ट पर आलोचन क्यों? अगर हम लग्जरी लाइफ के लिए किसी की आलोचना करते हैं, तो पहले अपनी और अपने नेताओं की जिंदगी में भी ताकझांक कर लेनी चाहिए. नहीं, तो सूप और चलनी वाली कहावत चरितार्थ होगी.
यात्रा के क्रम में राहुल ने एक विवादित पादरी से मुलाकात की. नाम है जॉर्ज पोन्नैया. पादरी महोदय जहरीले भाषण के लिए कुख्यात हैं. कट्टर माने जाते हैं. प्रधानमंत्री, गृह मंत्री के लिए आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग कर चुके हैं. पादरी महोदय अपने आराध्य को असली ईश्वर मानते हैं. ऐसे कट्टर लोगों से मिलकर राहुल सामाजिक सदभाव कैसे लाएंगे? भारत कैसे जोड़ेंगे. बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाया. राहुल को ऐसे लोगों से बचना चाहिए और उस नेता से जवाब तलब करना चाहिए, जिसने पोन्नैया से राहुल को मिलवाने का कार्यक्रम तय किया.
पता नहीं, किसने और किस योजना के तहत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस) की जलती निकर (पैंट) वाली तस्वीर कांग्रेस के ट्वीटर हैंडल से जारी की. कौन ऐसा ज्ञान देता है? संघ हिंदुओं का संगठन हैं. यह ठीक है कि इसके अधिकतर सदस्य बीजेपी समर्थक हैं. लेकिन, यह भी बड़ा सच है कि सब बीजेपी के साथ नहीं हैं. ऐसी बेवकूफी भरी हरकतों से सामाजिक सदभाव नहीं आता. वैसे, कहने को यह भारत जोड़ो यात्रा है. असल में यह एक राजनीतिक यात्रा है, जिसका मकसद वोट जोड़ना है. भले, कांग्रेस कहती रहे कि इस यात्रा का राजनीति से कुछ लेना-देना नहीं है.
ऐसा नहीं है कि विवाद सिर्फ बीजेपी खड़ा कर रही है. सीपीआई (एम) ने पूछा है कि राहुल की यात्रा केरल में उन्नीस दिन और यूपी में बमुश्किल एक दिन क्यों? क्या यूपी में सदभाव है? सवाल में दम तो है. राहुल की यात्रा को आठ दिन हुए हैं और इतने ही विवाद खड़े हो चुके हैं. ज्यादा विवाद भी गुड़ को गोबर कर देता है, राहुल को सोचना होगा. पहले की यात्राएं भी अविवादित नहीं रही हैं. पर इतने विवाद तो कभी नहीं थे. अभी यात्रा को आठ ही दिन हुए हैं. 142 दिन बाकी हैं. सोचिएगा राहुल गांधी.
Rani Sahu

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