सम्पादकीय

खत्म होगी आजम की नाराजगी? रामपुर का किला बचाने के लिए अखिलेश से डील करेंगे आजम खान

Rani Sahu
5 May 2022 9:54 AM GMT
खत्म होगी आजम की नाराजगी? रामपुर का किला बचाने के लिए अखिलेश से डील करेंगे आजम खान
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समाजवादी पार्टी के नेता और रामपुर से विधायक आजम खान (Azam Khan) पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से नाराज बताए जा रहे हैं

हरीश तिवारी |

समाजवादी पार्टी के नेता और रामपुर से विधायक आजम खान (Azam Khan) पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से नाराज बताए जा रहे हैं. सपा नेता आजम खान ने कभी अपनी जुबान ने ये नाराजगी नहीं जाहिर की, लेकिन इशारों-इशारों और खुद की लिखी स्क्रिप्ट को उन्होंने अपने करीबी लोगों से पढ़वाया और सियासी तौर पर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को मैसेज भी दिया ताकि पार्टी अध्यक्ष इसे समझ सके. आजम की नाराजगी को लेकर भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं क्योंकि उनकी नाराजगी रामपुर सीट से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद ही पहली बार दिखी है. जबकि आजम खान पिछले 26 महीने से जेल में बंद हैं. राजनीति के जानकार इसे सियासत के दिग्गज आजम खान की प्रेशर पॉलिटिक्स के तौर पर भी देख रहे हैं. क्योंकि रामपुर में लोकसभा का उपचुनाव (Rampur Lok Sabha by-election) होना है और पिछले एक दशक में आजम खान ने समाजवादी में जो चाहा वह किया और कुछ ऐसी ही हसरतें अब भी हो सकती हैं. जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में आजम खान, अखिलेश यादव को लेकर मुलायम हो सकते हैं. अगर अखिलेश यादव रामपुर लोकसभा उपचुनाव में उनके परिवार को टिकट दें तो.
मुलायम सिंह के करीबी रहे और समाजवादी पार्टी में मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले आजम खान सीतापुर जेल में बंद हैं. आजम खान को जेल में करीबी 26 महीने से ज्यादा हो गया है और इस दौरान उन्होंने और ना ही उनके समर्थकों ने समाजवादी, मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के खिलाफ नाराजगी जगजाहिर की. ना ही आजम खान को इस बात को लेकर शिकायत रही कि अखिलेश यादव उनसे मिलने जेल में नहीं आए. लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद एकाएक ऐसा क्या हो गया कि आजम खान की नजर में अखिलेश यादव खटकने लगे और उन्हें लगने लगा कि पार्टी अध्यक्ष उन्हें दरकिनार कर रहे हैं? कहीं इसका कारण रामपुर में होने वाला लोकसभा का उपचुनाव तो नहीं है? आजम खान विधानसभा के सदस्य हैं और लोकसभा से इस्तीफा दे चुके हैं. जाहिर है रामपुर में लोकसभा का उपचुनाव होगा. ऐसे में पार्टी किसे टिकट देगी, ये बड़ा सवाल है.
आजम खान ने सपा को कराया अपनी ताकत का अहसास
रामपुर में लोकसभा का उपचुनाव होना है और अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या अखिलेश यादव आजम खान के परिवार के किसी सदस्य को टिकट देंगे? कुछ ऐसा ही सवाल आजम खान के जेहन में चल रहा है. क्योंकि पिछले तीन दशक के अपने सियासी कैरियर में आजम खान ने रामपुर में जो चाहा वो कराया. समाजवादी पार्टी सरकार में आजम खान ने रामपुर में समान्तर सत्ता चलाई और वह खुद को रामपुर का सीएम कहने से भी नहीं चूकते थे. रामपुर से 2019 का लोकसभा चुनाव जीतने और सीतापुर जेल से ही विधानसभा चुनाव जीतने के बाद अपनी ताकत का अहसास समाजवादी पार्टी को करा तो दिया ही है.
परिवार के लिए उपचुनाव में टिकट मांग सकते हैं आजम
ये चर्चा है कि आजम खान रामपुर में होने वाले लोकसभा उपचुनाव के लिए अपने परिवार के किसी सदस्य के लिए टिकट मांग सकते हैं. आजम खान के दूसरे बेटे अभी राजनीति में सक्रिय नहीं है. आजम खान के एक बेटे अब्दुल्ला आजम खान स्वार सीट से विधायक हैं. आजम खान की पत्नी तंजिम फात्मा राज्यसभा सदस्य के साथ ही यूपी विधानसभा की सदस्य रह चुकी हैं. विधानसभा चुनाव से पहले आजम खान के दूसरे बेटे की पत्नी ने सियासत में किस्मत आजमाने के भी संकेत दिए थे. लिहाजा आने वाले दिनों में आजम खान रामपुर में अपना सियासी किला बचाने के लिए पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से डील कर सकते हैं और अपने परिवार के किसी सदस्य को टिकट दिला सकते हैं. जानकार कहते हैं कि ये अखिलेश यादव के लिए नुकसान का सौदा नहीं है. क्योंकि आजम खान के नाम पर रामपुर में पार्टी की आसान जीत हो सकती है. वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र कुमार कहते हैं कि अखिलेश यादव अपने मुस्लिम परस्त चेहरे से बाहर निकलना चाहते हैं और इसके लिए वह आजम खान से दूरी बनाकर रखे हुए हैं. लेकिन ये अखिलेश यादव के लिए घाटे का सौदा हो सकता है. अगर अखिलेश यादव आजम खान को तवज्जो नहीं देते हैं तो लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव को नुकसान हो सकता है.
विधानसभा चुनाव में आजम खान की डिमांड को अखिलेश यादव ने कर दिया था दरकिनार
आपको याद होगा कि यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान आजम खान अपने और अपने करीब एक दर्जन करीबी नेताओं के लिए टिकट मांग रहे थे. लेकिन अखिलेश यादव ने आजम खान की मांग को दरकिनार कर दिया और आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान को ही टिकट दिया. जबकि आजम खान अपने मुस्लिम समर्थक नेताओं के लिए टिकट मांग रहे थे. असल में अखिलेश यादव पार्टी के भीतर परिवारवाद से बचना चाह रहे थे और उन्होंने इस बार अपने ही परिवार के बहुत कम लोगों को टिकट दिया. लिहाजा उन्होंने आजम खान और उनके करीबी लोगों को टिकट ना देकर आजम खान को सख्त संदेश दिया. लिहाजा अब आजम खान को इस बात का भी डर सता रहा है कि कहीं अखिलेश यादव रामपुर से लोकसभा का टिकट किसी आजम के परिवार से बाहर किसी को दे. अगर ऐसा होता है तो ये आजम खान के लिए बड़ा सियासी नुकसान होगा. वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र कुमार कहते हैं कि अगर आजम खान अपने परिवार के लिए टिकट मांगते हैं तो इसे कुछ भी गलत नहीं है. क्योंकि वह पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. राजेन्द्र सवाल उठाते हैं कि अभी तक अखिलेश यादव ने हार की समीक्षा के लिए बैठक क्यों नहीं बुलाई है? क्या वह डर रहे हैं.
Rani Sahu

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