सम्पादकीय

सदैव याद रहेंगे शिंजो एबी, भारत और जापान के संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले गए

Rani Sahu
9 July 2022 10:50 AM GMT
सदैव याद रहेंगे शिंजो एबी, भारत और जापान के संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले गए
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एक चुनावी रैली को संबोधित करते समय जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो एबी की गोली मारकर हत्या इसलिए पूरी दुनिया के लिए आघातकारी है

सोर्स- जागरण

एक चुनावी रैली को संबोधित करते समय जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो एबी की गोली मारकर हत्या इसलिए पूरी दुनिया के लिए आघातकारी है, क्योंकि यह देश इस तरह की हिंसक घटनाओं के लिए नहीं जाना जाता। इस पर यकीन करना कठिन है कि जापान जैसे शांतिप्रिय देश में, जहां हिंसा अपवादस्वरूप होती है, ऐसी घटना घट सकती है और वह भी किसी पूर्व प्रधानमंत्री के साथ। हाल के समय में जापान में ऐसी किसी घटना का विवरण नहीं मिलता, जिसमें किसी नेता को निशाना बनाया गया हो।

शिंजो एबी ने 2020 में खराब स्वास्थ्य के कारण प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था, लेकिन इसके बाद भी वह जापान के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक थे। इसी कारण वह अपने दल के पक्ष में एक चुनावी सभा कर रहे थे। यह कहना कठिन है कि शिंजो एबी की हत्या के पीछे कोई राजनीतिक कारण है, लेकिन इसका अंदेशा है कि उन पर गोलियां दागने वाला उनके राजनीतिक विचारों से असहमत और आक्रोशित था। ध्यान रहे कि शिंजो एबी इसकी पैरवी कर रहे थे कि जापान को परमाणु हथियार न रखने की अपनी नीति पर नए सिरे से विचार करना चाहिए और देश को फिर से एक सैन्य ताकत बनना चाहिए।
चूंकि शिंजो एबी लंबे समय तक जापान के प्रधानमंत्री रहे इसलिए उन्होंने देश की राजनीति और आर्थिकी पर तो गहरा असर डाला ही, दुनिया पर भी अपनी छाप छोड़ी। वह अंतरराष्ट्रीय मामलों में एक दूरदर्शी और लीक से हटकर चलने वाले शासनाध्यक्ष थे। उन्होंने अपनी नीतियों और विचारों से यही सिद्ध किया कि वह भविष्य की आहट भांपने और समय से आगे का सोचने वाले एक कुशल राजनेता थे। उन्होंने केवल जापान को आर्थिक संकट से उबारने में ही महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाई, बल्कि विश्व राजनीति की दिशा-दशा बदलने का भी काम किया। भारत की सदस्यता वाला जो क्वाड संगठन आज एक प्रभावी वैश्विक समूह के रूप में पहचान बना रहा है, उसके जनक शिंजो एबी ही थे।
उन्होंने ही सबसे पहले यह भांपा था कि चीन विश्व व्यवस्था के लिए खतरा बन रहा है। वह भारत के सच्चे शुभचिंतक के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे। वह भारत और जापान के संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले गए। वह भारत को कितना अधिक महत्व देते थे, इसका पता इससे चलता है कि अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने तीन बार भारत की यात्रा की। यह भी उल्लेखनीय है कि अपने पहले कार्यकाल में नई दिल्ली की यात्रा के समय संसद को संबोधित करते हुए उन्होंने ही हिंद-प्रशांत की अवधारणा को बल दिया था। भारत उन्हें इसलिए भी सदैव स्मरण करेगा, क्योंकि उनकी ही पहल से बुलेट ट्रेन परियोजना की नींव पड़ी।
Rani Sahu

Rani Sahu

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