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सत्ता के लालच के सामने धर्म और मानवता छोटी पड़ जाती है
ज्योतिर्मय रॉय सत्ता के लालच के सामने धर्म और मानवता छोटी पड़ जाती है, यह बात पूरी तरह से पाकिस्तान पर लागू होती है. उधार के पैसे पर पल रहा पाकिस्तान, नैतिकता की सीढ़ी पर चढ़ने में असमर्थ है. चीन पाकिस्तान की बहुत मदद करता है और इसीलिए चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगरों के खिलाफ हो रहे नरसंहार और उत्पीड़न को लेकर पाकिस्तान खामोश है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिकी विदेश नीति पत्रिका को दिए गए एक साक्षात्कार में इस बात को स्वीकार किया है. इमरान खान का कहना है कि कश्मीर की तुलना उइगर समस्या से नहीं की जा सकती.
चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगरों के खिलाफ चीन की सरकार द्वारा नरसंहार जारी है. इसके विपरीत भारत सरकार कश्मीर प्रांत की समृद्धि और विकास के लिए समर्पित है. पाकिस्तान जन्म से ही कश्मीर में आतंक फैलाने की कोशिश करता रहा है. भारत सरकार के समर्पित प्रयासों से कश्मीर में शांति स्थापित हुई है.
चीन में उइगरों पर हो रहे अत्याचार पर खामोश हैं इमरान खान
भारत सरकार जाति और धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करती. आज भारत के मुसलमान पाकिस्तान के मुसलमानों से ज्यादा स्वतंत्र हैं. कश्मीर घाटी के लोग आज विकास के सहभागी हैं. फिर भी इमरान कश्मीर को लेकर भारत की आलोचना करने में लगे हुए हैं. दूसरी ओर, आज चीन कि जेल में दस लाख से अधिक मुसलमान कैद हैं. नरसंहार हो रहा है. महिलाएं सामूहिक दुष्कर्म की शिकार होती रहती हैं. उइगर पुरुषों के साथ गुलामों जैसा व्यवहार किया जा रहा है. महिलाओं से बच्चा पैदा करने का अधिकार भी छीन लिया जाता है. फिर भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री खामोश हैं, आखिर क्यों?
उइगर वास्तव में तुर्की के मुसलमान हैं, वे मंगोलिया और तुर्कमेनिस्तान से आकर झिंजियांग प्रांत में रहना शुरू किया है. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार 1 करोड़ 10 लाख से अधिक उइगर मुसलमानों को अमानवीय रूप से प्रताड़ित कर रही है. विभिन्न सरकारी निर्देशों का हवाला देते हुए, न्यूयॉर्क टाइम्स ने उइगरों के प्रति चीनी रवैये पर प्रकाश डालाते हुए यह खबर छापा है कि, विभिन्न समय में शिनजियांग यात्रा के बाद, शी जिनपिंग ने सरकारी अधिकारियों को उइगरों पर नकेल कसने का कड़ा निर्देश दिया है. 2017 में उइगरों के छूरा घोंपने की घटना के बाद उत्पीड़न और बढ़ गया है. शी जिनपिंग ने "आतंकवाद, अलगाववाद और घुसपैठ के खिलाफ समग्र लड़ाई" का आह्वान किया है. उइगरों पर कोई दया नहीं दिखाई गई और पूर्ण दमन करने का आदेश स्वयं जिनपिंग ने दिया है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने विभिन्न सरकारी स्रोतों का हवाला देते हुओ यह खबर छापी है.
चीन में मुस्लिम महिलाएं गर्भधारण के अधिकार से वंचित
कई लोग उइगर नरसंहार की तुलना यहूदी नरसंहार से कर रहे हैं. यूनाइटेड किंगडम में यहूदियों के एक बड़े हिस्से ने उइगरों के चीनी उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई है. उन्होंने मांग की है कि यूनाइटेड किंगडम उइगरों के खिलाफ चीन के घिनौने और बर्बर अत्याचारों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए. संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों का कहना है कि दस लाख से अधिक उइगर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को विशेष शिविरों में रखा गया है. इस विशेष शिविर में उइगरों को बंदी बनाया जा रहा है. झिंजियांग का पूरा प्रांत एक बड़ी जेल बन गया है. उइगरों का धर्म कि अधिकार को भी छीना जा रहा है.
धर्मांतरण के लिए असहमत होने पर एक विशेष शिविर में भेजा दिया जाता है. इन कैंपों में प्रताड़ना के हर तरह के इंतजाम हैं. चीन के अमानवीय व्यवहार का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विरोध हो रहा है. संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान, अमेरिका सहित कम से कम 30 देशों ने चीन में "उत्पीड़न पर भयानक कार्रवाई" के खिलाफ आवाज उठाई. उन्होंने मांग की है कि चीन तुरंत उइगरों को सताना बंद करे. विभिन्न देश नरसंहार की निंदा करने में मुखर हैं. पूरी दुनिया में आतंकवाद की आड़ में अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों से वंचित करने के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को गर्भधारण के अधिकार से वंचित करके उन्हें वस्तुओं में बदल रहे है. चीन का कहना है कि उइगर आजादी के लिए गृहयुद्ध कि तैयारियां कर रहे हैं. उइगर मुस्लिमों के साथ विश्वासघात करने के लिये चीन पाकिस्तान को आर्थिक मदद करता है, इस लिए, इतना कुछ होने के बाद भी पाकिस्तान एक मूक मुस्लिम देश बना हुआ है.
शी जिनपिंग के सत्ता में आते ही उइगर मुसलमानों पर अत्याचार बढ़ा है
मुसलमानों की दुर्दशा देखकर भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री खामोश हैं. लेकिन भारत की आलोचना करने में उन्हें कुछ भी गलत नहीं दिखाता है. फॉरेन पॉलिसी मैगजीन को दिए गये एक इंटरव्यू में उन्हें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना कि. अपनी सेना के इशारों पर चलने वाला कठपुतली बने प्रधानमंत्री इमरान खान का आरोप है कि मोदी बातचीत में बैठने को कतई राजी नहीं हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री उइगरों के बारे मे एक बार भी बात नहीं करना चाहते. चीन में मुसलमानों की दुर्दशा पर पाकिस्तान चीन को कुछ बोलने से कतरा रहे हैं. इमरान खामोश हैं. अमेरिकी प्रशासन भी चाहता है कि इस्लामाबाद उइगरों पर मुंह खोले. लेकिन फिर भी पाकिस्तान खामोश है.
दस लाख से अधिक मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है, लेकिन पड़ोसी मुस्लिम राज्य ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ, या वर्तमान बिडेन प्रशासन के एंथनी ब्लिंकन, आश्वस्त हैं कि चीन उइगरों और अन्य मुसलमानों के खिलाफ "जनसंहार" कर रहा है. माइक पोम्पिओ ने अपने एक वक्तव्य में कहा कि, "उपलब्ध तथ्यों के आधार पर मैं कह सकता हूं कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नियंत्रण के अधीन पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ने शिनजियांग में अल्पसंख्यकों और मुस्लिम उइगरों का जनसंहार किया है." चीन में उइगर मुसलमानों के खिलाफ नरसंहार, मानवाधिकार उल्लंघन और शोषण का मामला अब इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट पहुंच गया है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सत्ता में आते ही उइगर मुसलमानों पर अत्याचार बढ़ा है.
चीन में मुसलमानों के किडनी और लीवर जैसे महत्वपूर्ण अंगों को जबरन निकाला जा रहा है
एसोसिएटेड प्रेस और जर्मन शोधकर्ता एड्रियन जेंस के रिपोर्ट के अनुसार चीन सरकार यहां अल्पसंख्यकों में जबरन जन्मदर कम करने के लिए नसबंदी और गर्भपात का बड़े पैमाने पर अभियान चला रही है. यहां की जनसंख्या बढ़ने के क्रम में 84% की कमी आई है. शिनजियांग में पिछले 3 सालों में 18 लाख से ज्यादा उइगर और अन्य अल्पसंख्यक या तो कैद किए गए हैं या तो मारे जा चुके हैं.
समाचार पत्र 'हेराल्ड सन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब डेढ़ लाख लोगों को यहां जबरन कैद किया गया है। कैद के दौरान इन मुसलमानों के किडनी और लीवर जैसे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को जबरन निकाला जा रहा है और उनकी कालाबाजारी की जा रही है. ऑस्ट्रेलिया के एक अखबार की रिपोर्ट में कहा है कि कैसे एक स्वस्थ लिवर को बेचकर चीन लगभग 1 करोड़ 20 लाख रुपये प्राप्त करता है और इस व्यापार में उसे सलाना 75 अरब रुपये के आसपास की कमाई होती है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचआरसी) ने कहा कि उइगर, तिब्बतियों, मुसलमानों और ईसाइयों सहित अल्पसंख्यकों के आंगों की तस्करी से मानवाधिकार विशेषज्ञ बेहद चिंतित हैं.
अखबार 'हेराल्ड सन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां करीब डेढ़ लाख लोगों को जबरन कैद किया गया है. कैद के दौरान इन मुसलमानों के किडनी और लीवर जैसे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को जबरन निकाला जा रहा है और उनकी कालाबाजारी की जा रही है. ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न स्थित एक मॉर्निंग टैब्लॉयड अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि कैसे चीन को एक स्वस्थ लीवर बेचकर करीब 1 करोड़ 20 लाख रुपये मिलते हैं और इस कारोबार में वह सालाना करीब 75 अरब रुपये कमाता है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचआरसी) ने कहा कि मानवाधिकार विशेषज्ञ उइगरों, तिब्बतियों, मुसलमानों और ईसाइयों सहित अल्पसंख्यकों के अंगों की तस्करी से बहुत चिंतित हैं. भारत के मुस्लिम स्वतंत्र हैं. यहां न बुरका पहनने पर कोई पाबंदी है और ना ही नमाज अदा करने पर कोई रोकटोक. यहां कोई भी कारोबार करने का हक रखने वाला मुस्लिम, अपनी योग्यता के आधार पर राष्ट्रपति भी बन सकता है.
क्या पाकिस्तान की अंतरात्मा कभी जागेगी
पाकिस्तान के राजनेता केवल फरमाइश अदा करने का पेशा बना लिया है, असली राजनेता तो पाकिस्तान के सैन्य अधिकारी हैं, जिनके इशारों पर नेतागण अदा फरमाते रहते हैं. सैन्य अधिकारियों के कारण पाकिस्तानी राजनेताओं ने मानवता की भाषा को त्यागकर हिंसा और युद्ध की भाषा बोलते हैं. क्यों ना बोले, युद्ध के लिए हथियारों की खरीद फरोख्त से कमीशन जो आता है. जंग का आतंक फैलाकर, जनता का पैसा जनता के विकास पर खर्च न होकर हथियार खरीदने में खर्च हो रहा है. फलस्वरूप, सैन्य अधिकारी और राजनेता जहां सोने की चम्मच से खाना खाते वही आम जनता को दो वक्त की रोटी के लिए तरसना पड़ता है.
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