सम्पादकीय

बड़ी मछलियां कौन हैं?

Gulabi
23 Sep 2021 4:24 AM GMT
बड़ी मछलियां कौन हैं?
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गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर पकड़ी गई हेरोइन की खेप से इस देश में हलचल मच जानी चाहिए थी

क्या उन लोगों को किन्हीं बड़ी ताकतों या रसूखदार लोगों का संरक्षण मिला हुआ है? जरूरत ये सारा सच सामने लाने की है। उल्लेखनीय यह है कि यह मामला छोटा नहीं है। यह सिर्फ छोटी मछलियों का काम नहीं है। इसलिए इसकी जांच और इस पर कार्रवाई भी बहुत बड़े फलक पर करने की जरूरत है। three tonnes heroin seized

गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर पकड़ी गई हेरोइन की खेप से इस देश में हलचल मच जानी चाहिए थी। तीन टन हेरोइन एक साथ संभवतः अब तक दुनिया में कहीं पकड़ी गई। इसकी कीमत दिमाग में उथल पुथल मचा देने वाली है। अनुमानतः ये तस्करी के जरिए लाई गई ये हेरोइन कम से कम 21 हजार करोड़ रुपए की है। ये अंदाजा वाजिब है कि ये पहली या आखिरी खेप नही होगी। अगर इतनी बड़ी मात्रा में हेरोइन भारत लाई गई, तो यह सिलसिला पहले से चल रहा होगा। बहरहाल, अगर अटकलों की बात छोड़ भी दें, तो जो तथ्य है, वह अपने आप में अत्यंत रहस्यमय है। इसको लेकर सत्ता और मीडिया के हलकों में चुप्पी के आलम ने रहस्य को और संगीन बना दिया है। इस सिलसिले में दो लोगों की गिरफ्तारी के साथ अगर ये मामला रफा-दफा हो जाता है, तो फिर यही समझा जाएगा कि मामले को दबाने में किन्हीं बड़े निहित स्वार्थों का हाथ था। मुद्दा यह है कि क्या मादक पदार्थ की इतनी बड़ी तस्करी एक या दो लोगों या किसी छुटभैये गिरोह के वश की बात है?
जाहिर है, ऐसा नहीं हो सकता। तो यह सोचने का ठोस आधार है कि इसके पीछे किसी बड़े संगठित का हाथ है, जो भारत को नशीली दवाओं के कारोबार का अड्डा बनाना चाहता है। यह भी मुमकिन है कि भारत को ही इन पदार्थों का बाजार बनाने की कोशिश चल रही हो। भारत में ड्रग्स का बाजार है, इस बात से कोई इनकार नहीं करता। लेकिन ये बाजार ऐसा नहीं है कि इन पदार्थों का व्यापक रूप से यहां इस्तेमाल होता हो। चिंताजनक पहलू यह है कि जब किसी समाज में निराशा और पतन का माहौल हो, तब ऐसी चीजों की मांग स्वतः बढ़ जाती है। दुर्भाग्य से इस वक्त हम भारत में ऐसे माहौल में है, जब आर्थिक मुसीबत, बेरोजगारी और अभाव की स्थितियां गंभीर होती जा रही हैँ। सवाल यह है कि क्या इसी माहौल का फायदा उठाने की कोशिश कुछ संगठित अपराधी कर रहे हैं? और क्या उन लोगों को किन्हीं बड़ी ताकतों या रसूखदार लोगों का संरक्षण मिला हुआ है? जरूरत ये सारा सच सामने लाने की है। उल्लेखनीय यह है कि यह मामला छोटा नहीं है। यह सिर्फ छोटी मछलियों का काम नहीं है। इसलिए इसकी जांच और इस पर कार्रवाई भी बहुत बड़े फलक पर करने की जरूरत है।


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