सम्पादकीय

किराया में बढ़ोतरी और सीएनजी की कीमतों में कमी की मांग को लेकर टैक्सी यूनियन की हड़ताल की वजह क्या है?

Rani Sahu
21 April 2022 11:58 AM GMT
किराया में बढ़ोतरी और सीएनजी की कीमतों में कमी की मांग को लेकर टैक्सी यूनियन की हड़ताल की वजह क्या है?
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देश भर में ईंधन की बढ़ती कीमतों (Rising Fuel Price) की वजह से वाणिज्यिक ऑटो, टैक्सी, कैब और मिनीबस चालकों ने राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने का फैसला किया है

जुनैद डार - देश भर में ईंधन की बढ़ती कीमतों (Rising Fuel Price) की वजह से वाणिज्यिक ऑटो, टैक्सी, कैब और मिनीबस चालकों ने राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने का फैसला किया है. दिल्ली (Delhi) में कैब ड्राइवरों के कई संघों ने कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) की बढ़ती कीमतों के खिलाफ और किराए में संशोधन की मांग को लेकर दो दिवसीय हड़ताल की घोषणा की. हरियाणा (Haryana) के मेवात के कैब मालिक-सह-ड्राइवर मोहम्मद अनवर ने कहा, "हम नहीं चाहते कि लोगों को परेशानी हो, लेकिन सरकार हमें हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर कर रही है."

रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली की सड़कों पर 90,000 से अधिक ऑटो और 80,000 से अधिक पंजीकृत टैक्सियां चल रही हैं. ये गाड़ियां शहर में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का एक बड़ा हिस्सा हैं. पिछली बार ऑटो के किरायों में संशोधन 2019 में किया गया था जबकि साल 2013 में टैक्सी किराए में संशोधन हुआ था. दिल्ली सरकार ने जून 2019 में नए ऑटो-रिक्शा किराए को अधिसूचित किया था जिसके तहत मौजूदा दरों में 18 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी. इस बढ़ोतरी से प्रति किमी शुल्क 8 रुपये से बढ़कर 9.50 रूपए हो गई.
जून 2019 में दिल्ली में AAP सरकार ने ऑटो-रिक्शा शुल्क में वृद्धि की
अनवर ने कहा कि पिछले छह महीनों में सीएनजी की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं लेकिन किराए में किसी तरह की तब्दीली नहीं हुई, नतीजतन कैब चालकों को काफी नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि कार के कल-पुर्जों की कीमतों में भी काफी बढ़ोतरी हुई है. अनवर कहते हैं, "ग्राहकों को लगता है कि कैब मालिक केवल ईंधन के लिए भुगतान करते हैं. इसके अलावे वाहन के रखरखाव, टायर बदलने की दिनचर्या और ड्राइवरों के वेतन पर हमें बहुत अधिक खर्च करना पड़ता है."
किराया ढांचे में बढ़ोतरी और ईंधन की कीमतों में कटौती की मांग करते हुए टीवी 9 से ड्राइवरों ने कहा कि जनता की मांग को पूरा नहीं करने के लिए सरकार ही दोषी है. पिछली बार 2019 में कैब किराए का नवीनीकरण किया गया था, जबकि 2013 में टैक्सी किराए में बदलाव किया गया था. जून 2019 में दिल्ली में AAP सरकार ने ऑटो-रिक्शा शुल्क में वृद्धि की. पिछली दरों की तुलना में 18 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि और प्रति किलोमीटर शुल्क को 8.5 रुपये से बढ़ाकर 9.50 रुपये कर दिया गया था.
"हम नहीं चाहते कि किराए में बढ़ोतरी हो. हम जानते हैं कि इससे जनता को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. अगर सरकार हमें सीएनजी की कीमतों पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देती है तो हम विरोध नहीं करेंगे. लेकिन हमें ऐसा लगता है कि कोई भी हमारी बात सुनने के लिए तैयार नहीं है, " आजादपुर के एक ट्रांसपोर्टर अनिल ने कहा. राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में सीएनजी और पाइप से रसोई गैस बेचने वाली कंपनी इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में सीएनजी की कीमत वर्तमान में 69.11 रुपये से बढ़कर 71.61 रुपये प्रति किलोग्राम चल रही है. सीएनजी की कीमतें एक साल में 60 फीसदी यानि 28 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक बढ़ी है.
कैब ड्राइवरों की हड़ताल के लिए सरकार जिम्मेदार है
दिल्ली के सर्वोदय ड्राइवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कमलजीत गिल ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि कैब ड्राइवरों की हड़ताल के लिए सरकार जिम्मेदार है और इस हड़ताल को "अनिश्चित काल के लिए" बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने कहा, "हमने 2015 से ओला और उबर के किराए में इजाफा न करने के सरकार की विफलता को लेकर कई बार विरोध किया है, लेकिन प्रशासन ने हमें नजरअंदाज कर दिया है. पिछले सात वर्षों में सीएनजी और गैसोलीन की कीमतों में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है."
दिल्ली ऑटो रिक्शा संघ के महासचिव राजेश सोनी ने शिकायत की कि कोई भी हमारी जायज मांगों को सुनने के लिए तैयार नहीं है. सोनी ने PTI से बात करते हुए कहा, "हमारी हड़ताल अपना संदेश देने में सफल रही है. जनता को हो रही दिक्कतों के मद्देनज़र हमने अपनी हड़ताल स्थगित करने का फैसला किया है. भविष्य की कार्रवाई जल्द ही तय की जाएगी. " उन्होंने कहा कि सरकार को या तो सीएनजी की कीमतों पर 35 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी देना चाहिए या किराए में बढ़ोतरी करें.
"आज सभी पर्यटक टैक्सी और बसें नहीं चलीं. बहुत से लोग फंसे हुए थे. न तो केंद्र और न ही राज्य को लोगों की असुविधा के बारे में चिंता है. इसलिए, पर्यटक टैक्सियों और बसों ने 19 अप्रैल को होने वाले विरोध प्रदर्शन को स्थगित कर वापस काम पर लौटने का फैसला किया है. दिल्ली टैक्सी टूरिस्ट एंड ट्रांसपोर्टेशन एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सम्राट ने कहा.
आंदोलन अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल जाएगा
यूनियनों ने एसी टैक्सी किराए में 30 रुपये और गैर-एसी वाहनों के लिए प्रति किलोमीटर 25 रुपये के संशोधन की मांग की है. वे दिल्ली में पंजीकृत टैक्सियों को एमसीडी टोल टैक्स से छूट देने की भी मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुझाए गए दिल्ली सिटी टैक्सी पॉलिसी 2017 को लागू किया जाए, और कैब एग्रीगेटर्स सिस्टम को भी समाप्त किया जाए. दिल्ली सरकार की देखरेख में सभी टैक्सियों और कैब को एक हेड के अधीन लाया जाए जिसके तहत सभी ड्राइवरों को एक निश्चित कीमत और लाभ मिल सके.
जैसे-जैसे राष्ट्रीय राजधानी में गर्मी बढ़ती जा रही है वैसे ही सोशल मीडिया पर कई वीडियो और पोस्ट आने शुरू हो गए हैं. इन वीडियो में लोगों ने शिकायत की है कि कैब ड्राइवरों ने सवारी के दौरान एसी चलाने के उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया. कई लोगों ने मांग की कि सरकार को कैब ड्राइवरों को कुछ राहत देनी चाहिए ताकि यात्रियों को परेशानी न हो. सर्वोदय ड्राइवर एसोसिएशन दिल्ली के रवि राठौड़ कहते हैं, "हम अपनी मांगों पर विचार करने के लिए सरकारों (केंद्र और राज्य) को दो दिन का अल्टीमेटम दे रहे हैं अन्यथा हमारा प्रतीकात्मक आंदोलन अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल जाएगा. हम ऐसा नहीं करना चाहते हैं लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं है." दिल्ली सरकार द्वारा किराया वृद्धि की मांग पर विचार करने के लिए एक समिति बनाने का फैसला लिया गया है. बावजूद इसके प्रदर्शनकारी यूनियनों ने अपनी हड़ताल वापस लेने से इनकार कर दिया है.
बहरहाल, ऑटो-रिक्शा, कैब और टैक्सी के अभाव में यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में परेशानी हो रही है. उन्हें डर है कि अगर हड़ताल जारी रही तो इससे रोजी-रोटी पर असर पड़ेगा. दिल्ली के पत्रकार नजमुस साकिब ने कहा, "लोग और ड्राइवर दोनों ही परेशान हैं , लेकिन सरकार इस मुद्दे को हल करने के लिए गंभीर नहीं है. उनकी मांगें जायज हैं और सरकार को उन्हें सीएनजी पर सब्सिडी देनी चाहिए." साकिब ने कहा, "कार्यालय और कॉलेज जाने वाले लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है . इसके अलावे कोविड -19 से संक्रमित मरीज को स्वास्थ्य जांच के लिए अस्पतालों तक पहुंचने में मुश्किल हो रही है."
Rani Sahu

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