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- डिजिटल करंसी का स्वागत...
भारतीय रिजर्व बैंक डिजिटल करंसी जारी करने पर विचार कर रहा है। डिजिटल करंसी हमारे नोट की तरह ही होती है। अंतर यह होता है कि यह कागज पर छपा नोट नहीं होता है, बल्कि यह एक नंबर मात्र होता है जिसे आप अपने मोबाइल अथवा कंप्यूटर पर संभाल कर रख सकते हैं। उस नंबर को किसी के साथ साझा करते ही वह उस नंबर में निहित रकम सहज ही दूसरे व्यक्ति के पास पहुंच जाती है। जैसे आप अपनी जेब से नोट निकाल कर दूसरे को देते हैं, उसी प्रकार आप अपने मोबाइल से एक नंबर निकाल कर दूसरे को देकर अपना पेमेंट कर सकते हैं। डिजिटल करंसी के पीछे क्रिप्टो करंसी का जोर है। क्रिप्टो करंसी का इजाद बैंकों के नियंत्रण से बाहर एक मुद्रा बनाने की चाहत को लेकर हुआ था। कुछ कंप्यूटर इंजीनियरों ने मिलकर एक कठिन पहेली बनाई और उस पहेली को उनमें से जिसने पहले हल कर लिया, उसे इनाम स्वरूप एक क्रिप्टो करंसी अथवा बिटकॉइन या एथेरियम दे दिया। उस बिटकॉइन के निर्माण को खेलने वाले सभी ने अनुमोदन कर दिया कि यह नंबर फलां व्यक्ति को दिया जाएगा। इसी प्रकार नए बिटकॉइन बनते गए और इनका बाजार में प्रचलन होने लगा। क्रिप्टो करंसी केंद्रीय बैंकों के नियंत्रण से पूर्णतया बाहर है। जैसे यदि गांव के लोग आपस में मिलकर एक अपनी करंसी बना ले तो उस पर सरकार का नियंत्रण नहीं रहता है। वे आपस में पर्चे छाप कर एक-दूसरे से लेन-देन कर सकते हैं, जैसे बच्चे आपस में कंचे के माध्यम से लेन-देन करते हैं। क्रिप्टो करंसी का नाम 'इंक्रिप्टेड' से बनता है। जिस कंप्यूटर में यह करंसी राखी हुई है अथवा जो उस कंप्यूटर का मालिक है, उसका नाम इंक्रिप्टेड या गुप्त है। किसी को पता नहीं लग सकता है कि वह करंसी किसके पास है।