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सडक़ पर चौकसी की तरफ बढ़ते हुए हिमाचल ने व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम को अंजाम तक पहुंचा कर, पूरे देश को रास्ता दिखाया है
By: divyahimachal
सडक़ पर चौकसी की तरफ बढ़ते हुए हिमाचल ने व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम को अंजाम तक पहुंचा कर, पूरे देश को रास्ता दिखाया है। ऐसी तकनीकी उपलब्धि से प्रदेश की कई जरूरतें पूरी हो रही हैं तथा इसके माध्यम से सडक़ पर आपराधिक गठजोड़ को तोडऩे का मार्ग भी प्रशस्त होगा। आरंभिक तौर पर भले ही इस पहल के आयाम सार्वजनिक परिवहन को अनुशासित करेंगे, लेकिन इसकी जरूरत हर तरह के वाहन को रहेगी ताकि सतर्कता की आंख पूरे यातायात को सुचारू बना सके। प्राय: सेब सीजन या हिमाचल से बारह भेजे गए उत्पादों के साथ ट्रकों का गायब होना, किसी अवश्यंभावी अनहोनी की तरह बन चुका है, लेकिन ट्रैकिंग सिस्टम के साथ जुडऩे के बाद काफी मसले हल हो सकते हैं। क्योंकि हिमाचल का लगभग सारा परिवहन सडक़ माध्यम से ही पूरा होता है, इसलिए इस पद्धति की सफलता अभिलषित है ताकि यातायात के अलग-अलग आयाम कुशलता के साथ लिखे जा सकें। उदाहरण के लिए रात्रि परिवहन खास तौर पर अंतरराज्यीय रूटों पर दौड़ रही बसों में सुरक्षा के लिए नई पद्धति एक तरह से सुरक्षा का आश्वासन है। देखना यह होगा कि हिमाचल के बाहर से आने वाले वाहनों को हम किस तरह ट्रैकिंग सिस्टम से जोड़ पाते हैं।
पर्यटन की दृष्टि से यह जरूरी हो गया है कि बाहरी वाहन को निगरानी से जोडऩे का कोई सेतु तलाश किया जाए। अगर किसी तरह व्हीकल टै्रकिंग सिस्टम की अनिवार्यता से पर्यटन वाहन भी जुड़ सकें, तो कम से कम पुलिस व्यवस्था के लिए यह एक सरल उपाय होगा। हिमाचल में व्हीकल ट्रैकिंग से आगे निकलकर परिवहन टै्रकिंग का नेटवर्क खड़ा करना होगा ताकि तकनीकी हस्तक्षेप के साथ-साथ पुलिस पहरे की नई पहचान बने। टै्रकिंग सिस्टम का एक पहलू भले ही आंतरिक वाहनों के आचरण को बदल देगा, लेकिन इसके आगे पर्यटन वाहनों व बाहरी गाडिय़ों के अलावा सैलानियों की गतिविधियों की टै्रकिंग का सिस्टम भी बनाना पड़ेगा। परिवहन केवल अंतरराज्यीय अपराध का शार्गिद नहीं बन रहा, बल्कि पर्यटन सीजन के दौरान वाहन संचालन वर्तमान ढर्रे के बूते से बाहर है। अत: व्हीकल टै्रकिंग सिस्टम की तर्ज पर यातायात और पर्यटन टै्रकिंग की व्यवस्था भी इसके साथ जुडऩी चाहिए। जिस तरह हिमाचल में पर्यटक बढ़ रहे हैं तथा ऑफबीट पर्यटन की राह पर सारे प्रदेश की पहाडिय़ों पर कदम बढ़ाते युवा आगे बढ़ रहे हैं, उस परिस्थिति को व्यवस्था में लाने के लिए तकनीकी दखल वांछित रहेगा। इसी तरह पुलिस के ट्रैफिक बंदोबस्त को पूरे हिमाचल के परिप्रेक्ष्य में सजाने, संवारने, सुसज्जित तथा चौकस करने की जरूरत के लिए राज्य स्तरीय पैमाने खड़े करने होंगे।
आश्चर्य तो यह कि अभी तक शिमला-धर्मशाला स्मार्ट शहरों की व्यवस्था पर कम्प्यूटर कैमरे की आंख ही दिखाई नहीं दे रही है। धर्मशाला के कमांड एरिया पर अभी भी आशंका के बादल हैं। ऐसे में पूरे प्रदेश की परिकल्पना में ईमानदारी से बड़े प्रयास की जरूरत है, क्योंकि तकनीकी दखल के साथ-साथ समाज की नई स्वीकृतियों में नैतिकता का पक्ष बढ़ाने के लिए कायदे-कानून की फेहरिस्त को प्रभावशाली बनाना होगा। उदाहरण के लिए पंजाब अगर शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों को एक दिन अस्पताल सेवा या एक यूनिट रक्तदान जैसे फैसले सुनाने की पद्धति बना रहा है, तो यह भी समाज सुधार के नए आयाम हो सकते हैं। बहरहाल व्हीकल टै्रकिंग सिस्टम के जरिए हिमाचल ने पुन: यह साबित किया है कि सूचना प्रौद्योगिकी के बेहतर इस्तेमाल से हम अपने तात्कालिक मसलों का किस तरह निवारण कर सकते हैं। उम्मीद है कि इसी तरह के दखल से हिमाचल के विभिन्न क्षेत्रों की चौकसी में सूचना प्रौद्योगिकी के नित नए आयाम स्थापित होंगे। हर विभाग को इस दिशा में विशेष प्रयास करते हुए भविष्य के लक्ष्य निर्धारित करने होंगे।
Rani Sahu
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