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मुझे नहीं मालूम कि आपका हृदय मोम का है या पत्थर का मगर आप अच्छी तरह जानते हैं कि मेरा दिल विशुद्ध मोम का बना है
सोर्स- नवजीवन
मुझे नहीं मालूम कि आपका हृदय मोम का है या पत्थर का मगर आप अच्छी तरह जानते हैं कि मेरा दिल विशुद्ध मोम का बना है।अब यही देखो। इन बेचारों ने बहुत कुछ बस में कर लिया है मगर ये सूरज, चांद, तारों ,पेड़ों-पौधों, पशु-पक्षियों, मौसम आदि को अभी काबू नहीं कर पा रहे।इससे मेरे दिल को कितना कष्ट पहुंच रहा है, यह आपको कैसे बताऊं! कभी-कभी तो लगता है कि कहीं इस दुख से मेरा हार्टफेल न हो जाए!
आजकल बरसात के दिन हैं। आप देख रहे हैं, ये बादल न, जब चाहते हैं, जहां चाहते हैं, बरस जाते हैं। जहां नहीं चाहते, वहां यज्ञ-हवन करो, तो भी नहीं बरसते। ये इनकी पुरानी आदत है।भारत का निजाम पूरी तरह बदल गया है, इसकी इन्हें भनक तक नहीं। ये उसी पुराने ढर्रे पर चल रहे हैं। नहीं बदलेंगे तो मेरा क्या जाता है, भुगतेंगे! वैसे मेरी इनको दोस्ताना सलाह है कि आप वक्त की नज़ाकत को समझो। बरसो, मगर टाइम-टाइम पर बरसो। एक टाइमटेबल बनाओ। उसे सरकार से एप्रूव कराओ। पास हो जाए तो उसके अनुसार चलो। जब चाहा, जहां चाहा, बरस जाने कि तुम्हारी ये तानाशाही अब नहीं चलेगी। पहले जो होता था,अब नहीं होगा। कम से कम हमारे प्रधानमंत्री तो इसे बिल्कुल सहन नहीं करेंगे। वे पक्के राष्ट्रवादी हैं। यहां किसी की नहीं चलेगी! यहां लोकतंत्र है, चलेगी तो केवल मोदी जी की चलेगी।
मान लो, प्रधानमंत्री का काफिला देवदर्शन के लिए जा रहा है। ऐसी स्थिति में बादलों को खुद समझना चाहिए कि नहीं बरसना है। प्रोटोकॉल के खिलाफ नहीं जाना है। बादल पूछ लिया करें समय-समय पर साहेब से कि हुजूर आपकी इजाजत है? बरसें अब या फिर कभी बरसें? एक टेलीफोन की दूरी पर तो हैं! वह कहें, हां, अनुमति है तो फिर चाहे दिन- रात क्या सालभर बरसते रहो! इसी तरह मान लो, वह मार्निंग वाक के लिए निकले हैं। तब भी तुम मत बरसो, यह सज्जनता के विरुद्ध है! अरे हमारा ख्याल मत रखो मगर उनका तो रखो! वह 130 करोड़ लोगों के नेता हैं। सीधे-सादे, भोलेभाले, गऊ जैसे हैं, तुम से कुछ कहते नहीं, हुक्म नहीं देते, अध्यादेश जारी नहीं करवाते, इसका मतलब यह नहीं कि तुम बिगड़ के धूल हो जाओ। तुम अपने अधिकारों का मनमर्ज़ी उपभोग करो मगर अपने कर्तव्य भूल जाओ! अग्निवीर बनने से पहले अग्नि बरसाओ! ज्यादा बदमाशी करोगे तो लोकतंत्र के हित में वे तुम्हें ऐसा टाइट कर देंगे कि सारी चौकड़ी भूल जाओगे! बरसना-चमकना-गड़गड़ाना सब भूल जाओगे! इधर आना तक भूल जाओगे! राष्ट्रवाद की इज्जत करो। प्रधानमंत्री का सम्मान करो!
वह जब तक नहीं बोलते, कदम नहीं उठाते, तब तक ही खैर है। किसी दिन वह अग्निवीर की तरह या तीन कृषि कानून की तरह कुछ ले आए तो फिर इससे पीछे हटने में उन्हें कम से कम तेरह महीने लगते हैं! इसके लिए भी दिल्ली की बार्डर पर धरना देना पड़ता है, देशद्रोही-खालिस्तानी का तमगा लेना पड़ता है। है बस में तुम्हारे यह सब ! इसलिए भारत में बरसना है तो मोदी-मोदी करना है, यह समझ लो वरना पाकिस्तान जाओ! किसने रोका है तुम्हें? वहां बरसो।यहां तुम्हारी ऐसी खास जरूरत भी नहीं। मोदी जी हैं तो कोई फिक्र नहीं। चाहें तुम यहां चार साल मत बरसो! वह ऐसा इंतजाम कर देंगे कि दुनिया देखती रह जाएगी!
इसलिए आज ही बता दे रहा हूं कि किसी तरह के मुगालते में मत रहना! विपक्ष के बहकावे में मत आना। वह अपनी पर आ गए तो फिर तुम्हारी बारह-एक-दो सब बजा देंगे। और सुनो, यह चेतावनी केवल बादलों के लिए नहीं है। सूरज, चांद, तारे, पेड़, ये सब कान खोलकर सुन और समझ लें। इस सूरज ने भी बहुत तानाशाही चला रखी है। कभी क्या, कभी क्या? कोई कायदा- कानून नहीं। इस बार गर्मी में दिल्ली का क्या हाल किया है इसने, क्या प्रधानमंत्री जी को नहीं मालूम! और ये चांद! ये भी अपनी मर्जी चलता है। रोज बदलता रहता है। कभी चांदनी रात, कभी घुप अंधेरा। अपने ताऊ का राज समझ रखा है इन सबनै! सब नोट किया जा रहा है। फाइल बनाई जा रही है। सीबीआई-ईडी सब तैयार हैं।
मोदी जी कुछ भूलते नहीं। हजार बरस पुरा ना बदला लेना भी जानते हैं। अभी उन्होंने मुसलमानों को इसीलिए अच्छी तरह टाइट कर रखा है। देखो,अभी बकरा ईद के लिए उन्हें टाइट किया या नहीं? किया न! तुम्हे भी इतना ही टाइट कर देंगे तो कहीं पनाह नहीं मिलेगी! पाकिस्तान में भी नहीं, चीन में भी नहीं। सब उनके नाम से थर- थर कांपते हैं। अमेरिका, रूस, चीन सब। यकीन न हो तो इनके मुखियाओं से व्हाट्स ऐप पर बात करके देख लो! अब ये बात अलग है कि मोदी जी का नाम सुनते ही ये कांपने लगें और मोबाइल इनके हाथ से छूटकर नीचे गिर जाए! ऐसा आतंक है उनके नाम का! और सुनो इनसे व्हाट्स एप पर बात करने से पहले तुम भी हनुमान चालीसा का पाठ कर लेना! मैं तो इसी तरह बचा हुआ हूं। हनुमानजी के आगे किसी की नहीं चलती। मोदी भी रोज इसका पाठ करते हैं।
Rani Sahu
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