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By लोकमत समाचार सम्पादकीय
वेद प्रताप वैदिक
इस्लामाबाद: पाकिस्तान संसद की आठ सीटों के लिए हुए उपचुनाव में इमरान खान ने छह सीटें जीत लीं. उनकी पार्टी 'पाकिस्तान तहरीके-इंसाफ' ने कुल सात सीटों पर चुनाव लड़ा था. इन सातों सीटों पर उसका बस एक ही उम्मीदवार था.
उसका नाम था-इमरान खान! क्या आपने कभी सुना है कि भारत, पाकिस्तान या दुनिया के किसी देश में एक ही उम्मीदवार सात सीटों पर एक साथ खड़ा हुआ है? कभी नहीं. यह पहली बार पाकिस्तान में ही हुआ है.
6 सीटें जीतने के बाद इमरान की पार्टी संसद का करती है बहिष्कार
भारत और पाकिस्तान में उम्मीदवारों को यह छूट है कि वे एक से ज्यादा सीटों पर एक साथ चुनाव लड़ सकते हैं. लेकिन इमरान खान की खूबी यह है कि वे छह सीटें जीतने के बावजूद पाकिस्तान की संसद में पांव भी नहीं रखेंगे.
उनकी पार्टी संसद का बहिष्कार कर रही है. उनका कहना है कि शाहबाज शरीफ की यह सरकार विदेश से आयातित है या फौज के द्वारा थोपी गई है. अब जो संसद पाकिस्तान में चल रही है, वह भी फर्जी है.
2023 के बजाय इमरान खान अभी चाहते है चुनाव होना
असली संसद और असली सरकार तभी बनेगी, जबकि चुनाव होंगे और जनता उनको चुनेगी. यों तो चुनाव 2023 में होने हैं लेकिन इमरान की मांग है कि वे तुरंत होने चाहिए. इमरान जबसे अपदस्थ हुए हैं, वे अनवरत आंदोलनकारी बन गए हैं.
इमरान खान के सभाएं और प्रदर्शन का असर पाक फौज पर भी गिर रहा है
पूरे पाकिस्तान में घूम-घूमकर वे सभाएं और प्रदर्शन आयोजित कर रहे हैं. जिस फौजी नाराजगी के कारण इमरान की सरकार गिरी थी, वह फौज भी तटस्थ दिखाई पड़ रही है. इस समय पाकिस्तान की आर्थिक हालत खस्ता हो गई है.
भयंकर बाढ़ ने कोढ़ में खाज का काम किया है. महंगाई और बेरोजगारी आसमान छू रही है. शाहबाज शरीफ पंजाब प्रांत के सफल और यशस्वी मुख्यमंत्री रह चुके हैं लेकिन उनकी बदकिस्मती है कि उनका प्रधानमंत्री-काल इतना संकटापन्न है. इस उपचुनाव में इमरान की प्रचंड विजय ने उनकी सरकार की चूलें हिला दी हैं.
Rani Sahu
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