सम्पादकीय

टीके का कीर्तिमान

Rani Sahu
18 Sep 2021 8:02 AM GMT
टीके का कीर्तिमान
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भारत ने शुक्रवार को टीकाकरण के मोर्चे पर एक इतिहास रच दिया

भारत ने शुक्रवार को टीकाकरण के मोर्चे पर एक इतिहास रच दिया। एक दिन में दो करोड़ से अधिक लोगों को टीका लगाने का यह कीर्तिमान दुनिया के ज्यादातर देशों के लिए अकल्पनीय ही होगा। जितने लोगों का भारत ने एक दिन में टीकाकरण किया है, उतने लोग दुनिया के डेढ़ सौ से ज्यादा देशों में रहते ही नहीं हैं। दो करोड़ से ज्यादा आबादी वाले करीब 60 ही देश हैं, उनमें भी टीकाकरण की रफ्तार ऐसी नहीं है, जैसी भारत में दिख रही है। भारत में जिस रफ्तार से शुक्रवार को टीकाकरण हुआ है, वही रफ्तार अगर रहे, तो भारत अपने सभी नागरिकों को 130 दिनों में ही टीके के दोनों डोज देने में सक्षम है। प्रधानमंत्री के जन्मदिवस पर अगर रिकॉर्ड बनाने के लिए ही सही इतने बड़े पैमाने पर टीकाकरण हुआ है, तब भी यह स्वयं भारत की सामान्य व्यवस्था और चिकित्सा व्यवस्था, दोनों के लिए मिसाल है। टीकाकरण की ऐसी बेमिसाल रफ्तार साफ इशारा कर रही है कि हम कितना करने में सक्षम हैं और हम कितना कम करके अपना काम चलाते हैं।

याद रहे, भारत ने अपना टीकाकरण कार्यक्रम 16 जनवरी, 2021 को शुरू किया था। पहले दिन 1,65,714 लोगों का टीकाकरण हुआ था। पहले तीन दिन में 6,31,417 लोगों को ही टीका लगाया गया था, लेकिन धीरे-धीरे टीकों की उपलब्धता बढ़ी और टीकाकरण की रफ्तार भी। आठ महीने मतलब करीब 240 दिन बीत गए। भारत में जो क्षमता है, उसके अनुसार, अभी तक टीकाकरण पूरा हो जाना चाहिए था। हालांकि, बताया यही जा रहा है कि अक्तूबर के पहले सप्ताह में भारत एक अरब लोगों को टीका देने में कामयाब हो जाएगा। अगर हमें एक अरब लोगों को टीका देने में ढार्ई सौ से ज्यादा दिन लग रहे हैं, तो फिर हमें टीके की उपलब्धता के साथ ही टीकाकरण में तेजी लाने की जरूरत है। विगत एक महीने में यह चौथा मौका है, जब हम एक दिन में एक करोड़ से ज्यादा लोगों को टीका देने में कामयाब रहे हैं। भारत प्रति मिनट 42 हजार या फिर प्रति सेकंड 700 लोगों को टीका लगाने में सक्षम है। शुक्रवार दोपहर होते-होते तक स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी भी संकेत देने लगे थे कि यही रफ्तार रही, तो हम एक दिन में 2.5 करोड़ लोगों को टीके दे सकते हैं। दोपहर 2:50 बजे तक 1 करोड़ 35 लाख लोगों को टीका मिल चुका था।
बेशक, नेताओं का जन्मदिन मनाने का यह प्रशंसनीय तरीका है। ऐसे जन्मदिन रोज मनने चाहिए, ताकि किसी न किसी क्षेत्र में व्यवस्था कार्य का कीर्तिमान बनाए। यह आम लोगों के लिए किसी उपहार से कम नहीं है। हमारी व्यवस्था में ऐसे अभियान चलाकर लोगों की सेवा की बड़ी जरूरत है। और तो और, अभियान चलाने से पहले केंद्र और राज्य सरकारों ने यह भी सुनिश्चित कर लिया था कि टीके की कमी न पड़ जाए। यह किसी खुशखबरी से कम नहीं कि शुक्रवार को राज्यों के पास आठ करोड़ से ज्यादा खुराक मौजूद थी। शुक्रवार के अनुभव से प्रेरित होते हुए टीकाकरण को तेज करते हुए हमें यह ध्यान रखना होगा कि हम वंचितों तक मुफ्त टीके के साथ पहुंच रहे हैं या नहीं। मुफ्त सरकारी टीके और निजी टीके के बीच 780 रुपये का अंतर है। टीके के लिए अभियान का सदैव स्वागत है, लेकिन ज्यादा जरूरी है, टीका पंक्ति में खड़े अंतिम नागरिकों तक बिना परेशानी मुफ्त पहुंचे।


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