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सोर्स- अमृत विचार
भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और हम पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं। रसद घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण घटक है। रसद की भूमिका रक्षा क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को एक सेमीनार में कहा कि भारत सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं का एकीकरण करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। वास्तव में देश की भावी सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तीनों सेवाओं में एकीकरण और समन्वय महत्वपूर्ण है।
तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने करीब तीन साल पहले सरकार को लिखित में दिया था कि वे एक एकीकृत प्रणाली चाहते हैं। कहा गया कि तीनों बलों का एकीकरण संसाधनों के दोहराव को कम करेगा। एक सेवा के तहत उपलब्ध संसाधन को अन्य सेवाओं में भी उपयोग किया जा सकेगा। शेकातकर समिति (वर्ष 2015) ने तीन-तीन एकीकृत थिएटर कमांड बनाने की सिफारिश की। जमीन पर दो से तीन एकीकृत थिएटर कमान (आईटीसी), एक समुद्री थिएटर कमान (एमटीसी) और एक राष्ट्रीय एकीकृत वायु रक्षा कमान (एडीसी) की स्थापना के लिए काम चल रहा है।
हालांकि यह देश की वर्तमान 'सेवा-विशिष्ट कमांड प्रणाली', जिसमें पूरे देश में तीनों सैन्य सेवाओं (थल सेना, वायु सेना और नौसेना) की अपनी-अपनी कमांड होती है, के विपरीत है। युद्ध की स्थिति में प्रत्येक सेवा प्रमुख से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी सेवा के संचालन को अलग-अलग कमांड के माध्यम से नियंत्रित करें, जबकि वे संयुक्त रूप से काम करते हैं। प्रस्ताव के अनुसार, थियेटर कमान में थलसेना, नौसेना और वायु सेना की इकाइयां होंगी और एक ऑपरेशनल कमांडर के तहत विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों पर गौर करते हुए ये सभी एकल इकाई के रूप में काम करेंगी।
प्रस्तावित थिएटर कमान की स्थापना में आने वाली चुनौती भी कम नहीं हैं क्योंकि बदलाव में हमेशा हिचक होती है। आशंका जताई गई कि थलसेना, नौसेना और वायु सेना के बीच तालमेल बढ़ाने के लिए थिएटर कमान की स्थापना से एक सेना को बढ़ावा मिलेगा जिसमें अन्य दो विलीन हो जाएंगे। उस समय चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा था इस तरह की चिंताएं गलत हैं।
तीनों सेनाओं के एकीकरण का प्रयास सामान्य लॉजिस्टिक नोड्स का है ताकि एक सेवा के संसाधनों को दूसरी सेवा के लिए निर्बाध रूप से उपलब्ध कराया जा सके। देश की भावी सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तीनों सेवाओं में एकीकरण और समन्वय जरूरी है। पिछले तीन वर्षों में रक्षा मंत्रालय में जो नीतिगत बदलाव हुए हैं, उसमें तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण एक प्रमुख आयाम है। क्योंकि तीनों सेनाओं का एकीकरण भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए अहम है। यह पहल वित्तीय बचत के अलावा, मानवशक्ति की बचत और संसाधनों का इष्टतम उपयोग करने में भी महत्वपूर्ण होगी।

Rani Sahu
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