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सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की प्रगति का परिदृश्य चमत्कृत करने वाला है
जीएन वाजपेयी। सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की प्रगति का परिदृश्य चमत्कृत करने वाला है। यहां तक कि आलोचकों ने भी कुछ हिचक के साथ ही सही इसे स्वीकार करना आरंभ कर दिया है। विगत पांच वर्षों के दौरान योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व और प्रधानमंत्री के पूर्ण सहयोग, मार्गदर्शन एवं दिशा-निर्देशन में उत्तर प्रदेश में विकास की नई इबारत लिखी गई है। इस दौरान बुनियादी ढांचा, कानून एवं व्यवस्था और कारोबारी सुगमता के मोर्चे पर उल्लेखनीय प्रगति देखी गई। वित्त वर्ष 2015-16 से 2020-21 के बीच राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) की चक्रवृद्धि दर 8.43 प्रतिशत रही है, जो राष्ट्रीय औसत से ऊंची रही। चालू वित्त वर्ष के अंत तक उत्तर प्रदेश के देश के दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री ने प्रतिरक्षा, एयरोस्पेस, वेयरहाउसिंग, डाटा सेंटर्स, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और फार्मा उद्योगों पर विशेष ध्यान केंद्रित करने की बात कही है।
कतिपय अपवादस्वरूप पहलुओं को छोड़ दिया जाए तो चीन की हैरतअंगेज आर्थिक वृद्धि में 25 प्रतिशत योगदान कंस्ट्रक्शन क्षेत्र का रहा है। इसमें भी यूपी समेत देश के अन्य राज्यों के लिए बहुत संभावनाएं छिपी हैं। करीब 22 करोड़ से अधिक आबादी वाला उत्तर प्रदेश जनसंख्या की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है। राज्य की आबादी भी अपेक्षाकृत युवा है, जो उसे जननांकीय लाभांश के लिए विपुल संभावनाएं प्रदान करती है। इतनी बड़ी आबादी के लिए रोजगार प्रदान कराना और उनके रहने के लिए उचित व्यवस्था करना भी एक बड़ी चुनौती होगी। यही चुनौती देश के अन्य राज्यों के समक्ष भी है।
वैश्विक अनुभवों से लेनी होगी सीख
सैन फ्रांसिस्को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से जब आप सिलिकान वैली की तरफ बढ़ते हैं तो आपको तमाम सुविकसित टाउनशिप दिखाई पड़ेंगी। ये टाउनशिप दो लाख से दस लाख की आबादी के हिसाब से बनी हैं। इनमें एपल, गूगल और फेसबुक जैसी ट्रिलियन डालर वाली कंपनियों के ठिकाने हैं। अकेले कैलिफोर्निया राज्य की जीडीपी ही तीन ट्रिलियन डालर से अधिक है। कुछ कारणों से ग्लोबल वैल्यू चेन चीन से इतर नए विकल्प तलाश रही है। इन विकल्पों में वियतनाम बहुत तेजी से उभर रहा है। यहां हा लोंग बे से हो चिन मिन सिटी के बीच का रास्ता करीब 120 किलोमीटर का है। इस सड़क के दोनों ओर फैक्ट्रियों का मीलों लंबी कतार दिखती है। यहां सैमसंग, एलजी से लेकर सोनी जैसी दिग्गज बहुराष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक्स कंपनियों की विनिर्माण इकाइयां हैं। इसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश में दिल्ली-आगरा, आगरा-लखनऊ और लखनऊ-गाजीपुर जैसे तीन तैयार एक्सप्रेस-वे हैं। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे निर्माणाधीन है। ऐसे में इन एक्सप्रेस-वे के इर्दगिर्द विभिन्न टाउनशिप क्लस्टर विकसित करना उपयोगी होगा। कम से कम प्रत्येक एक्सप्रेस-वे पर तीन क्लस्टर तो बनाए ही जाएं। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के आसपास पहले ही डिफेंस कारिडोर की घोषणा हो चुकी है। इसी कड़ी में दिल्ली-आगरा एक्सप्रेस-वे पर डाटा सेंटर, लाजिस्टिक पार्क और ड्राई पोर्ट बनाए जाने चाहिए। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर कृषि आधारित उत्पादों के उद्योग को केंद्रित किया जा सकता है। वहीं लखनऊ-गाजीपुर एक्सप्रेस-वे दवा, इलेक्ट्रिक व्हीकल विनिर्माण और हस्तशिल्प उद्योग का गढ़ बन सकता है।
उत्तम प्रदेश बनेगा उत्तर प्रदेश
याद रहे कि स्मार्ट सिटी की तर्ज पर जल आपूर्ति, स्वच्छता, आंतरिक सड़कें, स्कूलों, कालेज, विश्वविद्यालय और बिजली जैसी सुविधाएं विकसित करने के लिए भारी-भरकम निवेश और विश्वस्तरीय नगर नियोजन प्रतिभाओं की आवश्यकता होती है। टाउनशिप में शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है। ऐसे में वैश्विक खिलाडिय़ों की भागीदारी बड़ी मददगार होगी। राज्य सरकारों को यह ध्यान रखना होगा कि इसमें कोई भी अनियोजित दृष्टिकोण स्थितियों को और बिगाड़ सकता है। कानपुर में गंगा किनारे गंगा सिटी जैसा स्मार्ट सैटेलाइट टाउन इसका एक उदाहरण हो सकता है। सत्तारूढ़ दल के चुनावी घोषणापत्र में इसे शामिल करने के साथ ही ऐसी टाउनशिप के निर्माण की स्पष्ट समयसीमा उल्लिखित की जानी चाहिए। बिल्कुल वैसे जैसे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के मामले में किया गया, जो अपनी निर्धारित समयसीमा से पहले ही बनकर तैयार हो गया। एक मोटे अनुमान के अनुसार पांच वर्षों में तीनों एक्सप्रेस-वे के इर्दगिर्द टाउनशिप क्लस्टर विकसित होने से जहां राज्य की जीडीपी में करीब तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी वहीं लाखों लोगों के लिए आर्थिक अवसर भी बनेंगे। इसके चतुर्दिक प्रभाव अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को लाभान्वित करेंगे। इससे उत्तर प्रदेश को लेकर विश्वास का भाव बढ़ेगा। उसे उत्तम प्रदेश बनाने की राह मिलेगी। वह देश के दूसरे कई राज्यों के लिए मिसाल बन सकता है।
सुनियोजित रणनीति से बनेगी बात
अर्थव्यवस्था से जुड़े एक तबके को किसी टाउनशिप की बागडोर थमाने से आर्थिक दायरे एवं संभावनाएं बढऩे के साथ ही प्रतिभाओं और कौशल को नए आयाम मिलेंगे। यह आपूर्ति श्रंखला प्रबंधन में भी सहायक होता है। अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं या क्षेत्रों में अप्रत्याशित वृद्धि इसी प्रकार होती है। सिलिकान वैली इसका एक उम्दा उदाहरण है। बेंगलुरु इससे बहुत दूर नहीं। हालांकि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसी एक बिडर को एक से अधिक टाउनशिप क्लस्टर का जिम्मा नहीं मिलना चाहिए। साथ ही परियोजना आवंटन से पूर्व उसके वित्तीय बहीखातों और अन्य पहलुओं की भलीभांति पड़ताल की जाए। इसमें कोई भी गड़बड़ बड़े आर्थिक संकट का कारण बन सकती है। पुणे-मुंबई एक्सप्रेस-वे के आसपास विकसित लवासा जैसी अत्याधुनिक टाउनशिप इसका उदाहरण है। ऐसी स्थितियों से बचना होगा।
वास्तव में व्यापक शहरीकरण आर्थिक वृद्धि का परिणाम है। भीड़भाड़ से भरे उत्तर प्रदेश के शहरों में जीवन स्तर बहुत लचर है। अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए प्रशासन ने पहले ही कुछ क्षेत्रों को चिन्हित कर लिया है। ऐसे में यह निर्णय उपयोगी होगा कि चिन्हित क्षेत्रों में सक्रिय लोगों के रहन-सहन की व्यवस्था के लिए किस भौगोलिक क्षेत्र को चुना जाएगा। स्पष्ट है कि जननांकीय लाभांश को भुनाने और बेरोजगारी से उपजे किसी आशंकित आक्रोश को दबाने के लिए, वर्ष 2025 तक एक ट्रिलियन डालर की अर्थव्यस्था में रूपांतरित होने के लिए भारी-भरकम पूंजी और स्तरीय प्रतिभाओं की आवश्यकता होगी। ऐसे में टाउनशिप वाला विचार बहुत कारगर साबित होगा।
(लेखक सेबी और एलआइसी के पूर्व चेयरमैन हैं)
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Gulabi
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