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- बुजुर्गों से सुलूक
कोरोना महामारी ने दुनिया भर के इंसानी समाजों को बहुत करीब से आईना दिखाया है, लेकिन इसकी दूसरी लहर ने खास तौर पर कई सामाजिक-पारिवारिक कटु हकीकतों से रूबरू कराया। गैर-सरकारी संगठन 'एजवेल फाउंडेशन' का ताजा सर्वे इसका ठोस उदाहरण है और चिंताजनक भी। संगठन ने अपने अध्ययन में पाया है कि दूसरी लहर के मद्देनजर लगे लॉकडाउन के दौरान 73 प्रतिशत बुजुर्ग दुव्र्यवहार के शिकार हुए। करीब 35 प्रतिशत वरिष्ठ नागरिकों को तो घरेलू हिंसा सहनी पड़ी। जाहिर है, इनमें महिलाओं की तादाद ज्यादा होगी। भारत में एक के बाद दूसरी सरकारों ने स्त्री सशक्तीकरण की दिशा में कई अहम कदम उठाए, और उन कोशिशों के सुफल भी अब दिख रहे हैं, लेकिन जो महिलाएं इस समय बुजुर्गियत जी रही हैं, उनमें से ज्यादातर की दूसरों पर आर्थिक निर्भरता और शारीरिक अशक्तता उन्हें उपेक्षा के लिहाज से अधिक संवेदनशील बना देती है।