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- पर्यटन को मिला आत्मबल
पर्यटन ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए इन गर्मियों में पूरी इंडस्ट्री का पसीना पोंछना शुरू किया है। प्रदेश के समस्त पर्यटक स्थलों के लिए बैसाखी की छुट्टियांे का माहौल रहम बन कर बरसा है और कोविड के लंबे विराम के बाद वसंत लौटी है। पर्यटकों को तरस रही इंडस्ट्री के लिए यह सुखद एहसास है और अगर यूं ही कारवां आगे बढ़ता है, तो एक बार फिर हिमाचल का आत्मबल बढ़ेगा। हालांकि हम इसे शून्यता को पूरी तरह भरने का उपचार नहीं मान सकते, लेकिन यह सहज व स्वाभाविक वापसी है, जो आगे चल कर टूट चुके पर्यटन रास्तों को दुरुस्त करेगी। भले ही सरकार की ओर से सीधे वित्तीय प्रोत्साहन नहीं मिले, लेकिन पर्र्यटक सीजन की रफ्तार ने होटल व रेस्तरां मालिकों के साथ-साथ टैक्सी आपरेटरों के भाग्य का फिर से सिक्का उछाला है। कमोबेश पर्यटन की वही खूबियां दोहराई जा रही हैं, जो वर्षों पहले से चली आ रही रिवायत का ही हिस्सा रही हैं। यह दीगर है कि बड़े मंदिरों के द्वार खुलने से चंद दिनों में आमदनी बढ़ कर करीब पांच करोड़ पहुंच रही है और इसके अलावा मंदिर बाजारों ने व्यापार का नया डंका बजा दिया। निजी लग्जरी बसों खासतौर पर वोल्वो के माध्यम से उड़ान ऊंची हो गई, लेकिन इसी के सामने राज्य की बसों ने एक तरह से अपनी हैसियत ही गंवा दी है।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल