सम्पादकीय

पर्यटन को मिला आत्मबल

Rani Sahu
18 April 2022 7:23 PM GMT
पर्यटन को मिला आत्मबल
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पर्यटन ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए इन गर्मियों में पूरी इंडस्ट्री का पसीना पोंछना शुरू किया है

पर्यटन ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए इन गर्मियों में पूरी इंडस्ट्री का पसीना पोंछना शुरू किया है। प्रदेश के समस्त पर्यटक स्थलों के लिए बैसाखी की छुट्टियांे का माहौल रहम बन कर बरसा है और कोविड के लंबे विराम के बाद वसंत लौटी है। पर्यटकों को तरस रही इंडस्ट्री के लिए यह सुखद एहसास है और अगर यूं ही कारवां आगे बढ़ता है, तो एक बार फिर हिमाचल का आत्मबल बढ़ेगा। हालांकि हम इसे शून्यता को पूरी तरह भरने का उपचार नहीं मान सकते, लेकिन यह सहज व स्वाभाविक वापसी है, जो आगे चल कर टूट चुके पर्यटन रास्तों को दुरुस्त करेगी। भले ही सरकार की ओर से सीधे वित्तीय प्रोत्साहन नहीं मिले, लेकिन पर्र्यटक सीजन की रफ्तार ने होटल व रेस्तरां मालिकों के साथ-साथ टैक्सी आपरेटरों के भाग्य का फिर से सिक्का उछाला है। कमोबेश पर्यटन की वही खूबियां दोहराई जा रही हैं, जो वर्षों पहले से चली आ रही रिवायत का ही हिस्सा रही हैं। यह दीगर है कि बड़े मंदिरों के द्वार खुलने से चंद दिनों में आमदनी बढ़ कर करीब पांच करोड़ पहुंच रही है और इसके अलावा मंदिर बाजारों ने व्यापार का नया डंका बजा दिया। निजी लग्जरी बसों खासतौर पर वोल्वो के माध्यम से उड़ान ऊंची हो गई, लेकिन इसी के सामने राज्य की बसों ने एक तरह से अपनी हैसियत ही गंवा दी है।

निजी बनाम सरकारी बसों के बीच आई प्रतिस्पर्धा ने सरकारी क्षेत्र को नाकारा ही साबित किया, जबकि पर्यटन निगम का बेड़ा भी हिचकोले खाता हुआ दिखाई दे रहा है। ऐन पर्यटन सीजन के वक्त हम अपनी खामियों को उजागर होते देख सकते हैं। काफी हद तक टै्रफिक जाम की वही पुरानी शिकायत और चर्चित पर्यटक स्थलों की साफ सफाई की घिसी पिटी व अक्षम व्यवस्था। पार्किंग के मुहाने पर सिरदर्दी का आलम यह कि सड़कों पर वाहनों का सैलाब बिखरा हुआ नजर आता है। भले ही पर्यटक सीजन ने कांगड़ा एयरपोर्ट को उत्तर भारत के व्यस्ततम हवाई अड्डों में शुमार कर दिया, लेकिन बढ़े हुए हवाई किराए से हो रही चोट असहनीय है। उड़ान के तहत उड़ रही एयरटैक्सी ने पुनः खुद को महंगा साबित कर लिया, तो कब तक हम पर्यटक के लिए 'सीजन' को इतना निर्मम बनाते रहेंगे कि कार्यक्रम बनाने से पहले जेब कटने की सूचना निर्धारित हो जाए। विडंबना यह भी है कि प्रदेश के सबसे सफल हवाई पट्टी के विस्तार को लेकर बनी तमाम योजनाओं का केवल चीरहरण ही होता रहा है, जबकि मंडी के प्रस्तावित एयरपोर्ट पर शीर्षासन करती हुई प्रदेश सरकार ने जान की बाजी लगा दी है।
पर्यटन सीजन कुछ नए आकर्षण पैदा करने में भले ही असफल रहा हो, लेकिन इतना जरूर है कि युवा सैलानियों के लिए हर पहाड़ी एक मंजिल बन रही है। युवा पर्यटकों की पसंद का सारा खजाना हिमाचल की पर्वतीय श्रृंखलाओं में छुपा है, लेकिन इसे व्यवस्थित करने का साजो सामान पूरा नहीं है। सुरक्षा व बचाव की दृष्टि से साहसिक पर्यटन को अभी और निर्देशों व प्रबंधन की जरूरत है। इसी तरह ग्रामीण पर्यटन की संभावनाओं को देखने के लिए नए दर्पण की जरूरत है। झीलों, झरनों, नालों व नदियों को पर्यटन की दृष्टि से सुरक्षात्मक पहलुओं में पिरोने की आवश्यकता है। हम सीजन में यूं ही पर्यटन व पुलिस का मेल मिलाप कर देते हैं, जबकि पर्यटन पुलिस की अनिवार्यता में एक विशेष कॉडर को आगे लाने की जरूरत है। अब पर्यटन सीजन को शहरी नियोजन की परख में देखें, तो कई पहलू जोड़ने पड़ेंगे जबकि दीर्घकालीन योजनाओं के तहत ऐसे स्थलों को भीड़ से हटाकर सुकून के स्थल बनाने की दिशा में प्रयास करना होगा। इस बार पर्यटक सीजन भीड़ न बने, इसके लिए विभागीय समन्वय के तहत कानून व्यवस्था के अलावा विद्युत व जलापूर्ति को अहमियत देनी होगी। ग्रीष्म कालीन समारोहों की एक लंबी श्रृंखला शिमला, मनाली, धर्मशाला, डलहौजी के अलावा हर धार्मिक स्थल से जोड़नी होगी। यह समारोह पर्यटन की दृष्टि से अहम है कि हर दिन लोक कलाओं और लोक कलाकारों के प्रदर्शन सामने आएं। ये तीन से चार महीने अगर ब्रांड हिमाचल विकसित करने में सफल हों, तो कोविड काल के सारे दंश मिट सकते हैं।

क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल


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