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- चीन को सबक सिखाने का...
आज पूरा विश्व चीन से प्रताडि़त है और उत्तर कोरिया, तुर्की एवं पाकिस्तान को छोड़कर उसके खिलाफ कार्रवाई चाहता है, परंतु इसके पहले यह जानना आवश्यक है कि चीन विश्व का सशक्त महाजन और दूसरों की भूमि हड़पने वाला देश कैसे बना? दरअसल शीत युद्ध काल में रूस को रोकने के लिए पश्चिमी शक्तियों ने चीन को एक मोहरा समझकर उसे प्रोत्साहित किया, परंतु ये देश नेपोलियन के शब्द भूल गए कि चीन एक सोता हुआ ड्रैगन है। इसे जगाना मत, वरना सारे विश्व को झकझोर देगा। वास्तव में चीन यह समझ चुका था कि रूस की क्रांति करने के हथकंडे विफल हुए और उसे ले डूबे। इसलिए सैनिक क्षमता के साथ-साथ आॢथक शक्ति बनना भी उसके लिए आवश्यक है। इसी क्रम में लोभी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने चीन को उत्पादन के लिए अपनी कर्म भूमि बनाया। चीन में मजदूरों को कोई अधिकार तो है नहीं, सो उन्हेंं वहां भरपूर मुनाफा कमाने का मौका दिखा। उन्हें हड़ताल का डर भी नहीं था, पर वे यह भूल गईं कि इस प्रक्रिया में चीन को एक आॢथक शक्ति बना रही हैं। जाहिर है कुछ पश्चिमी देशों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने यदि अपनी नीतियां नहीं बदलीं तो चीन चंद कट्टर आतंकी देशों से साठ-गांठ कर दुनिया को आॢथक और मानसिक दास बनाने की स्थिति में पहुंच सकता है। चीनी युद्ध सामंत माओ ने 1949 में ही चीन को महाशक्ति बनाने का जो सपना देखना प्रारंभ किया था, उसे अब शी चिनपिंग साकार करने का भयंकर प्रयास कर रहे हैं।