सम्पादकीय

कसता शिकंजा

Rani Sahu
14 Sep 2022 5:50 PM GMT
कसता शिकंजा
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सोर्स- अमृत विचार
भारत में चीन की मुखौटा कंपनियों (शेल कंपनियां) पर चारों ओर से फंदा कड़ा हो गया है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने उन भारतीय संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई चला रखी है जो कंपनियों को फर्जी निदेशक मुहैया कराती हैं। इन शेल कंपनियों की गंभीर वित्तीय अपराधों में संभावित संलिप्तता देश की आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
एमसीए ने फर्जी कंपनियों के गठन के पीछे के मुख्य साजिशकर्ता को गिरफ्तार कर लिया है। ये कंपनियां भारत में गंभीर वित्तीय अपराधों में शामिल हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन की ऐसी सैकड़ों शेल कंपनियां दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद और गुरुग्राम जैसे शहरों में काम कर रही हैं। सामान्य तौर पर शेल कंपनी से तात्पर्य ऐसी कंपनी से है जो कि सिर्फ नाममात्र के लिए कागजों में स्थापित/पंजीकृत होती हैं। न इनके पास संपत्ति होती है न देनदारी, बस होता है तो वित्तीय लेनदेन।
कुछ समय पहले, ईडी ने चीनी ऋण ऐप मामले से जुड़ी जांच के सिलसिले में बेंगलुरु में छह स्थानों पर छापे मारे थे। शेल कंपनियों पर अंकुश लगाने के लिए पहले फरवरी 2017 में प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से टास्कफोर्स बनाया गया था। इस टास्कफोर्स का मकसद टैक्स चोरी सहित कई तरह के गलत काम करने वाली कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए कई एजेंसियों के साथ मिलकर व्यवस्थित तरीके से काम करना था। 2020 में पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन टकराव के बाद भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया पर चीन के खिलाफ अभियान जमकर चला। चीनी उत्पादों के बहिष्कार, चीनी ऐप पर प्रतिबंध, चीनी कंपनियों के साथ कारोबार पर रोक आदि के अभियान चलाए गए।
दरअसल चीन चाहता है कि भारत की अर्थव्यवस्था को कैसे कमजोर किया जाए। ईडी की जांच से भी खुलासा हुआ है कि चीन भारत को आर्थिक तौर पर भी जबरदस्त नुकसान पहुंचा रहा है। चीनी नागरिकों ने अवैध रूप से कई भारतीय कंपनियां बनाई हैं जिसके सहारे हजारों करोड़ रुपये का राजस्व इकट्ठा किया और फिर इन पैसों को भारत सरकार से छुपा कर चीन लेकर चले गए।
चूंकि देश में शेल कंपनियों और निष्क्रिय कंपनियों के बीच फर्क करने वाली कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए यह पता लगाना मुश्किल है कि सरकार की सख्ती से शेल कंपनियों पर कितना असर हुआ है। कुल मिलाकर चीनियों ने भारत में ऐसा जाल बिछा रखा है, जिससे जनता भी ठगी जा रही है और सरकार को भी करोड़ों का चूना लग रहा है। इसलिए देश की आर्थिक सुरक्षा के मुद्दे पर चुनौती से निपटने के लिए पर्याप्त रक्षात्मक उपाय सुनिश्चित किए जाने जरूरी हैं।
Rani Sahu

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