सम्पादकीय

यह नोटबंदी नहीं है

Rani Sahu
21 May 2023 7:03 PM GMT
यह नोटबंदी नहीं है
x
By: divyahimachal
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2000 रुपए का ‘गुलाबी नोट’ बंद कर दिया है। भविष्य में यह नोट चलन में नहीं होगा। अलबत्ता 30 सितंबर, 2023 तक देशवासी बैंकों में जाकर इस नोट को बदलवा सकते हैं अथवा अपने खाते में जमा कर सकते हैं। एक बार में 2000 रुपए के 10 नोट, यानी 20,000 रुपए, ही बदलवाए जा सकेंगे। खाते में कितनी भी राशि जमा की जा सकेगी। सिर्फ ‘केवाईसी’ की औपचारिकता पूरी करनी होगी। ‘गुलाबी नोट’ से जुड़ी बैंकों की प्रक्रिया 23 मई से शुरू होगी। फिलहाल सितंबर के बाद भी 2000 का नोट ‘मान्य’ होगा, ऐसा आरबीआई के शीर्ष अधिकारियों का कहना है। यह नोटबंदी इसलिए नहीं है, क्योंकि हमारे देश की करीब 10.8 फीसदी मुद्रा ही 2000 के नोट के रूप में है। जब प्रधानमंत्री मोदी ने 8 नवम्बर, 2016 की रात्रि 8 बजे नोटबंदी की घोषणा की थी और रात्रि 12 बजे से ही 500 और 1000 रुपए के नोट ‘कागज का टुकड़ा’ हो गए थे, तब 86 फीसदी से अधिक मुद्रा के चलन पर असर पड़ा था। हालांकि तब भी 100, 50, 20 और 10 रुपए के नोट चलन में थे। फिर भी नकदी के संकट की भरपाई के लिए 2000 रुपए का नोट शुरू किया गया था। आरबीआई अब स्पष्ट कर रहा है कि 2000 का नोट ‘अस्थायी बंदोबस्त’ था। केंद्रीय बैंक ने बहुत पहले ‘गुलाबी नोट’ को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी, लिहाजा 2018-19 के बाद एक भी ‘गुलाबी नोट’ नहीं छापा गया। बीती मार्च, 2023 में 2000 के 181 करोड़ नोट ही चलन में बचे थे, जिनका कुल मूल्य 3.62 लाख करोड़ रुपए बनता है। देश की करीब 3.5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में यह राशि नगण्य है।
बहरहाल नोटबंदी या नोटबदली आरबीआई के अधिकार-क्षेत्र की प्रक्रिया है। कांग्रेस नेतृत्व की यूपीए सरकार के दौरान 2013 में कुछ नोटों की सीरिज वापस ले ली गई थी। कोई हंगामा नहीं मचा। कोई सियासी दुष्प्रचार नहीं किया गया। अब तो प्रधानमंत्री मोदी की पढ़ाई पर सवाल किए जा रहे हैं। केजरीवाल और उनकी पार्टी को ज्यादा ही चिंता है। वे इसे ‘राष्ट्रीय संकट’ करार देने के मूड में हैं। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा है कि मूर्खता छिपाने के लिए यह ‘गुलाबी नोट’ लाया गया था। नोटबंदी का समग्र मामला सर्वोच्च अदालत तक पहुंचा। न्यायिक पीठ ने न तो इसे ‘अवैध’ करार दिया और न ही सरकार के आर्थिक निर्णय में कोई हस्तक्षेप किया। जो दल और नेता नोटबंदी को बेहद असंवैधानिक मान रहे थे, उन्हें सर्वोच्च अदालत के फैसले के बाद खामोश होना पड़ा। यह सवाल जिज्ञासा के स्तर पर जरूर किया जाना चाहिए कि नवम्बर, 2016 में 2000 रुपए का नोट लाया गया और 2018-19 के बाद एक भी ‘गुलाबी नोट’ छापा नहीं गया। आरबीआई ने इस नोट को समेटना शुरू कर दिया। यह नोट एटीएम से भी नहीं निकलता है। यह हमारा निजी अनुभव भी रहा है। आम आदमी बहुत कम इस्तेमाल करता रहा है। जांच एजेंसियों की ऐसी रपटें सामने आती रही हैं कि काला धन, हवाला आदि के छापों में जो नकदी बरामद किया गया है, उनमें 95 फीसदी 2000 और 500 रुपए के नोट ही होते हैं। बीते 6 साल में केंद्रीय बैंक ने 102 करोड़ रुपए मूल्य के ‘गुलाबी नोट’ नष्ट किए हैं। क्या यह नोट इतना ‘अल्पकालिक’ था? क्या बड़े भ्रष्टाचार, जमाखोरी, आतंकवाद की फंडिंग आदि के लिए ही यह नोट कारगर रहा? चूंकि 2000 का नोट बाजार से वापस लेने का निर्णय लिया गया है, लिहाजा उसके स्थान पर 500 और 200 रुपए के अधिक नोट बैंक ने छाप दिए होंगे! आरबीआई ने ‘क्लीन नोट पॉलिसी’ के तहत 2000 का नोट बंद किया है।
Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story