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- यह लाश सेकुलर है
बीच चौराहे पर एक व्यक्ति लेटा दिखाई दे रहा था। सीधा आसमान की ओर उसका शरीर और नीचे सिर्फ जमीन का एक टुकड़ा, जिसे सड़क कह सकते हैं। देश की प्रगति, समाज की गति, सरकारों की सदी और आजादी के तमाम आईनों से गुजरती सड़क भी आज अजीब स्थिति में थी। सड़क पर कोई जिंदा कैसे आसमान देख सकता है, इसलिए यह मान लिया गया कि बंदा मर चुका है। अब प्रश्न उठा कि यह आदमी मरा कैसे। सड़क पर पहली बार वाहन नहीं, इनसान बोल रहे थे। सारा शहर यहां पहुंच चुका था। उत्सुकता यह थी कि इस मौत से किसका घर खाली हुआ, लिहाजा कई आवाजें आ रही थीं। कोई कपड़ों से पता लगा रहा था कि मरने वाला इनसान होते हुए किस धर्म में था। कोई यह जानकर सुकून में था कि ऊपरी तौर पर 'वह' उसके धर्म से दिखाई नहीं दे रहा। किसी ने कहा कि मरने वाले के पांव की बिवाई बता रही है कि यह बंदा जरूर किसान या मजदूर रहा होगा। वहां इस मौत का मत बन रहा था।