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अफगानिस्तान में तालिबान के मजबूत होते 'कदमों' ने बदल डाली है हलकान पाकिस्तान की 'चाल'
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | जो पाकिस्तान (Pakistan) दुनिया भर में 'आतंकवाद' (Terrorism) और 'आतंकवादियों' की सुरक्षित 'मांद', जन्मस्थली, दुनिया के तमाम चुनिंदा आतंकवादी ट्रेनिंग कॉलेजों के रूप में कुख्यात है. वक्त ने करवट क्या ली अब वही पाकिस्तान अपने पड़ोसी देश अफगानिस्तान (Afghanistan) में हो रहे राजनीतिक बदलावों कहिये या फिर वहां चल रही उठा-पटक को लेकर हलकान हुआ पड़ा है. जबसे अफगानिस्तान में मौजूदा हुक्मरानों को पीछे करके तालिबान (Taliban) ने अपने पांव आगे बढ़ाए हैं. तभी से पाकिस्तानी हुक्मरानों की पेशानी पर बल पड़ना शुरू हो गया है. आलम यह है कि कल तक खुद को तालिबान का शुभचिंतक बताने वाले जिन पाकिस्तानी हुक्मरानों ने, कभी पाकिस्तान के वित्तीय पोषक रहे अमेरिका (America) जैसे देश को अपने घर में (पाकिस्तान की सर-ज़मीं पर) सेना के बेस बनाने की इजाजत देने से दो टूक इनकार कर दिया. आज वही पाकिस्तान और उसकी वही हुकूमत अब तालिबान के खौफ से हलकान हुए पड़ी है.