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भारतीय उपहाद्वीप के इतिहास में आजादी की लड़ाई सबसे बड़ी ऐतिहासिक परिघटना थी
मनीषा पांडेय भारतीय उपहाद्वीप के इतिहास में आजादी की लड़ाई सबसे बड़ी ऐतिहासिक परिघटना थी और भारत का विभाजन सबसे बड़ी त्रासदी. लेकिन इस इतिहास और त्रासदी को जिस पैमाने पर इतिहास में संजोया जाना चाहिए था, वो काम भारत में उस तरह नहीं हुआ. जैसे जर्मनी और पूरी दुनिया में होलोकॉस्ट की पृष्ठभूमि पर तकरीबन तीन हजार फिल्में बनीं, वैसे भारत का इतिहास सिनेमा में बार-बार दर्ज किया और दोहराया नहीं गया. महात्मा गांधी की जिंदगी पर बनी पहली महत्वपूर्ण फिल्म भी हॉलीवुड के डायरेक्टर रिचर्ड एटनबरो ने बनाई थी.
इतने अभाव के बीच भी हिंदी में कुछ फिल्में बनी हैं, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को दर्ज करने की एक ईमानदार सी कोशिश हैं. आइए हम आपको बताते हैं ऐसी ही कुछ फिल्मों के बारे में.
चार अध्याय (1997)
रबींद्रनाथा टैगोर के उपन्यास चार अध्याय पर आधारित और उसी नाम से बनी ये फिल्म 1997 में कुमार साहनी ने बनाई थी. यह फिल्म 1930 के 1940 के बीच बंगाल के पुनर्जागरण की कहानी है, जिसकी पृष्ठभूमि में भारत की आजादी की लड़ाई भी है. कुछ युवा लड़के और बुद्धिजीवी, जो आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेने के साथ-साथ अपने समाज के सांसकृतिक और बौद्धिक के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं. नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के सहयोग से बनी इस फिल्म का संगीत वनराज भाटिया ने दिया था. फिल्म एक गंभीर मुद्दे को बेहद संजीदगी से पेश करती है.
1998 में आई दीपा मेहता की फिल्म अर्थ
अर्थ (1998)
1998 में आई दीपा मेहता की यह फिल्म बाप्सी सिध्वा के उपन्यास क्रैकिंग इंडिया पर बनी थी. फिल्म की पृष्ठभूमि थी भारत का विभाजन. 1999 में यह फिल्म भारत की तरफ से एकेडमी अवॉर्ड के लिए भेजी गई थी.
अर्थ उन चंद फिल्मों में से है, जो विभाजन की त्रासदी को आम लोगों की कहानियों के साथ बुनकर इतनी संवेदना और गहराई के साथ पेश करती हैं कि उस त्रासदी का दुख अपनी धमनियों में बहता हुआ महसूस होता है.
अर्थ भारत की विभाजन की पृष्ठभूमि पर बनी हिंदी की सर्वश्रेष्ठ फिल्म है और भारत में बनी पिछले 90 सालों की सर्वश्रेष्ठ 100 फिल्मों में से एक.
द गांधी मर्डर (2019)
2019 में आई ये फिल्म 'द गांधी मर्डर' करीम त्रइडिया और पंकज सहगल ने बनाई है. यह पॉलिटिकल थ्रिलर गांधी की हत्या से जुड़ी घटनाओं की तफ्तीश करता है. अमेरिकन एक्टर स्टीफन लांग ने इस फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. एक रोल में ओम पुरी भी हैं.
अंग्रेजी में बनी यह फिल्म विदेशीप प्रोडक्शन है. फिल्म एक ठीक-ठाक कोशिश है, लेकिन बहुत अच्छी नहीं बन पाई है.
केतन मेहता की फिल्म सरदार (1993)
सरदार (1993)
ये सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन पर आधारित बायोग्राफिकल फिल्म है, जिसे लिखा मराठी के जाने-माने नाट्य लेखक विजय तेंदुलकर ने है और निर्देशन किया है केतन मेहता ने. फिल्म एक जरूरी ऐतिहासिक फिल्म है.
जलियांवाला बाग 1977
हिंदी की यह फिल्म बलराज ताह ने 1977 में बनाई थी, जिसका स्क्रीनप्ले गुलजार ने लिखा था. जलियांवाला बाग के अप्रैल, 1919 के हत्याकांड पर आधारित इस फिल्म में विनोद खन्ना, परीक्षित साहनी, शबाना आजमी और दीप्ति नवल ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई थीं. फिल्म में उधम सिंह की भूमिका में परीक्षित साहनी थे. भारत में जलियांवाला हत्याकांड पर बनी यह पहली फिल्म थी.
उसके बार 2021 में आई शूजीत सरकार की फिल्म सरदार उधम ने उस इतिहास को सिनेमा के पर्दे पर हमेशा के लिए अमर कर दिया है.
जुनून (1978)
रस्किन बॉन्ड के उपन्यास 'ए फ्लाइट ऑफ पिजंस' पर बनी श्याम बेनेगल की यह फिल्म 1857 के गदर की पृष्ठभूमि पर आधारित है. शशि कपूर ने इस फिल्म में केंद्रीय भूमिका निभाई थी. साथ ही वे फिल्म के प्रोड्यूसर भी थे.
इस फिल्म को 1979 में तीन नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया था. इस फिल्म की एक खास बात ये भी है कि इसमें जानी-मानी लेखिका इस्मत चुगताई ने भी एक रोल किया था. साथ ही नफीसा अली, शबाना आजमी, नसीरुद्दीन शाह और कुलभूषण खरबंदा महत्वपूर्ण भूमिकाओं में थे.
क्रिटिकली सराही गई और तमाम अवॉर्ड से नवाजी गई यह फिल्म सचमुच इस सम्मान की हकदार है.
विभाजन की पृष्ठभूमि पर बनी एम. एस. सथ्यू की फिल्म 'गर्म हवा' का एक दृश्य
गर्म हवा (1973)
भारत के विभाजन की पृष्ठभूमि पर 1973 में बनी एम. एस. सथ्यू की यह ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म भारतीय सिनेमा के इतिहास की अमूल्य निधि है. फिल्म में कैफी आजमी, बलराज साहनी, शमा जैदी ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई थीं. फिल्म उर्दू की जानी-मानी लेखिका इस्मत चुगताई की लिखी कहानी पर आधारित है.
गर्म हवा हिंदी की एकमात्र ऐसी फिल्म है, जो भारत में हिंदू-मुसलमान की लड़ाई, आजादी की लड़ाई और विभाजन की त्रासदी को इतनी गहराई, संवेदना और करुणा के साथ देखने की कोशिश करती है. यह उस तरह की फिल्मों में से है, जो देखने के बाद कभी भुलाई नहीं जातीं.
श्याम बेनेगल की फिल्म 'नेताजी सुभाषचंद बोस: द फॉरगॉटेन हीरो'
नेताजी सुभाषचंद बोस: द फॉरगॉटेन हीरो (20 04)
यह नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जिंदगी पर आधारित बायोग्राफिकल फिल्म है, जो श्याम बेनेगल ने बनाई है. फिल्म चूंकि भारत की आजादी की लड़ाई की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित और सुभाषचंद्र बोस की जिंदगी की कहानी है तो जाहिरन एक अच्छी और जरूरी फिल्म होगी, लेकिन ये श्याम बेनेगल की दूसरी ऐसी फिल्मों जैसे जुनून या द मेकिंग ऑफ महात्मा की तरह का प्रभाव छोड़ने वाली फिल्म नहीं है.
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