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हमारे बच्चों का चरित्र बचा रहे, वे अनुशासन में रहें
पं.विजयशंकर मेहता। हमारे बच्चों का चरित्र बचा रहे, वे अनुशासन में रहें, परिवार की परंपराओं को मानें। इस सबके लिए उन पर एक दबाव बनाना जरूरी है। फिर शिक्षा, लक्ष्य, सफलता की चाह इन बच्चों के जीवन में तनाव लेकर आती है। अब दबाव और तनाव के बीच माता-पिता को रास्ता निकालना है कि उन्हें इस लायक बना दें, जिसके लिए वे संसार में भेजे गए हैं। लेकिन ध्यान रखें, यहां तानाशाही काम नहीं आएगी।
बच्चों के लालन-पालन में अपना दबाव मिट्टी की परत की तरह रखना होगा। बीज के ऊपर मिट्टी की परत होती है। ऊपरी तौर पर देखें तो लगेगा उस परत ने बीज को दबाकर अंकुरित होने से रोक दिया है, लेकिन सच तो यह है कि उस दबाव के कारण ही बीज सुरक्षित था और एक दिन फूटकर जमीन के बाहर आ सका। इसी मिट्टी की जगह यदि पत्थर रख दिया जाए तो बीज दबकर नष्ट हो जाएगा।
संतान के प्रति माता-पिता को पत्थर की तरह सख्त तो नहीं होना है, लेकिन मिट्टी की परत की तरह दबाव जरूर बनाए रखना है। हम कितनी ही कोशिश कर लें, तनाव बच्चों के जीवन में आएंगे ही, लेकिन यदि दबाव सही बन गया, बीज का अंकुरण ठीक से हो गया तो फिर वे हर तनाव को सह पाने में समर्थ होंगे। जिस प्रकार मिट्टी परत बनकर बीज की सहायता करती है, ऐसे ही माता-पिता को तानाशाही छोड़ बच्चों के प्रति मैत्रीभाव रखना होगा।
Rani Sahu
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