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- विपक्षी एकता की 'पावर'...
आदित्य चोपड़ा | लोकतन्त्र में राजनीतिक परिस्थितियां प्रायः बदलती रहती हैं। इसी क्रम में इस प्रणाली में सत्ता और विपक्ष के दल भी अदलते-बदलते रहते हैं। भारत चुकी दुनिया का सबसे बड़ा संसदीय लोकतन्त्र कहलाता है, अतः इसमें जो भी बदलाव आता है वह जनता जनार्दन की इच्छा के वशीभूत ही होता है। जनता ही है जो राजनीतिक दलों की भूमिका बदलती रहती है। इसलिए देश के सर्वाधिक वरिष्ठ राजनेता श्री शरद पवार जो कवायद कर रहे हैं वह लोकतन्त्र में और अधिक जिम्मेदारी पैदा करने व जवाबदेह बनाने के लिए कर रहे हैं। इस प्रणाली में सत्ता पक्ष-विपक्ष के माध्यम से आम जनता के प्रति जवाबदेह होता है। यदि विपक्ष बिखरा हुआ रहता है तो सत्ता पक्ष की जवाबदेही भी बिखर जाती है। जाहिर इससे पहले से ही सबल सत्ता पक्ष को और ताकत मिलती है। इससे लोकतन्त्र के बेलगाम होने का रास्ता भी परोक्ष रूप से खुलता है।