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संजय गुप्त।
पांच राज्यों के चुनाव नतीजे कई दृष्टि से ऐतिहासिक होने के साथ ही भविष्य की राजनीति पर गहरा असर डालने वाले भी हैं। इन नतीजों को लेकर ममता बनर्जी समेत अन्य विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया उनके संकुचित दृष्टिकोण को ही बयान कर रही है, जबकि आवश्यक यह है कि वे जनता के मन-मिजाज को समझने के साथ राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर अपना एजेंडा स्पष्ट करें। इसलिए करें, क्योंकि चार राज्यों में भाजपा की जीत में राष्ट्रीय मुद्दों की भी भूमिका रही है। आज का मतदाता क्षेत्रीय मसलों के साथ ही राष्ट्रहित के मुद्दों को भी ध्यान में रखकर वोट देता है। इसी कारण जहां उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने सत्ता में वापसी के साथ 37 साल से चला आ रहा मिथक तोड़ा, वहीं उत्तराखंड में यह धारणा खंडित की कि हर चुनाव में सत्ता बदल जाती है। चार राज्यों में भाजपा की जीत की तरह पंजाब में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी अकल्पनीय प्रदर्शन कर बड़ा संदेश दिया है।