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- पुरानी जनगणना तय करती...
आजकल देेेश में राष्ट्रपति चुनाव की तैयारियां चल रही हैं। अठारह जुलाई को भारत के पंद्रहवें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए वोटिंग की जाएगी और इक्कीस जुलाई को वोटों की गिनती के बाद पच्चीस जुलाई से पहले देश के नए राष्ट्रपति को शपथ दिला दी जाएगी। हमारे देश में देश के प्रथम नागरिक का चुनाव अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा होता है। इसलिए आम चुनावों जैसी गहमागहमी इन चुनावों में आम जनता के बीच नजर नहीं आती। राष्ट्रपति को देश की जनता सीधे नहीं चुनती, बल्कि जनता के चुने हुए प्रतिनिधि देश के राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। देश के ऊपरी सदन अर्थात राज्यसभा और निचले सदन अर्थात लोकसभा के चुने हुए सांसद और देश की सभी विधानसभाओं के चुने हुए सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में हिस्सा लेते हैं। इन सभी को निर्वाचक मंडल (इलेक्टोरल कॉलेज) का नाम दिया गया है। लोकसभा के दो और राज्यसभा के बारह मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में वोट डालने के लिए योग्य नहीं होते क्योंकि इन चुनावों में वोट डालने के लिए केवल जनता द्वारा चुने हुए सदस्यों को ही भारतीय संविधान द्वारा योग्य माना गया है। लोकतंत्र में असली ताकत जनता के हाथों में होती है तथा चुनावों के द्वारा उसी ताकत को अपने हाथों में लेकर ताकतवर सरकारें बनती हैं। राष्ट्रपति के चुनाव में भी देश की जनता की ताकत का अप्रत्यक्ष रूप से अहम योगदान होता है। प्रत्येक विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों के वोट का मूल्य अलग-अलग होता है। इसका कारण प्रत्येक राज्य की अलग जनसंख्या है।
सोर्स- divyahimachal