सम्पादकीय

पंजाब में धर्म परिवर्तन का शोर

Subhi
2 Sep 2022 3:35 AM GMT
पंजाब में धर्म परिवर्तन का शोर
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पंजाब जैसे आधुनिक व वैज्ञानिक सोच वाले राज्य में भी अगर धर्म परिवर्तन से जुड़ी खबरें आती हैं तो यह वास्तव में बहुत ही गंभीर मामला है क्योंकि यह भारत का एक मात्र ऐसा राज्य है

आदित्य चोपड़ा: पंजाब जैसे आधुनिक व वैज्ञानिक सोच वाले राज्य में भी अगर धर्म परिवर्तन से जुड़ी खबरें आती हैं तो यह वास्तव में बहुत ही गंभीर मामला है क्योंकि यह भारत का एक मात्र ऐसा राज्य है जहां के लोगों को सिख गुरुओं ने सबसे पहले धार्मिक पाखंडवाद को नकारने का पाठ पढ़ाया और कर्म (कार्य) की शक्ति में विश्वास रखने का उपदेश दिया। यहां के लोगों की उदात्त संस्कृति ने मानवीयता को मजहब की चारदीवारी के घेरे में कैद करने से इनकार किया जिसमें सिख गुरुओं का ही सबसे बड़ा योगदान रहा क्योंकि उन्होंने 'मानस की जात' को एक ही रूप मे पहचाना। गुरु नानक देव जी से लेकर गुरु गोविन्द सिंह महाराज तक सभी दस गुरुओं ने अन्याय के समक्ष कभी भी सिर न झुकाने को मानव धर्म बताया और सत्य व हक की राह में बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने के लिए प्रेरित किया। दीन-हीन की सेवा को मानव कर्त्तव्य बताया और कर्म या मेहनत करने को ईमान बताया। सिख गुरुओं ने सबसे बड़ा उपदेश यह दिया कि किसी दैवीय चमत्कार पर भरोसा करने के बजाय मनुष्य अपनी मेहनत और लगन पर यकीन रख कर ही अपने जीवन में चमत्कार कर सकता है। इसका प्रमाण आज हम स्वयं केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में देख सकते हैं क्योंकि जिस प्रान्त या देश में भी पंजाबी हैं वे अपनी मेहनत व कार्यक्षमता के बूते पर ही आगे बढे़ हैं । ऐसे समाज में यदि किसी विशेष मजहब के प्रचारक यहां के सिख व हिन्दुओं को दैवीय चमत्कारों के जाल में फंसा कर उनका धर्म परिवर्तन कराते हैं तो इसका संज्ञान लिये बिना नहीं रहा जा सकता। पिछले कुछ वर्षों से पंजाब में ईसाई मिशनरी यहां के सिख व हिन्दू युवकों विशेष रूप से पिछड़े वर्ग के समाज में अपने धार्मिक दैवीय चमत्कारों के नाम पर इसाई बनाने का अभियान चलाये हुए हैं। यह अभियान पंजाब के सरहदी जिलों में विशेष तौर पर चलाया जा रहा है। ये ईसाई मिशनरी धार्मिक पाखंड फैला कर इन लोगों को सम्मोहित करने का प्रयास करते हैं और फिर उनकी धार्मिक पहचान को अनावश्यक बता कर केश त्यागने को कहते हैं तथा ईसाई बनने के लिए प्रेरित करते हैं। इस बारे में पिछले वर्ष भी सिख समुदाय के कई जत्थेदारों ने ध्यान खींचने की कोशिश की थी। परन्तु तत्कालीन सरकार ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया था। परन्तु इस बार अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हर प्रीत सिंह ने स्पष्ट रूप से सरकार से मांग की है कि धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने के लिए एक कानून लाया जाये जिससे राज्य में पाखंडवाद और अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाली ईसाई मिशनरियों की गतिविधियों पर लगाम लग सके। वैसे स्वयं में यह कम आश्चर्य का विषय नहीं है कि पंजाब जैसे राज्य के लोग भी अंधविश्वास का शिकार हो सकते हैं परन्तु भौतिक लालच और रातोंरात परिस्थितियों के बदलने के मोह में व्यक्ति ऐसे चक्करों में फंस भी सकता है, जिसका लाभ ईसाई मिशनरियां संभवतः उठा रही हैं। वरना कोई वजह नहीं थी कि अकाल तख्त के जत्थेदार साहेबान को स्वयं ही इस बुराई को खत्म करने की कमान संभालने की कार्रवाई करनी पड़ती।यदि गौर से देखा जाये तो सिख गुरुओं ने ही हिन्दू धर्म में फैले पाखंडवाद को समाप्त करने का बीड़ा उठाया था और मनुष्य को अपने ऊपर भरोसा करने का सन्देश दिया था। आज भी सिख संगतों में हमें ये उपदेश सुनने को मिलते हैं। जात- पांत के विरुद्ध भी सिख गुरुओं ने व्यापक अभियान चलाया और हर इंसान को एक समान समझने का व्यावहारिक गुर भी सिखाया। गुरुद्वारों में अनवरत लंगर चलना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है जिसमें हर दीन व मजहब के आदमी की सेवा खुली रहती है। परन्तु आश्चर्य की बात यह है कि पंजाब में जो पिछड़े या दलित वर्ग के लोग ईसाई धर्म में परिवर्तित होते हैं उन्हें ईसाई बनने के बावजूद आरक्षण की सुविधाएं मिलती रहती हैं जबकि आरक्षण की सुविधा केवल हिन्दू व सिख धर्म के दलितों को ही मिल सकती है। जत्थेदार हरप्रीत सिंह ने इस तरफ भी सरकार का ध्यान खींचा है। वैसे देखा जाये तो अंधविश्वास बढ़ाने के खिलाफ भी देश में बाकायदा कानून है मगर इसका उपयोग करने से विभिन्न राज्य सरकारें इसलिए घबराती हैं कि इसमे वोट बैंक का मसला आकर फंस जाता है। खुद को चमत्कारिक बताने वाले लोग हर मजहब में आसन जमा कर बैठे हैं। केवल सिख धर्म ही ऐसा है जिसमें ऐसी कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि इसके सन्त व धार्मिक उपदेशक गुरुओं के बताये मार्ग पर चलने के उपदेश देते हैं और उस 'गुरु ग्रन्थ साहब' को अपना प्रेरक मानते हैं जिसमें दलित व पिछड़े वर्ग के सन्तों की वाणियां भी संग्रहित हैं। इनमे अंधविश्वास व पोंगापंथी व पाखंडवाद पर करारा प्रहार होता है। अतः सवाल पाखंडवाद को समाप्त करने भी है जिसे फैला कर ईसाई मिशनरियां पंजाब का सामाजिक सौहार्द्र खराब करना चाहती है। दूसरा सवाल राष्ट्रीय सुरक्षा का भी है क्योंकि इस राज्य की सीमाएं पाकिस्तान से छूती हैं। भारत में धर्म परिवर्तन का सबसे बड़ा प्रभाव राष्ट्रीय नजरिये पर पड़ता है। धर्म परिवर्तित होते ही व्यक्ति की निष्ठाएं भारत की पुण्य भूमि से किसी दूसरी भूमि की तरफ घूमने लगती हैं। यह व्यावहारिक वास्तविकता है। अतः ज्ञानी जी की मांग पर धर्म परिवर्तन निषेध कानून पंजाब में लाया जाना चाहिए।

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