सम्पादकीय

ध्वनि प्रदूषण की मार

Subhi
9 Jun 2022 5:02 AM GMT
ध्वनि प्रदूषण की मार
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धरती पर वायु और जल प्रदूषण ही नहीं, ध्वनि प्रदूषण भी संकट का बड़ा कारण बन गया है। हाल में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी)की सालाना रिपोर्ट आई है।

सुधीर कुमार: धरती पर वायु और जल प्रदूषण ही नहीं, ध्वनि प्रदूषण भी संकट का बड़ा कारण बन गया है। हाल में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी)की सालाना रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद जिला बांग्लादेश की राजधानी ढाका के बाद दुनिया का दूसरा सर्वाधिक ध्वनि प्रदूषण वाला शहर बताया गया है। मुरादाबाद दुनिया के उन शीर्ष आठ शहरों में शामिल है जहां शोर का औसत स्तर एक सौ डेसिबल से ऊपर पहुंच चुका है। ढाका में दिन के समय शोर का स्तर एक सौ उन्नीस डेसिबल तक पहुंच जाता है, जबकि रामगंगा नदी के तट पर स्थित मुरादाबाद में यह एक सौ चौदह डेसिबल दर्ज किया गया है।

इस सूची में कोलकाता और आसनसोल (नवासी डेसिबल), जयपुर (चौरासी डेसिबल) और दिल्ली (तिरासी डेसिबल) जैसे शहर भी शामिल हैं, जहां ध्वनि आवृति विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्धारित मानक से अधिक पाई गई है। गौरतलब है कि 2018 में जारी अपने दिशानिर्देशों में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दिन के समय ध्वनि प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों के लिए अलग-अलग मापदंड जारी किए थे।

इसके मुताबिक सड़क यातायात में दिन के समय शोर का स्तर तिरपन डेसिबल, रेल परिवहन में चौवन, हवाई जहाज और पवन चक्की चलने के दौरान यह स्तर पैंतालीस डेसिबल से अधिक नहीं होना चाहिए। इससे ऊपर का शोर स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक माना जाता है। जाहिर है, शोर का बढ़ता स्तर बड़े खतरे का सूचक है, जिसे अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।


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