सम्पादकीय

खेल दक्षिण पहुंच गया है

Subhi
24 Feb 2021 4:30 AM GMT
खेल दक्षिण पहुंच गया है
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पुडुचेरी में सोमवार को जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई

पुडुचेरी में सोमवार को जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई, तो तमिलनाडु की पार्टी विडुलथलई चिरुथैगल काची (वीसीके) के अध्यक्ष थोल तिरुमावालवन ने कहा कि यह तमिलनाडु में होने वाले असली ड्रामे का रिहर्सल है। उन्होंने सीधा आरोप लगाया कि पुडुचेरी की ताजा घटनाओं के पीछे भारतीय जनता पार्टी का हाथ है और संकेत दिया कि आने वाले दिनों में इसी तरीके से ये पार्टी तमिलनाडु में सत्ता हथिया सकती है। गोवा, मणिपुर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों की गुजरे वर्षों की घटनाओं से वाकिफ लोगों को तिरुमावालवन को यह अंदेशा निराधार नहीं लगा। आखिर जिस तरह पुडुचेरी में चुनाव से कुछ महीने पहले सरकार गिरी है, उसके पीछे के हाथ पर चर्चा होना लाजिमी है। 33 सीटों वाली पुडुचेरी विधान सभा में बहुमत के लिए 17 सीटें चाहिए होती हैं। कुछ विधायकों के इस्तीफे के बाद सदन में सदस्यों की संख्या गिर कर 26 पर आ गई, इसलिए बहुमत का आंकड़ा भी 14 पर आ गया था।

रविवार को कांग्रेस और उसके घटक दल डीएमके के एक- एक विधायक के इस्तीफे के बाद सदन में सरकार के पास सिर्फ 12 सीटें रह गईं और वह अल्पमत में आ गई। इसके बाद राज्य का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहीं तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन ने मुख्यमंत्री नारायणसामी को सदन में विश्वास मत का सामना करने को कहा। सोमवार को सदन आखिरकार सरकार गिर गई। क्या यह घटनाक्रम पहले दिखे नजारों का दोहराव नहीं लगता? दरअसल ऐसी ही घटनाओं ने आज देश के लोकतंत्र को लेकर लोगों के मन में शक गहरा हो गया है। विदेशी मीडिया में भी जो चर्चाएं चल रही हैं, वे आश्वस्त करने वाली नहीं हैं। सदन की कार्यवाही के बाद सोमवार को मुख्यमंत्री नारायणसामी ने राज्यपाल से मिल कर इस्तीफा तो सौंप दिया। इसके बाद उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में लोकतंत्र की हत्या हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार, विपक्षी दल एनआर कांग्रेस और एआईएडीएमके ने मिल कर उनकी सरकार गिराई है। नारायणसामी पहले से दावा कर रहे थे कि विधान सभा में तीन सदस्य हैं जिन्हें भाजपा ने मनोनीत किया है और मनोनीत सदस्य होने के नाते इन्हें विश्वास मत के दौरान मतदान करने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। लेकिन अध्यक्ष ने इसकी अनुमति दे दी। अगर इन्हें मतदान से बाहर रखा जाता, तो कांग्रेस-डीएमके सरकार बच जाती। लेकिन आज के दौर में सब कुछ वही होता है, जो 'ऊपर' की मर्जी होती है।



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