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क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के चलन और रेगुलेशन के प्रति भारत का रुख सब की समझ से बाहर है
रिथवी सोमानी :- क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के चलन और रेगुलेशन के प्रति भारत का रुख सब की समझ से बाहर है. 2013 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक एहतियाती प्रेस विज्ञप्ति जारी कर निवेशकों को इस आभासी मुद्रा क्रिप्टोकरेंसी की अस्थिरता और वैधता को लेकर चेतावनी जारी की. क्रिप्टोकरेंसी उसके इस्तेमाल करने वालों के लिए भी गुमनाम जैसा ही होता है, ऐसे में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यूजर्स को इससे नुकसान के बारे में 2013 से लेकर अब तक आगाह करता आ रहा है
2018 में जब क्रिप्टोकरेंसी के बारे में अटकलें सामने आने लगीं तब रिजर्व बैंक ने पहला औपचारिक सर्कुलर जारी किया जिसमें बैंकों और दूसरे वित्तीय संस्थानों को क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन में लगे या शामिल लोगों को किसी भी तरह की सुविधा देने से मना किया. तब नतीजा ये हुआ कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज जैसी सेवा देने वाले स्टार्टअप और कंपनियां बंद होने लगीं. हालांकि आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग (Cryptocurrency Trading) पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया. इसका मतलब लगाया गया कि आपसी लेनदेन में व्यापारी अपने नेटवर्क में क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग कर सकते थे.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक का उलटा रुख अख्तियार कर लिया. इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया बनाम भारतीय रिजर्व बैंक (2020 एससीसी ऑनलाइन एससी 275) के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से प्रतिबंध को खारिज कर दिया. कहा गया कि भले ही रिजर्व बैंक को वित्तीय क्षेत्र को रेगुलेट करने का अधिकार है लेकिन आभासी मुद्राओं पर प्रतिबंध लगाना एक शरारती कदम है. इस फैसले के बाद आरबीआई ने बैंकों से क्रिप्टो लेनदेन से संबंधित किसी भी सुविधा के लिए अपने केवाईसी और लोगों की जानकारी को लेकर गंभीरता से सोचने और जांच की एक और परत जोड़ने का आदेश दिया.
सेबी और दूसरे रेगुलेटर क्रिप्टो पर क्या कहते हैं?
भारतीय सुरक्षा और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने क्रिप्टोकरेंसी के किसी भी रूप में लेनदेन करने वाले लोगों और कंपनियों पर परेशानी व्यक्त की. हाल ही में त्योहारों के दौरान और खेल आयोजनों में विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी को लेकर आक्रामक केंपेन और विज्ञापन अभियान चलाए गए जिससे क्रिप्टोकरेंसी में रेगुलेशन की परेशानी को हाइलाइट किया गया. बेहतर टीआरपी (बार्क) वाले टीवी चैनल या ज्यादा सर्कुलेशव वाले अखबार, डिजिटल प्लेटफॉर्म, बॉलीवुड हस्तियां, कुछ मिस करने को लेकर क्रिप्टो से संबंधित विज्ञापन जिनमें टर्म और कंडिशन काफी छोटे अक्षरों में लिखा होता हो देखने के बाद सेबी, रिजर्व बैंक और एडवरटाइजिंस काउंसिल ऑफ इंडिया समेत इस मामले से जुड़े दूसरे नियामक उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए आगे आए.
केंद्र का रुख अभी स्पष्ट नहीं
कथित तौर पर अत्यधिक लाभ और सुरक्षा के साथ अचानक क्रिप्टो विज्ञापनों की बाढ़ ने खुद प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर बैठक करने को मजबूर कर दिया. बावजूद इसके, क्रिप्टोकरेंसी के प्रति सरकार की धारणा अब भी स्पष्ट नहीं है. सरकार ने "आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 का क्रिप्टोक्यूरेंसी और विनियमन" बिल पेश करने की अपनी योजना को अंतिम समय में बदल लिया. इस बिल में क्रिप्टोकरेंसी में किसी भी तरह के लेनदेन को अवैध बनाने का प्रावधान है. अब तक इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि विधेयक को दोबारा अपडेट करके संसद में कब और कैसे पेश किया जाएगा.
क्रिप्टोकरेंसी पर आगे क्या?
दुनिया भर में इसके चलन को देखते हुए भारत सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए तरीकों पर चर्चा और बहस करना शुरू कर दिया है. आरबीआई खुद इस साल ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करके भारत की अपनी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) को जारी करने पर काम कर रहा है. आधारभूत सुरक्षा की परतें होने के बावजूद रिजर्व बैंक की चिंता निराधार नहीं हैं. क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज और वॉलेट या उपयोगकर्ता के खाते हमेशा ब्लॉकचेन लेज़रों की तरह सुरक्षित नहीं होते हैं. यही कारण है कि पहले से बेची गई क्रिप्टोकरेंसी की चोरी की खबर कभी कभी आ जाती है.
मगर इसके साथ ही क्रिप्टोकरेंसी की सुरक्षा और गोपनियता किसी भी तरह की धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग या टैक्स में चोरी का पता लगाना मुश्किल कर देती है. एक केंद्रीय सर्वर में नहीं रख कर क्रिप्टोकरेंसी को एक विस्तृत गुमनाम नेटवर्क में रखा जाता है. अगर कभी किसी कारण से पर्सनल कंप्यूटर का डाटा मिट जाता है तो उसका कोई बैकअप कंप्यूटर की मेमोरी में नहीं रहता जिससे क्रिप्टोकरेंसी उपयोगकर्ता को परेशानी आती है.
ऐसा कहा जाता है कि कई क्रिप्टोकरेंसी को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि उसकी उपलब्धता (लिक्विडिटी) कम रहे. जटिल कंप्यूटर तकनीक को आगे बढ़ाना आसान नहीं होता और क्रिप्टोकरेंसी के संग्रह में काफी पेचीदगी होती है. इसलिए ऐसी स्थितियां होती हैं कि आपूर्ति मांग से कम रहती है. आम मुद्रा से एक्सचेंज के दौरान क्रिप्टोकरेंसी का भाव इसी कमी के मुताबिक तय होता है. इसी कारण बिटक्वाइन जैसी जानी-मानी क्रिप्टोकरेंसी के रेट में भी काफी तेजी से उतार-चढ़ाव देखने को मिलती है.
अपने पैसे को रखने के लिए ये बड़ी जोखिम वाला साधन है
क्रिप्टो किसी तरह का निवेश नहीं है, यह एक डिजिटल मुद्रा हैं जिसमें भविष्य में नकदी में बदलने का कोई साधन नहीं है. बगैर आधिकारिक समर्थन के क्रिप्टो जैसी मुद्रा अस्थिर हैं जिनका मूल्य कोई भी वित्तीय प्रणाली या संगठन सुनिश्चित नहीं करता. क्रिप्टो में मूल्य समुदाय निर्धारित करता है ऐसे में आने वाले समय में इसकी कीमत बेतहाशा भी बढ़ सकती है और शून्य भी हो जा सकती है. साफ है, निवेश के लिए क्रिप्टो एक बहुत ही बड़ी जोखिम वाला साधन है. बिटकॉइन, ईथर या डॉगकोइन जैसे क्रिप्टो में भी काफी ज्यादा जोखिम है. उन्हें अब भी खुद को एक औपचारिक मुद्रा के रूप में स्थापित करना है.
इनके अलावा डिजिटल मुद्राओं के पीछे उतने ही मूल्य की सोने, चांदी जैसी संपत्ति या कोई वस्तु नहीं होती जिनसे उनके मूल्य का निर्धारण हो. यह बिल्कुल सट्टे की तरह है और खुदरा निवेशकों को इससे तब तक दूर रहने की सलाह दी जाती है जब तक कि भारत सरकार इन्हें रेगुलेट करने का कोई सिस्टम लेकर सामने नहीं आती. क्रिप्टोकरेंसी में रातों रात भाव बढ़ने का मामला एक सपने की तरह होता है और जहां तक मूल्य का सवाल है, यह अब तक अनिश्चित है.
सहभार: TV9
Rani Sahu
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