सम्पादकीय

रूसी युद्ध की नियति

Rani Sahu
25 Feb 2022 7:07 PM GMT
रूसी युद्ध की नियति
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अभी तो लोग नींद में थे। तड़का होने को था। ऊंघते हुए लोग जागने की प्रक्रिया में थे कि रूस की सेनाओं ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया

अभी तो लोग नींद में थे। तड़का होने को था। ऊंघते हुए लोग जागने की प्रक्रिया में थे कि रूस की सेनाओं ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया। राष्ट्रपति पुतिन के आदेश के बाद रूसी सेनाएं यूक्रेन में घुस गईं। चारों तरफ से मिसाइलों, रॉकेटों, गोलों की बरसात होने लगी। ताबड़तोड़ हवाई हमले शुरू हो गए। देखते ही देखते चारों ओर काला धुआं फैलने लगा। बारूदी गंध महसूस होने लगी। चीख-चीत्कार मच गई और तबाही का मंजर बिछ गया। पुतिन के शब्दों पर यकीन नहीं किया जा सकता। उन्होंने युद्ध के संदर्भ में कहा कुछ था, लेकिन अब आम नागरिक और इमारतों पर मिसाइल दागी गई हैं। पुतिन ने अपना विस्तारवादी मकसद पूरा करना है, लिहाजा भोर के अंधेरे में ही यूक्रेन पर युद्ध की विभीषिका थोप दी गई। यह लिखने तक रूस 200 से अधिक हमले कर चुका था और राजधानी कीव की तरफ बढ़ रहा था। भीषण टकराव जारी था। कीव के एयरबेस समेत प्रमुख हवाई अड्डे रूस के कब्जे में आ चुके हैं। चेरनोबिल परमाणु प्लांट पर भी रूस का कब्जा हो चुका है। रूसी विमान और हेलीकॉप्टर यूक्रेन के आसमान में निर्बाध मंडरा रहे हैं। पूरे देश में मॉर्शल लॉ और कर्फ्यू है, लेकिन तबाही और बर्बादी की मौजूदगी देखी जा सकती है। अमरीका, नाटो और यूरोपीय देश एडि़यां ही रगड़ते रहे, लेकिन रूस ने तबाही बिछा दी। उनकी सेनाएं सीधा रूसी सेनाओं से नहीं लड़ेंगी।

नाटो ने जो 100 लड़ाकू विमान और 120 अन्य जहाज तैनात किए हैं, क्या वे प्रदर्शनी की खातिर हैं। 'मुंहतोड़ जवाब', 'पुतिन तानाशाह', 'नाजी हमला' सरीखे शब्दों से ऐसे युद्ध रुका नहीं करते। रूसी राष्ट्रपति दुनियावी हालात से बेफिक्र हैं। तेल, गैस, खाद्यान्न और दूसरी कीमतें आकाश छूती रहें, रूस बेपरवाह है। चीन परोक्ष रूप से उसके साथ है। सवाल है कि इस रूसी हमले की नियति क्या होगी? क्या यूक्रेन टूटकर बिखर जाएगा? हमें नहीं लगता कि यह टकराव विश्व-युद्ध में तबदील होगा, क्योंकि पुतिन ने सचेत कर दिया है कि कोई भी बाहरी देश हस्तक्षेप की कोशिश न करे। अलबत्ता अंजाम भुगतना पड़ेगा। इस तरह अब यूक्रेन युद्ध में अकेला है, पश्चिमी देशों ने उसे धोखा दिया है। वह कब तक रूसी सेनाओं से लड़ सकेगा? हालांकि यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय का दावा है कि उसकी सेनाओं ने रूस के 7 विमान, 6 हेलीकॉप्टर मार गिराए हैं। 30 से अधिक टैंक तबाह कर दिए हैं और 800 से ज्यादा सैनिक मार दिए हैं। कई सैनिक बंधक भी बनाए हैं।
दरअसल युद्ध के दौरान ऐसे दावों की पुष्टि नहीं की जा सकती। यह अनवरत युद्ध है। यूक्रेन की सैन्य शक्ति रूस के मुकाबले बेहद सीमित है। यदि रूस यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा करने में सफल रहा, तो वह एक बड़ा मोर्चा हासिल कर लेगा। सवाल यह है कि रूस और यूक्रेन दोनों ही परमाणु शक्ति वाले देश हैं। हालांकि क्षमताओं और प्रौद्योगिकी को लेकर बड़े फासले हैं। यदि किसी भी पक्ष ने परमाणु हमले का फैसला लिया, तो तबाही और बर्बादी व्यापक होगी। भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार रात्रि में 25 मिनट तक रूसी राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर आग्रह किया कि युद्ध समाप्त करना चाहिए। राजनयिक संवाद से किसी भी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। प्रधानमंत्री ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों की चिंता और उन्हें सुरक्षित वापस लाने का सरोकार भी पुतिन से साझा किया। इस शीर्ष संवाद से पहले कैबिनेट की सुरक्षा समिति की आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, विदेश मंत्री, वित्त मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार आदि से विमर्श किया गया। बहरहाल इस युद्ध का भारत पर क्या असर पड़ेगा, हम कुछ पहलुओं का विश्लेषण कर चुके हैं। युद्ध के एक दिन में ही अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत 106 डॉलर प्रति बैरल तक उछल गई। सितंबर, 2014 के बाद कच्चा तेल इतना महंगा हुआ है। हमारी मुद्रा रुपया भी गिरेगा। थर्मल कोल का आयात प्रभावित होगा और आयात महंगा होगा। चालू खाते का घाटा बढ़ेगा, लिहाजा व्यापारिक घाटा भी बढ़ेगा। पेट्रो पदार्थों के दाम बढ़ेंगे, तो महंगाई भी बढ़ेगी। भारत पर कूटनीतिक दबाव भी बढ़ने लगा है। इसका नाजायज फायदा चीन और पाकिस्तान उठा सकते हैं। रूस चीन की आर्थिक ताकत की ओर उन्मुख होकर नई महाशक्ति का गठबंधन तैयार करना चाहेगा। यह स्थिति भारत के पक्ष में अच्छी नहीं होगी। बेहतर यह होगा कि युद्ध यथाशीघ्र समाप्त हो। कहा भी जाता है कि शूरवीरता से बेहतर बुद्धि होती है। हमें विवेक से काम लेते हुए विश्व में शांति स्थापित करनी है।

क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल

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