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- रूसी युद्ध की नियति
अभी तो लोग नींद में थे। तड़का होने को था। ऊंघते हुए लोग जागने की प्रक्रिया में थे कि रूस की सेनाओं ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया। राष्ट्रपति पुतिन के आदेश के बाद रूसी सेनाएं यूक्रेन में घुस गईं। चारों तरफ से मिसाइलों, रॉकेटों, गोलों की बरसात होने लगी। ताबड़तोड़ हवाई हमले शुरू हो गए। देखते ही देखते चारों ओर काला धुआं फैलने लगा। बारूदी गंध महसूस होने लगी। चीख-चीत्कार मच गई और तबाही का मंजर बिछ गया। पुतिन के शब्दों पर यकीन नहीं किया जा सकता। उन्होंने युद्ध के संदर्भ में कहा कुछ था, लेकिन अब आम नागरिक और इमारतों पर मिसाइल दागी गई हैं। पुतिन ने अपना विस्तारवादी मकसद पूरा करना है, लिहाजा भोर के अंधेरे में ही यूक्रेन पर युद्ध की विभीषिका थोप दी गई। यह लिखने तक रूस 200 से अधिक हमले कर चुका था और राजधानी कीव की तरफ बढ़ रहा था। भीषण टकराव जारी था। कीव के एयरबेस समेत प्रमुख हवाई अड्डे रूस के कब्जे में आ चुके हैं। चेरनोबिल परमाणु प्लांट पर भी रूस का कब्जा हो चुका है। रूसी विमान और हेलीकॉप्टर यूक्रेन के आसमान में निर्बाध मंडरा रहे हैं। पूरे देश में मॉर्शल लॉ और कर्फ्यू है, लेकिन तबाही और बर्बादी की मौजूदगी देखी जा सकती है। अमरीका, नाटो और यूरोपीय देश एडि़यां ही रगड़ते रहे, लेकिन रूस ने तबाही बिछा दी। उनकी सेनाएं सीधा रूसी सेनाओं से नहीं लड़ेंगी।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल