सम्पादकीय

आतंक के निशाने पर

Subhi
2 Jun 2022 3:44 AM GMT
आतंक के निशाने पर
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कश्मीर के कुलगाम में मंगलवार की सुबह हुई स्कूल टीचर की हत्या ने एक बार फिर घाटी में नागरिकों, खासकर कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा के सवाल को प्रमुखता से सामने ला दिया है।

नवभारत टाइम्स; कश्मीर के कुलगाम में मंगलवार की सुबह हुई स्कूल टीचर की हत्या ने एक बार फिर घाटी में नागरिकों, खासकर कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा के सवाल को प्रमुखता से सामने ला दिया है। यह पिछले एक महीने में जम्मू-कश्मीर में टारगेटेड किलिंग की सातवीं घटना है। इनमें से चार मामलों में कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाया गया है। यह बात पहले से कही जाती रही है कि कश्मीर में बदले हालात को ध्यान में रखते हुए आतंकवादी टारगेटेड किलिंग का विकल्प चुन सकते हैं। इन घटनाओं का पैटर्न बताता है कि सोची-समझी रणनीति के तहत इन्हें अंजाम दिया जा रहा है। आतंकी तत्व खास तौर पर कश्मीरी पंडितों को निशाना बना रहे हैं ताकि कश्मीर के बाहर यह संदेश जाए कि सरकार इस उत्पीड़ित समूह के लोगों को भी सुरक्षा नहीं दे पा रही। कारण चाहे जो भी हो, पर इन हत्याओं की वजह से जम्मू-कश्मीर और खासकर घाटी के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे कश्मीरी पंडित खुद को असुरक्षित पा रहे हैं। मंगलवार की घटना का शिकार हुई शिक्षिका के परिवार की बात करें तो उनके पति भी शिक्षक हैं और दोनों के परिजन काफी समय से उन पर दबाव डाल रहे थे कि वे जम्मू में आकर रहें। मगर सरकारी नौकरी न छोड़ पाने की मजबूरी के चलते दोनों इस दबाव को अनदेखा कर रहे थे।

स्वाभाविक ही इस घटना ने पहले से चिंतित कश्मीरी पंडितों को और भी उद्वेलित कर दिया है। उनकी यह मांग और तेज हो गई है कि उन्हें जल्द से जल्द रीलोकेट किया जाए। इस मांग के पीछे छिपी चिंता को समझा जा सकता है, लेकिन यह बात भी याद रखने की है कि आतंकी तत्वों का मकसद भी यही है। ऐसे में दोनों के बीच की इकलौती राह यह बचती है कि कश्मीर में न केवल शांति स्थापित की जाए बल्कि लोगों के बीच घर करती जा रही असुरक्षा की भावना दूर की जाए। यह काम जितना मुश्किल है, उतना ही समयसाध्य। वैसे राज्य प्रशासन अपनी ओर से भरपूर कोशिश कर रहा है। घटना के बाद जारी आधिकारिक बयान में पुलिस विभाग का यह कहना महत्वपूर्ण है कि इस वीभत्स आतंकी कृत्य में शामिल आतंकवादियों की जल्दी ही पहचान करके उन्हें न्यूट्रलाइज कर दिया जाएगा। आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति तो रखनी होगी, लेकिन जहां तक कानून-व्यवस्था पर आम लोगों के यकीन और उनके सुरक्षाबोध का सवाल है तो इसका सबसे कारगर और दूरगामी उपाय है कानून पालन की भावना और समाज में सद‌्भाव बनाए रखने पर जोर। आतंक उन्मूलन के उपाय जारी रखने के साथ ही लोकतंत्र और सद्भाव बहाली की कोशिशें ही कश्मीर को उस दलदल से बचा सकती हैं, जिसमें ले जाने की साजिशें आतंकी तत्व रच रहे हैं।


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