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- भरोसे लायक नहीं...
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं और नागरिकों की वापसी की समय सीमा खत्म हो रही है, लेकिन इस सीमा को बढ़ाना भी पड़ सकता है। भले ही अमेरिका अपने लोगों को तय समय सीमा में अफगानिस्तान से निकाल ले, लेकिन यही बात अन्य देशों के लोगों के बारे में नहीं कही जा सकती और उन अफगान नागरिकों के बारे में तो बिल्कुल भी नहीं कही जा सकती, जो तालिबान के भय के कारण देश से बाहर निकल जाना चाहते हैं। यह ठीक है कि तालिबान ऐसे संकेत दे रहा है कि वह 31 अगस्त की समय सीमा में ढील देने को तैयार हो जाएगा, लेकिन सवाल यह है कि क्या वह देश छोड़ने के इच्छुक अफगान नागरिकों को भी बाहर जाने की इजाजत देगा? तालिबान यह दावा कर सकता है कि वह बदल गया है, लेकिन उसकी कथनी और करनी में अंतर साफ दिख रहा है। तालिबान अपनी अलग छवि पेश करने और विश्व समुदाय से सहयोग-समन्वय रखने की चाहे जितनी कोशिश करे, वह एक आक्रांता की छवि से लैस है। दुनिया उसे इसी रूप में देखती है कि वह आतंक और बंदूक के बल पर अफगानिस्तान पर शासन करना चाहता है। उसकी इसी छवि के कारण तमाम अफगान नागरिक उसके चंगुल से निकल जाना चाहते हैं। यदि ये अफगान नागरिक तालिबान नेताओं की चिकनी-चुपड़ी बातों से प्रभावित नहीं हो पा रहे हैं तो उनकी हरकतों के कारण। वे न केवल पुराने तौर-तरीकों पर अमल कर रहे हैं, बल्कि ऐसे फरमान भी जारी कर रहे हैं, जिनसे यही लगता है कि उनका तंग नजरिया जस का तस है।