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- खेल विभाग की कुछ तो...
हिमाचल प्रदेश खेल विभाग की वर्षों से चल रही अनदेखी के कारण यह हालत हो गई है जिससे आज उसके न तो जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारी के पद के लिए योग्यता पूरी करने वाला पीछे कैडर है और न ही उप निदेशक पद पर पदोन्नत होने के लिए विभागीय अधिकारी। हिमाचल प्रदेश में खेलोंं के लिए वह वातावरण ही नहीं बन पा रहा है जिसके आधार पर हिमाचल में खेलों को गति मिल सके। राज्य में खेलों के उत्थान के लिए बना हिमाचल प्रदेश का युवा सेवाएं एवं खेल विभाग तीन दशक बाद भी अभी तक कामचलाऊ जुगाड़ के सहारे रेंग रहा है। हिमाचल प्रदेश में खेल अभी भी शैशवावस्था से ऊपर उठ नहीं पा रहे हैं। राज्य में खेलों के उत्थान के लिए अस्सी के दशक के शुरुआती वर्षों में हिमाचल प्रदेश युवा सेवाएं एवं खेल विभाग का गठन हुआ। इस विभाग में निदेशक, संयुक्त निदेशक, उप निदेशक, जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारियों, प्रशिक्षकों, कनिष्ठ प्रशिक्षकों व युवा संयोजकों के पद सृजित हैं। विभाग का कार्य प्रदेश में युवा गतिविधियों व खेलों का विकास करना है। हिमाचल प्रदेश में यह विभाग खेल क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले स्तर तक ले जाने के लिए प्रशिक्षण, खेलों के लिए आधारभूत ढांचा व राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता होने पर नगद पुरस्कार व अवार्ड देने के लिए बनाया गया है। हिमाचल प्रदेश के इस विभाग का निदेशक प्रशासनिक सेवा से ही अधिकतर नियुक्त होता रहा है। केवल टीएल वैद्य व सुमन रावत ही दो ऐसे निदेशक रहे हैं जो विभाग से पदोन्नत होकर उच्चतम स्तर पर पहुंचे थे। उपनिदेशक और कभी-कभी संयुक्त निदेशक पद तक विभाग के प्रशिक्षक व युवा संयोजक पदोन्नत होकर पहुंच जाते हैं। इन विभागीय अधिकारियों को अधिक तकनीकी जानकारी नहीं होती। इस साल हुई एक उपनिदेशक की सेवानिवृत्ति के बाद आज हिमाचल प्रदेश युवा सेवाएं एवं खेल विभाग के पास कोई भी उपनिदेशक नहीं है। वरिष्ठ जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारी से विभाग काम चला रहा है। नियमित जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारी भी केवल चार ही जिलों में हैं। राज्य के शेष जिलों में कामचलाऊ अधिकारी बिठा रखे हैं।