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चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने जब बुधवार को यह घोषणा की कि वे संकट से घिरी कांग्रेस पार्टी में शामिल नहीं होंगे
अजय झा |
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने जब बुधवार को यह घोषणा की कि वे संकट से घिरी कांग्रेस पार्टी में शामिल नहीं होंगे तो इस बात पर सस्पेंस पैदा हो गया कि गुजरात के चुनावी भंवर से कांग्रेस की नैया पार कराने के लिए पाटीदार समुदाय के प्रमुख नेता नरेश पटेल पार्टी में शामिल होंगे या नहीं. बीजेपी शासित राज्य गुजरात में प्रशांत किशोर ने गुजरात के बड़े व्यापारी नरेश पटेल की पहचान एक गेम चेंजर के रूप में की थी, जहां इसी साल दिसंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं. हालांकि, नरेश पटेल ने साफ कर दिया है कि किशोर के किसी भी फैसले का उनके द्वारा लिए गए किसी भी फैसले पर कोई असर नहीं पड़ेगा. लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी में घबराहट छाई है, क्योंकि पटेल ने अभी तक कांग्रेस में शामिल होने की अपनी योजना को सार्वजनिक नहीं किया है.
नरेश पटेल ने 22 अप्रैल को नई दिल्ली का दौरा किया था, जब उन्होंने प्रशांत किशोर से भी मुलाकात की थी, जो तब कांग्रेस पार्टी के साथ थे और उन्हें कांग्रेस से जोड़ने के लिए बातचीत कर रहे थे. माना जा रहा है कि इस दौरे के दौरान पटेल ने कांग्रेस पार्टी के नेताओं से भी मुलाकात की थी, हालांकि उन्होंने इससे इनकार किया है. ऐसा लग रहा है जैसे कि उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व को यह स्पष्ट कर दिया था कि वह कांग्रेस पार्टी में तभी शामिल होंगे जब प्रशांत किशोर पार्टी से जुड़ेंगे. नरेश पटेल इस बार के गुजरात चुनाव में एक बड़ा नाम बन कर उभरे हैं, शायद इसीलिए सभी राजनीतिक दल उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं. आम आदमी पार्टी ने जहां उन्हें पंजाब से राज्यसभा में भेजने की पेशकश की थी. वहीं राज्य की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी भी उन पर नजर गड़ाए हुए है.
15 मई तक अपनी योजना को करेंगे सार्वजनिक
पटेल ने पहले ही यह कहकर सभी अटकलों पर विराम लगाने की कोशिश की थी कि वे 15 मई तक अपनी योजना को सार्वजनिक कर देंगे. हालांकि ऐसा लग रहा है वे फिलहाल असमंजस की स्थिति में है क्योंकि राज्य के सभी प्रमुख राजनीतिक दल उन्हें लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्होंने सक्रिय राजनीति में शामिल होने का विकल्प खुला रखा है. गुजरात में कांग्रेस पार्टी 1995 से सत्ता से बाहर है. तब से अब तक गुजरात में 7 बार विधानसभा के चुनाव हुए हैं. इसीलिए यह उम्मीद की जा रही थी कि नरेश पटेल इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के लिए तारणहार बनेंगे, क्योंकि राज्य की 181 विधानसभा सीटों में से 48 सीटों पर पाटीदार समुदाय का काफी प्रभाव है.
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पाटीदार समुदाय से काफी समर्थन पाने की उम्मीद
नरेश पटेल श्री खोडल धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में पटेल समुदाय के एक प्रभावशाली नेता हैं, जो कई परोपकारी कामों में लगे हुए हैं. हालांकि 56 वर्षीय पाटीदार नेता ने अब तक राजनीति से दूरी बनाई हुई है. श्री खोडल धाम ट्रस्ट की बुधवार को वार्षिक बैठक होने वाली है, जिसमें इस प्रस्ताव पर कि क्या उसके अध्यक्ष को सक्रिय राजनीति में शामिल होना चाहिए और किस पार्टी में शामिल होना चाहिए? इस पर चर्चा होने की उम्मीद है. कांग्रेस पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों में पाटीदार समुदाय से काफी समर्थन पाने की उम्मीद कर रही है क्योंकि हार्दिक पटेल जिन्होंने ओबीसी सूची में इस समुदाय को शामिल कराने के लिए बड़ा आंदोलन किया था, वर्तमान में गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. कांग्रेस को यकीन है कि अगर यह दो पटेल नेता एक साथ आ जाएं तो वह गुजरात में पार्टी की किस्मत बदल सकती है.
नरेश पटेल के कांग्रेस पार्टी से जुड़ने की अटकलें
हालांकि, प्रशांत किशोर के जाने के बाद जहां नरेश पटेल कांग्रेस पार्टी से जुड़ने के बारे में दोबारा विचार करने पर मजबूर होंगे, वहीं दूसरी ओर हार्दिक पटेल भी कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व को इशारों-इशारों में यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि वे बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. जाहिर सी बात है अगर हार्दिक पटेल कांग्रेस पार्टी छोड़ देते हैं और नरेश पटेल इसमें शामिल नहीं होते हैं तो गुजरात चुनावों में कांग्रेस पार्टी की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है. गुजरात की राजनीति में पटेलों की प्रमुखता को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि 1960 में महाराष्ट्र से अलग होकर बने इस राज्य के 17 मुख्यमंत्रियों में से पांच मुख्यमंत्री इसी समुदाय के थे. एक साथ मिलकर इन्होंने 15 साल से अधिक समय तक इस राज्य पर शासन किया है. गुजरात की वर्तमान अनुमानित जनसंख्या (6.5 करोड़) में पाटीदारों की जनसंख्या लगभग 20 फ़ीसदी है.
Rani Sahu
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