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सुप्रीम कोर्ट ने उचित ही ये निर्णय दिया है कि महिला के लिए उसके मायके के लोग अजनबी नहीं हैं। वे महिला के परिवार के सदस्य हैं, इसलिए महिला की संपत्ति के उत्तराधिकारी वे माने जाएंगे। इस तरह हिंदू विधवाओं के अधिकार को कोर्ट ने विस्तृत किया है। संपत्ति उत्तराधिकार कानून की इसे उचित व्याख्या माना जाएगा। पिछले हफ्ते कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की बेंच ने इस कानून की धारा 15 (1) (डी) की नई व्याख्या की। उन्होंने व्यवस्था दी कि महिला के पिता के उत्तराधिकारियों को महिला की संपत्ति के उत्तराधिकारियों में शामिल किया जा सकता है। महिला के पिता के उत्तराधिकारी महिला के रिश्तेदार हैं। उन्हें अजनबी नहीं माना जा सकता। वे भी उसके ही परिवार का हिस्सा हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कानून की ये माकूल व्याख्या की कि कानून में आए शब्द परिवार का संकीर्ण मतलब नहीं निकाला जा सकता।