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- परीक्षाओं में भयमुक्त...
सफलता एक दिन में नहीं मिलती। इसके लिए निरंतर प्रयास करना पड़ता है। लंबा रास्ता तय करने के लिए पहला कदम उठाना ही पड़ता है, तब हम अपनी मंजिल पर पहुंचते हैं। विश्व में जितने भी महान पुरुष हुए हैं, उन्हें जीवन भर परिश्रम, संघर्ष तथा निरंतर तपस्या करने के पश्चात सफलता मिली है। कड़े अनुशासन तथा नियमित रूप से प्रत्येक विषय पर प्रतिदिन पढ़ने, समझने का प्रयास करने, अभ्यास करने, केन्द्रित करने, बार-बार लिखने, दोहराने तथा आत्मसात करने से ही ज्ञान परिपक्व होता है। तभी अपने पर भरोसा तथा आत्मविश्वास पैदा होता है। इस समय विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में परीक्षाओं का दौर चल रहा है। वर्ष भर से की गई कड़ी मेहनत, परिश्रम तथा तपस्या से बोई गई फसल काटने का समय नज़दीक आ गया है। परीक्षा किसी की भी हो, आसान नहीं होती, सभी पर परीक्षा का मनोवैज्ञानिक दबाव होता है। विद्यार्थियों को प्रतिदिन अपनी जि़म्मेदारी समझ कर, विषयवार समय सारिणी बना कर अनुशासित रूप से अध्ययन करना चाहिए। नियमित अध्ययन से बच्चों में किसी भी विषय के प्रति समझ पैदा होती है। पूर्व में विद्यार्थी एकाग्र होकर एकांत में ऊंची आवाज़ में उच्चारण करते तथा प्रश्नों को लिख कर बार-बार हल करते थे। इस लिखने-पढ़ने तथा दोहराने की प्रक्रिया से उनमें विश्वास पैदा होता था। वर्तमान में विषयों तथा विषय वस्तु का विस्तारीकरण हो गया है। कम्प्यूटर, संचार माध्यमों तथा तकनीक ने विद्यार्थियों, शिक्षकों तथा शिक्षा की दशा, दिशा और दृष्टि ही बदल दी है। कोरोना वैश्विक महामारी काल में मोबाइल संचार साधनों में शिक्षा का अग्रदूत बन कर सामने आया। एक समय इसी मोबाइल को अपनी जेब में तथा बस्ते में रखने पर पाठशालाओं में अपराध माना जाता था।