सम्पादकीय

राजहंस की कहानी: हंसावर नहीं, खिले सरसी में पंकज

Gulabi
16 Aug 2021 3:44 PM GMT
राजहंस की कहानी: हंसावर नहीं, खिले सरसी में पंकज
x
राजहंस की कहानी

डॉ. सोनिका कुशवाह।

"हंसावर नहीं, खिले सरसी में पंकज"- कवि राकेश कहते हैं कि पानी में खड़े राजहंस गुलाबी खिले हुए कमल के समान प्रतीत होते हैं। राजहंस (फ्लैमिंगो) एक शोभायमान पक्षी है, जिसके लिए गीत और कविताएं भी समर्पित हैं।

एनिमेटेड फिल्म "दिल्ली सफारी " में राजहंस पर एक सुंदर और मधुर गीत "आओ रे परदेसी मारे घर आओ रे आओ रे" दिखाया गया है।

जल निकायों में राजहंस को झुण्डो में देखना लोगो के मन को प्रफुल्लित कर देता है। ये पक्षी बहुत ही मिलनसार होते हैं और एक-दूसरे के साथ बातचीत करने पर पनपते हैं। खुली जगह में स्वाभाविक रूप से फ्लेमिंगो की कालोनियों की संख्या हजारों में हो सकती है।
दुनिया में राजहंस
विश्व में राजहंस की छह प्रजातियां हैं जबकि भारत में दो प्रजातियां पाई जाती हैं-ग्रेटर फ्लेमिंगो (बड़ा राजहंस) और लेसर फ्लेमिंगो (छोटा राजहंस)। दुनिया मे सबसे अधिक पाए जाने वाले छोटे राजहंस, (फीनिकोनियस माइनर) को 2006 के आईयूसीएन रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटड स्पीशीज में "नियर थ्रेटड" के रूप में वर्गीकृत किया गया था। ग्रेटर फ्लैमिंगो गुजरात का राज्य पक्षी भी है।

इसका वैज्ञानिक नाम फोनीकॉप्टरस रोज़ेयस है। गुजरात उन महत्वपूर्ण राज्यों में से एक है जहां भारत में 'नियर थ्रेटेड' लेसर फ्लेमिंगो (फीनिकोनियस माइनर) की अच्छी आबादी है।
यह एक भ्रमणशील प्रजाति है। फीडिंग साइट अक्सर अलग-अलग देशों में सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पर होती है। इन स्थानों तक जाने के लिए ज़्यादातर उड़ानें रात में होती हैं। फ्लेमिंगो एक प्रवासी पक्षी है, जो ठंड से बचने के लिए और भोजन की तलाश में एशिया में प्रवास करता है।

सर्दियों में भारत के पश्चिमी भागों में इनके झुंड जलाशयों के आसपास दिखते हैं । कुछ कम संख्या में यह मध्य भारत के मैदानी इलाकों के जलाशयों के आसपास भी दिखाई पड़ते हैं ।
ग्रेटर फ्लेमिंगो छह प्रजातियों में सबसे लंबा है, जो की 3.9 से 4.7 फीट (1.2 से 1.4 मीटर) तक ऊंचाई का होता है व वजन 7.7 पाउंड (3.5 किलोग्राम) होता है जबकि सबसे छोटी फ्लेमिंगो प्रजाति (लेसर फ्लेमिंगो) की ऊंचाई 2.6 फीट (0.8 मीटर) और वजन 5.5 पाउंड (2.5 किलो) है। सामान्यतः फ्लेमिंगो के पंखों का फैलाव 37 इंच (94 सेमी) से लेकर 59 इंच (150 सेमी) तक बड़ा हो सकता है।
राजहंस की विशेषताएं
इस पक्षी का पूरा शरीर गुलाबी आभा लिए उजले सफेद रंग का होता है। इसकी लंबी गर्दन , पूंछ तथा पैरो का रंग भी गुलाबी होता है। ग्रेटर फ्लैमिंगो की चोच हल्की गुलाबी होती है जबकि लेसेर फ्लेमिंगो की चोच गहरे लाल रंग की होती है।

फ्लैमिंगो की चोंच अन्य पक्षियों से भिन्न, मोटी एवं टेढ़ी होती है जिसे पानी में डालकर यह सुविधाजनक प्रणाली से मछली , मेंढक, केकड़ा, घोंघा, कीड़े , मकोड़े आदि को अपने भोजन के लिए पकड़ता है। इसके अतिरिक्त यह कुछ जलीय वनस्पतियां भी खाता है।

चोंच एक फिल्टर का काम करती है। लाल / गुलाबी रंग कैरोटेनॉयड पिगमेंट से आता है, जो शैवाल द्वारा संश्लेषित होते हैं जो फ्लेमिंगो के आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। राजहंस प्राकृतिक निवास में औसतन 25 से 30 वर्षो का एक लंबा जीवन जीते हैं, जबकि कृतिम आवासो मे इनका आधिकतम जीवनकाल 40 वर्षो तक देखा गया है।

राजहंस को प्रजनन के लिए बहुत विशिष्ट परिस्थितियों की आवश्यकता होती है, जिसके परिणामस्वरूप बहुत कम सफल प्रजनन होते हैं, या प्रजनन बहुत छोटे क्षेत्रों तक सीमित रहते है। फ्लेमिंगो बहुत अच्छा नृत्य करते हैं। वे एक साथ मार्च करते हैं, एक दिशा में एक पंख और दूसरी दिशा में एक पैर रखते हैं।

वे आगे झुकते हैं, अपनी पूंछ ऊपर करते हैं; वे आकर्षक लाल और काले रंग के प्रदर्शन में अपने पंखों को जोर से फड़फड़ाते हैं। राजहंस क्रमिक रूप से एकांगी होते हैं। वे एक वर्ष के लिए मिलते हैं और अगले वर्ष एक नया साथी ढूंढते हैं।

नर और मादा दोनों एक साथी की तलाश में नृत्य करते हैं। वे बारिश के बाद प्रजनन करते हैं । इसलिए सबसे ज्यादा प्रजनन दक्षिण एशिया में सितंबर और नवंबर के बीच व पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में नवंबर और फरवरी के बीच होता है। बारिश का पानी सुरक्षित स्थान प्रदान करता है जो शिकारी जानवरों से दूरी बनाने के लिए आवश्यक है।

इस दौरान घोंसला बनाने के लिए नरम मिट्टी भी उपलब्ध होती है। मिट्टी का टीला धूप में सख्त हो जाता है और इसमें एकल अंडे के लिए अवतल स्थान होता है।

अंडे का ऊष्मायन समय 27-31 दिन है। वे सहकारी प्रजनक हैं क्योंकि अंडे से निकलने के दूसरे दिन से ही बहुत सारे गैर-प्रजनन वयस्क राजहंसों द्वारा नए बच्चों की देखभाल करते देखा जाता है। राजहंस 5-6 साल की उम्र में प्रजनन के लिए परिपक्व हो जाते हैं।

फ्लेमिंगो के अस्तित्व के लिए प्रमुख खतरे इसके प्राकृतिक आवासो को नुकसान और/या उनके मानकों मे गिरावट हैं जिसके कारण मुख्यतः परिवर्तित जल गुणवत्ता, आर्द्रभूमि प्रदूषण, आवासो से नमक व सोडा ऐश की निकासी विशेष रूप से इसके प्रजनन स्थलों पर, और मनुष्यों की कुछ अन्य गतिविधियो के कारण इनकी प्रजनन कॉलोनियों का विघटन, अन्य खतरों में घोसलो का शिकार, विषाक्तता, बीमारी, मानव द्वारा गैर-प्रजनन स्थल पर विघ्न, व भोजन और प्रजनन स्थलों के लिए प्रतिस्पर्धा शामिल हैं।
राजहंस विशिष्ट प्राकृतिक आवासों में रहते हैं और इसलिए निवास स्थान का विनाश या परिवर्तन उनकी आबादी के लिए एक गंभीर खतरा माना जाता है। राजहंस के बिजली की लाइनों से टकराने से उनकी आबादी प्रभावित होती है। संरक्षण उपायों में फ्लेमिंगो और उसके आवासों की रक्षा व उचित प्रबंधन शामिल है। फ्लेमिंगो और उसके आवासों की सुरक्षा की आवश्यकता के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बी.एन.एच.एस) ने फरवरी 2019 में पहली समन्वित फ्लेमिंगो काउंट की घोषणा की।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी), भारत सरकार द्वारा मध्य एशियाई फ्लाईवे (सीएएफ) के साथ प्रवासी पक्षियों और उनके आवासों के संरक्षण के लिए भारत की राष्ट्रीय कार्य योजना में इन दोनो प्रजातियों को शामिल किया गया है और उनके आवासों के संरक्षण के लिए "प्रजाति कार्य योजना" भी चल रही है।

जागरूकता और संरक्षण के लिए इन गुलाबी आकर्षक पक्षियों को दो दिन समर्पित हैं, पहला अंतर्राष्ट्रीय राजहंस दिवस है जो 26 अप्रैल को मनाया जाता है और दूसरा राष्ट्रीय गुलाबी राजहंस दिवस है जो 23 जून को होता है।

यह श्रंखला 'नेचर कन्ज़र्वेशन फाउंडेशन (NCF)' द्वारा चालित 'नेचर कम्युनिकेशन्स' कार्यक्रम की एक पहल है। इस का उद्देश्य भारतीय भाषाओं में प्रकृति से सम्बंधित लेखन को प्रोत्साहित करना है। यदि आप प्रकृति या पक्षियों के बारे में लिखने में रुचि रखते हैं तो ncf-india से संपर्क करें।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए जनता से रिश्ता उत्तरदायी नहीं है।
Next Story