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- नफरत की पत्थरबाजी
मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के पावन दिन 'रामनवमी' पर पत्थरबाजी, नफरत के बोल, हिंसा, आगजनी, दंगों की खतरनाक नौबत और मांसाहार की जिद आदि की घटनाएं कई सवाल और संदेह पैदा करती हैं। पहला सवाल तो यह है कि क्या हम एक 'केला गणतंत्र' के हिस्से में रह रहे हैं? क्या हिंदू बनाम मुस्लिम, रामनवमी बनाम रमजान, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, देश की विविधता आदि मनःस्थितियां बेहद गहरे समा गई हैं? क्या हम दुराग्रही हो गए हैं? क्या धार्मिक स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार खोखला और अप्रासंगिक है? क्या हिंदुओं के त्योहार मुसलमानों को भड़काते और उकसाते हैं? रमजान का 'पाक महीना' और 'ईद' तो आपसी सद्भाव और सौहार्द्र के साथ मनाए जाते रहे हैं। हिंदू भी इफ्तारी में शिरकत करते हैं। क्या अब इतनी असहिष्णुता फैल गई है कि किसी ने कोई भजन गा दिया अथवा विवादित बयान दे दिया, तो बदले में हिंसा भड़क उठेगी? पथराव और आगजनी की घटनाएं शुरू कर दी जाएंगी?
क्रेडिट बाय दिव्यहिमाचल